भाई साहब , भाई साहब बड़े भाई साहब हमारो गला कांट रहे हैं और फिर सीताराम ने भाई साहब के पांव पकड़ लिए ।
नरेश और सुरेश दो भाई साथ में ही बिजनेस करते थे।उनकी एक फैक्ट्री थी । जिसमें सीताराम चौकीदार का काम करता था और काम धंधे से मतलब का जरूरी सामान भी बाजार से ले आता था। दोनों भाइयों की सीमेंट पाइप बनाने की फैक्ट्री थी दोनों भाई मिल कर काम करते थे।समय के साथ काम में तरक्की हुई तो एक दूसरा काम भी खोल लिया । ग्लोसाइन बोर्ड बनाने का काम ।अब काम दोनों भाइयों में बंट गया कि एक फैक्ट्री तुम देखो एक हम देखें । ग्लोसाइन बोर्ड का काम छोटा भाई सुरेश के हिस्से में और सीमेंट पाइप का काम बड़े यानी नरेश के हिस्से में आई । नरेश ने पाइप के साथ सीमेंट के खम्भे भी बनाने का काम शुरू कर दिया। सीता राम दोनों फैक्टियों की चौकीदारी करता था। बहुत मेहनती और ईमानदार था । सीता राम कभी भी एक पैसे की हेर-फेर नहीं करता था।
सुरेश तो ठीक थे थोड़ा गरीबों पर दया भाव रखते थे लेकिन बड़े नरेश खुर्राट किस्म के इंसान थे। दया नाम की कोई चीज नहीं थी उनके पास।बस पैसा ही उनके जीवन का मकसद था।उनका जब काम बढ़ा तो सीमेंट पाइप के साथ खम्भे भी बनने लगे थे । जब मजदूरों की कमी हो जाए या कोई मजदूर नहीं आया तो वो सीताराम को मजदूरी पर लगा लेते थे ।अब सीता राम इस काम में भी काम कर लेता था कि चौकीदारी के तनख्वाह से पूरा नहीं पड़ता बीबी है दो बच्चे हैं तो थोड़ा पैसा मजदूरी से भी मिल जाया करेगा। सुबह दस से पांच की मजदूरी रहती थी । इसी लालच में जब बड़े भाई साहब ने सीता राम कोकाम करने को कहा तो वो तैयार हो गया।
लेकिन शाम को जब सभी मजदूरों को पैसे दिए जा रहे थे तो वो भी वही खड़ा था लेकिन उसको पैसे नहीं दिए। सीता राम ने एक दिन दो दिन तीन दिन इंतजार किया जब पैसे नहीं मिले तो सीता राम ने बड़े भाई साहब से कहा , भाई साहब हमारी मजदूरी , तेरी कैसी मजदूरी वे । यही तो रहता है दिनभर और कमरा भी ले रखा है , बत्ती पानी सब तो इस्तेमाल करता है चौकीदारी की तो तनख्वाह मिलती है अब थोड़ा सा काम कर दिया तो इसका अलग से पैसा चाहिए तुमको। जरा सा काम कहा भाई साहब सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक तो काम किए हैं न ।और जो कमरा लेकर रहता है वो ।असल में फैक्ट्री के पीछे एक कमरा बना हुआ है सीता राम जब चौकीदारी करने आया था तो उसके पास जगह नहीं थी रहने की पीछे का कमरा बंद दिखा तो भाई साहब से पूछा क्या यही रह ले हम तो वो अपने बीबी बच्चों सहित वहीं रहता था । वहीं फैक्ट्री की लाइट और पानी इस्तेमाल कर लिया करता था।
सीता राम आजकल दिनभर मजदूरी करके थक जाता था तो रात में सो जाता था ।भाई साहब को लगने लगा चलो एक मजदूर का पैसा बचा रहा है सीता राम को लगाकर इसलिए लगाए रहो ।रात में सो जाता था तो किसी ने बड़े भाई साहब से शिकायत कर दी कि सीता राम ठीक से ड्यूटी नहीं करता सोता रहता है।
आज बड़े भाई साहब सीता राम पर बरस पड़े क्यों वे तू ठीक से काम नहीं करता रात को सोता रहता है । सारी रात नहीं सोये थे भाई साहब वो दिन में मजदूरी करके थोड़ा थक जाते हैं तो थोड़ी नींद आ गई थी। अच्छा बड़ा लाट साहब बं ना है दिन में थकान हो जाती है तो रात को ड्यूटी नहीं करेगा सो जाएगा और दिन में थोड़ी मजदूरी कर ली तो अलग से पैसे मांग रहा है।अब तो तेरी चौकीदारी के भी तनख्वाह कांट लूंगा क्योंकि तू ठीक से काम नहीं कर रहा है । करना है तो कर नहीं तो जा यहां से हम दूसरा रख लेंगे।
इसी बात को लेकर सीता राम आज छोटे भाई साहब के पास शिकायत कर रहा था ।अब भाई साहब बताओ एक तो हमारी मजदूरी के पैसे नहीं दे रहे हैं और कह रहे हैं नौकरी से हटा देंगे।ये तो वही बात हुई कि मेरा गला कांट रहे हैं। अच्छा अच्छा तुम परेशान न हों हम बड़े भाई साहब से बात करते हैं।
आज फैक्ट्री में जब सीता राम के बाबत बात हुई तो बड़े भाई नरेश उखड़ गए क्या है सुरेश तुमने इन लोगों को सिर पर चढ़ा रखा है । देखना एक दिन तुम्हारा ही गला कांट देंगे।अरे भाई साहब गरीब आदमी है सुरेश बोले कोई गरीब वरीब नहीं है नरेश चिल्लाए । बदमाश है ये , करना है तो करें नहीं तो जाए यहां से दूसरा रख लेंगे।
फिर छोटे भाई साहब के कहने से सीताराम ने दूसरी फैक्ट्री में काम ढूंढ लिया । वहां आसपास की फैक्ट्रियां थी । बड़े भाई साहब ने दूसरा चौकीदार रख लिया।
सुरेश की फैक्ट्री में अपना ग्लोसाइन बोर्ड में से दो कम दिखें ।वो बार-बार गिनती कर रहे थे लेकिन गिनती में वो पूरे नहीं थे जितने रखें थे । सुरेश ने सबसे पूछा ने चौकीदार से भी पूछा तो उसने न में सिर हिला दिया नहीं साहब इतने ही थे जितने आप रख गए थे । आपको गिनने में गलती हुई होगी। सुरेश मन मसोस कर रह गए । फिर दो दिन बाद बड़े भाई साहब के दस सीमेंट के खम्भे गायब मिले उन्होंने भी चौकीदार से पूछा तो वो बात को घुमा गया। फिर क्या था रोज ही ऐसी घटनाएं होने लगी ।
आज जब चौकीदार से सख्ती से बात की तो पता चला कि यही फैक्ट्री से सामान चोरी करके बाहर बेच रहा है । सीता राम के रहते ऐसा कभी नहीं हुआ था।सिर पकड़ कर रह गए बड़े भाई साहब।
आज नरेश भाई साहब सुरेश को बुला कर कहने लगे हमने ने चौकीदार को निकाल दिया है तुम सीता राम को फिर से बुला लो । लेकिन अभी तो वो नई नौकरी पर है सुरेश बोले जब महीना पूरा हो जाएगा तभी तो वो आ पाएगा । लेकिन भाई साहब अब अगर उससे मजदूरी का काम करवाएंगे तो उसको भी मजदूरी का पैसा देना पड़ेगा तभी वो आएगा। अच्छा अच्छा ठीक है सब मजदूरों की तरह उसको भी पैसा दे देंगे इस चोरी चपाटी से तो बचेंगे।
फिर छोटे भाई साहब की मदद से सीताराम वापस आ गया उसको भी रहने की कोई जगह नहीं थी बीबी बच्चों सहित एक महीने से मायके में रह रही थी ।और आज चालीस साल हो गए सीताराम बड़ी ईमानदारी से अपना काम कर रहा है ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
24 अप्रैल
#गला काटना