क्या भाभी आप तो बिल्कुल बहू से दबकर रह गई हो , इतना भी क्या डरना बहू से कौन वो आपका कुछ करती है इस बुढ़ापे में बहू को आपकी मदद करनी चाहिए तो वो तो नहीं उल्टा आप और भाईसाहब ही उसकी मदद करती रहती है । क्या करूं मधु मैं नहीं चाहती एक ही घर में रहकर छोटी छोटी बातें बड़ा रूप ले लें और लड़ाई झगडे हो। अच्छा नहीं लगता बदनामी होती है चार लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे।
उर्मिला भाभी और मधु आमने-सामने रहती थी और उनको वहां रहते हुए पैंतीस साल हो गए हैं । काफी अच्छे संबंध रहे हैं दोनों के आपस में । दोनों ही एक दूसरे के सुख-दुख में हारी बीमारी में साथ देते हैं । कभी कभी अड़ोसी पड़ोसी भी परिवार से बढ़कर हो जाते हैं । उर्मिला भाभी के तीन बच्चे हैं दो बेटे हैं
और एक बेटी है। सभी के शादी ब्याह हो चुके हैं ।और इस समय भाभी की उम्र 72 और भाई साहब की उम्र 77 की हो रही है । भाभी जी का बड़ा बेटा पिछले दस सालों से अमेरिका में अपने परिवार के साथ है । अच्छा कमा रहा है ।और छोटा बेटा दिवाकर भी अच्छा पढा लिखा है ।बी एच यू से बीटेक की डिग्री ली हुई है ।
उसके भी एक बेटा है नौ साल का । लेकिन उसके साथ पता नहीं क्या है कि वो नौकरी ही नहीं करता ढंग से आज बीस साल होने को आ रहे हैं पढ़कर निकले हुए ।उसका कहीं मन ही नहीं लगता नौकरी में मुश्किल से आठ नौ महीने या साल भर बस इससे ज्यादा वो नौकरी नहीं करता था और घर बैठ जाता है ।।वापस घर आ जाता है ।
रोज रोज नौकरी छोड़कर आ जाने से उसके साथ अब ऐसा हो गया है कि फिर से कुछ समय बाद जहां नौकरी करने जाता है तो कंपनी वाले पूछते हैं कि आपने पहले वाली नौकरी क्यों छोड़ी और इतने समय से आप नौकरी क्यों नहीं कर रहे हैं । काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है उसे दूसरी नौकरी पाने के लिए।और सैलरी भी पहले से कमहो जाती है। उसके साथ पढ़े हुए और लड़के आज जाने कहां से कहां पहुंच गए ।
लेकिन वो वहीं अटका पड़ा है न ढंग से नौकरी कर पा रहा है न अपने परिवार को देख पा रहा है न परिवार का खर्चा उठा पा रहा है । मां बाप भी बहुत पढ़ें लिखे नहीं है तो क्या करना है क्या नहीं इस बारे में वो भी ठीक से जानते नहीं हैं। बेटा अपनी मनमानी करता रहता है ।
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इस बात को लेकर बाप बेटे में खटपट होती रहती है । उसने अपने बीबी बच्चों की पूरी जिम्मेदारी अपने माता-पिता के ही ऊपर डाल रखी है ।बीच बीच में यदि नौकरी करने बाहर चला गया तो उसके बीबी बच्चों की पूरी जिम्मेदारी भाईसाहब और भाभी भी उठाते हैं ।बहू का लोकल मायका है तो रोज वो मायके ही जाती रहती है । दिवाकर का बेटा मतलब उर्मिला भाभी का पोता स्कूल जाता है तो स्कूल छोड़ने और लेने के लिए भाई
साहब भागते जाते हैं और यहां तक कि बहू लंचबॉक्स भी बेटे को बना कर नहीं देती जब लंच टाइम होता है तो भाईसाहब फिर उसको टिफिन देने जाते हैं ।जब मधु ने कहा क्या भाभी बहू टिफिन क्यों नहीं बना कर देती तो बोलती बहू कहती खाना ठंडा हो जाएगा और मेरा बेटा ठंडा खाना नहीं खा पाएगा ।
अब 77 साल की उमर में एक दिन भाईसाहब पोते को बैठाकर स्कूल छोड़ने जा रहे थे तो स्कूटर गढ्ढे में चली गई तो स्कूटर पलट गई जिसमें भाईसाहब को पैर में चोट लग गई सूजन आ गई ।और हड्डियों में दर्द हो गया । फिर एक दिन मधु के पति आंनद ने उनसे कहा क्यों भाई साहब इस उम्र में आप परेशान हैं होते हैं
एक आटो लगवा दीजिए उसमें चला जाएगा तो वो हंसने लगे अरे अब आटो में जल्दी तैयार करना पड़ेगा समय से पहले आ जाएगा आटो , हां वो तो है कई बच्चों को लेना है तो समय से पहले तो आएगा ही ।अरे मैं ही छोड़ देता है क्या कर रहा हूं बैठे बैठे ।भाई साहब तो कुछ नहीं कहते लेकिन उर्मिला भाभी बोली देती है अब आटो का भी पैसा हम ही दे ।अब क्या बताएं मधु हमलोग तो बहू से परेशान हो गए हैं कुछ कहो तो कलेश करती है तो भाई साहब ही छोड़ आते हैं शांति बनी रहे घर में क्या करें ।
अब आज ही दिवाकर बैंगलोर से आया है तुम्हारे भाई साहब की स्कूटर लेकर कहीं जाने लगा तो तुम्हारे भाई साहब ने गुस्से में टोंक दिया कि अपनी मोटरसाइकिल लेकर जाएं मुझे बैंक जाना है मैं कैसे जाऊंगा ।तो बहू बोलने लगी ऊपर से लो देख लो अपने पापा को आज ही आए और आज ही गुस्सा दिखाने लगे उनको कौन अच्छा लगता है आपका आना ।अरे मधु तुम्हारे भाई साहब को तो बहुत गुस्सा आता है बाहर कुछ नहीं बोलते घर के अंदर चिल्लाते हैं ।
किसी जमाने में उर्मिला भाभी बहुत तेज तर्रार हुआ करती थी ।बाहर खड़ी होकर सबकी बहुओ के ऊपर छींटाकशी किया करती थी इनकी बहू ऐसी तो उनकी बहू वैसी ।अब उनकी बहू ने ही उनकी बोलती बंद कर दी है ।बड़ी बहू तो अमेरिका में हैं तीन चार साल में कभी एकाध बार आती है ।
लेकिन छोटी बहू से परेशान हो गई है । मधु ने कहा बेटे से कहो बीबी और अपने बच्चे को ले जाए अपने साथ रखें ।जब आप बीमार होती है कोई आ जा जाता है तो वो आपका कुछ नहीं करती ऊपर से आपके ऊपर बोझा ही बनी है ।तो कहने लगी कुछ कहो तो झगड़ने को तैयार हो जाती है । रिश्तेदारी में शादी हुई है चार जगह जा जाकर घर की बातें करेंगी तो कितनी बदनामी होगी तुम्हारे भाई साहब गुस्से में आकर कभी कभी चिल्ला पड़ते हैं तो मैं ही चुप करा देती हूं । क्या करूं मैं तो इतनी बुरी तरह से फंस गई हूं ये शादी करके कि क्या बताऊं ।
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बड़ा बेटा तो कहता है मम्मी पापा आप सब कुछ छोड़ अबतक दिवाकर का सहारा बनी रहोगी यहां अमेरिका आकर रहो मेरे पास लेकिन कैसे जाऊं यहां सिर के ऊपर बैठी है।मैं भी शांत हो जाती हूं कि कौन छोटी छोटी बातों को इतना बढ़ाए ठीक है जैसा है ।
कभी कभी इंसान कितना मजबूर हो जाता है कुछ रिश्तों की खातिर जिसे निभाना एक मजबूरी हो जाती है ।एक ही घर में रहती है ऊपर नीचे।सारा खर्चा उर्मिला भाभी और भाईसाहब उठाते हैं । कभी भाभी बीमार हो तो एक समय का खाना भी नहीं मिलता । रिश्तों की खातिर बहुत कुछ अनदेखा , अनसुना करना पड़ता है ।दूसरा तो सिर्फ सलाह दे जाता है लेकिन अगले की क्या मजबूरी है ये तो वही जान पाता है जिसपर बीतती है
रिश्तों को संभालना आजकल कितना मुश्किल होता जा रहा है आज के समय में ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
8 नवंबर