“जब देखो मुझसे बाहर चलने के लिए कहते रहते हो मैंने कहा ना बेटे की शादी से तो मैं फारिग हो गई बस बेटी की शादी और हो जाए उसके बाद मैं आपके साथ फुर्सत से घूमने जाऊंगी” कौशल्या ने अपने पति किशोर से कहा तो किशोर मुस्कुराते हुए बोले “भाग्यवान मुझे तुम्हारी यही बात पसंद नहीं आती शादी के बाद तुम मेरे साथ कहीं घूमने नहीं गई
पहले सास ससुर की सेवा फिर बच्चों की परवरिश का बहाना फिर उनकी नौकरी का बहाना और अब उनकी शादी का बहाना मैं तुम्हें जो भी पैसे खर्च करने के लिए देता हूं तुम उन्हें अपने ऊपर खर्च करने की बजाएं यही सोचकर जोड़ती रहती हो कि बेटी की शादी के बाद फुर्सत से मेरे साथ घूम कर खुशियां मनाओगी कहीं ऐसा ना हो बेटी की शादी से पहले ही मैं ऊपर चला जाऊं फिर मेरी बातों को याद करके जीवन भर पश्चाताप करती रहोगे।”
पति की बात सुनकर कौशल्या उनके होठों पर हाथ रखते हुए बोली” ऐसा मत कहो जी! भगवान करे मेरी उम्र भी आपको लग जाए …. मैं आपके साथ जाने को मना थोड़ी ना कर रही हूं बस कुछ समय और रुक जाओ फिर आराम से घूमने जाएंगे” पत्नी की बात सुनकर किशोर खामोश होकर वहीं पर कुर्सी पर बैठ गए थे उन्हें पता था इस वक्त पत्नी से जिद करना बेकार है क्योंकि वह उनकी बात कभी मानती नहीं थी बस अपनी जिम्मेदारियां को पूरा करने में लगी रहती थी।”
उनकी बहू सुनंदा जिसकी शादी उन्होंने कुछ समय पहले ही अपने बेटे शेखर के साथ धूमधाम से की थी वह उस वक्त रसोई में खाना बना रही थी सास की बात सुनकर उसे अपनी मम्मी रेवती की याद आ गई थी उसकी मम्मी का स्वभाव भी बिल्कुल उसकी सास के जैसा था जो हमेशा सुबह से शाम तक घर के काम में लगी रहती थी
कभी उसके पापा के साथ बाहर घूमने जाते ही नहीं थी उसके पापा के दिए हुए पैसों को यही सोच कर जोड़ती रहती थी कि बच्चों की शादी के बाद आराम से पति के साथ बाहर घूमने जाऊंगी लेकिन सोचा हुआ होता कहां है उसके पापा ने उसकी शादी तो कर दी थी
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इससे पहले कि वह उसके भाई की शादी करके घर में बहू लाते एक दिन उन्हें खाना खाते वक्त दिल का ऐसा दोरा पड़ा की वे तुरंत भगवान को प्यारे हो गए थे तब उसकी मम्मी घर में रखे हुए पैसों को देखकर पापा को याद करके उनकी बातों को न मानने के कारण पश्चाताप के आंसू बहाती रहती थी
पापा के जाने के बाद उन्होंने भाई की शादी तो कर दी थी परंतु, उनके साथ घूमने की खुशियां मन की मन में रह गई थी उसके भाई ने और उसने अपनी मम्मी से कई बार कहा कि चलो अब कहीं घूमने चलते हैं परंतु, पापा के जाने के बाद मम्मी का कहीं जाने को मन ही नहीं करता था
बस पापा की फोटो को देखकर हमेशा यही कहती काश! आप मेरे साथ होते तो मैं आपके साथ घूमने की ख़्वाहिश जरुर पूरी करती लेकिन अब पश्चाताप करने के सिवाय हो क्या सकता था।
वक्त का कुछ पता नहीं कब क्या हो जाए यही सोचकर वह अपनी सास से अपनी मम्मी की पूरी कहानी बताते हुए बोली” मम्मी जी खुशियां मनाने के लिए किसी के विवाह का इंतजार करना ठीक नहीं जब वक्त आएगा दीदी की शादी भी हो जाएगी आप पापा के साथ खुशी-खुशी घूमने जाइए।”
सुनंदा की बात सुनकर उसकी सास कौशल्या मुस्कुराते हुए उसे देखने लगी तो सुनंदा उन्हें प्यार से समझाते हुए बोली” मम्मी जी मैं नहीं चाहती आपकी खुशियां मेरी मम्मी की तरह अधूरी रहे मेरी मम्मी भी पापा से ऐसा ही कहती थी जैसा आप कहती हैं इसलिए मैं आपसे पापा के साथ जाने के लिए कह रही हूं।
” सुनंदा की बात कोशल्या की समझ में आ गई थी सुनंदा का शुक्रिया अदा करने के बाद उसने उसे जीवन का रहस्य समझाने पर प्यार से उसे गले लगा लिया था फिर खुशी से अपने पति से बोली” अब मैं खुशियां मनाने के लिए बेटी की शादी का इंतजार नहीं करूंगी मैं आपके साथ चलने के लिए तैयार हूं।” पत्नी की रजामंदी पाकर खुशी से किशोर की आंखों में चमक आ गई।
आज भी हमारे समाज में ऐसे बहुत से लोग रहते हैं जो वक्त और पैसा होने के बावजूद भी अपनी ख्वाहिश कभी पूरी नहीं कर पाते बस हमेशा जिम्मेदारी पूरी करने का बहाना बनाते रहते हैं समय आने पर सब काम होते हैं लेकिन कभी-कभी वक्त ऐसी चोट मारता है कि इंसान की ख्वाहिश अधूरी रह जाती हैं इसलिए जब भी मौका मिले जीवनसाथी के साथ अपनी खुशियों को जी भर के जिए ताकि बाद में जीवनसाथी की बातों को याद करके पश्चाताप के आंसू ना बहाने पड़े।
लेखिका : बिना शर्मा
#पश्चाताप के आंसू