चक्रव्यूह – अर्चना सिंह : Moral stories in hindi

घर में बहुत गहमा गहमी चल रही थी, काफी दिनों से हालात ठीक नहीं नजर आ रहे थे। चीकू अपने कमरे में सुस्त पड़ा अंदर ही अंदर सोच रहा था कि माँ ने आवाज़ लगाई, चीकू बेटा! जल्दी उठो, हमें देर हो रही है। चीकू ने बहुत रूखे स्वर में कहा नहीं जाना मुझे जो करना है करो। फिर माँ की मायूसी देखकर वह तुरंत तैयार हुआ और मोटरसाइकिल पर माँ के साथ रवाना हुआ,

पंडित जी के दुकान के बाहर भीड़ देखकर मोटरसाइकिल एक किनारे लगा कर वह खड़ा हो गया और माँ अंदर चली गई। चीकू को पुकारा आ जल्दी पर वह अनसुना कर दिया। मुझे ऐसी फालतू बातों पे भरोसा नहीं है।न जाने क्यों लोग ये संत बाबा , पंडित, ज्योतिष इनलोगो के पीछे भागते हैं ये सारे नासमझ लोग। 

चीकू ने देखा…कोई मिठाई,सुपारी तो कोई नारियल लेकर आया हुआ था। पिछले शनिवार भी माँ पांच सौ रूपये देकर अपना नंबर लगा कर दिखाई थीं और आज फिर हाजिर हैं।चीकू ने माँ को कई बार समझाया भी था आने से पहले पर वो मानने को तैयार न थीं। खैर..एक बात तो साफ़ थी पिछले 1-2 सालों से घर की दशा बहुत ख़राब थी,

उससे पहले तो सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। चीकू के पिता सरकारी अध्यापक थे,आमदनी अच्छी थी और ट्यूशन भी घर में खोल लिया तो आमदनी और बढ़ गयी। घर में किसी तरह से खाने पीने की कोई कमी नहीं थी।घर में मिठाई फल खूब आने लगे, कुछ भी इच्छा हो तो एक दो दिन बीच कर के बाहर खाने की आजादी भी थी।  आमदनी अच्छी बढ़ने से माँ के लिए भी गहने बन गए थे। चीकू की बड़ी दीदी का ससुराल भी उसी शहर में था, जब उसकी मम्मी मिलने जातीं तो बच्चों के लिए उपहार और बड़ों के कपडे लेकर जातीं। 

कुछ समय से उसके पिता परेशान रहने लगे और किसी को कारण नहीं बताया ।चीकू ने जब कोचिंग के लिए फीस मांगी तो उन्होंने बहुत बेरुखी से जवाब दिया- इतने पढ़े लिखे हो गए हो, अब कुछ जॉब ढूंढो और खुद कमाओ। नए कपडे दिलाना , जेब खर्च, घर खर्च देना सब बंद हो गए ।सारी जिम्मेदारी उन्होंने अकेले संभाल ली।

सबने जानने की कोशिस की पर कुछ पता नही चला। चीकू ने माँ से कहा- अचानक ऐसा बदलाव क्यूँ? माँ ने जवाब दिया किसी की बुरी नज़र लग गयी है हमारे घर को, बुरा साया घर में आ गया हैl। हद तो तब हो गयी जब उन्होंने चीकू के माँ के कड़े बेच दिए फिर भी किसी ने कुछ नहीं कहा लेकिन माँ को विश्वास हो गया था  की कुछ न कुछ गलत चल रहा है।

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माँ ने पंडित के कहने पर बहुत पूजा पाठ भी शुरू किया, ताबीज भी बनवा लिए, जैसे करने कहा सब किया लेकिन परेशानियां ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं थी। एक दिन पड़ोसियों से पता कर के चीकू की माँ ने घर में पंडित को बुलवाया और उन्होंने देख के कहा कुछ बुरा चल रहा है इसके लिए 5000 रूपये देना होगा। 

जो भी जुटाये हुए पैसे थे सब खर्च कर दिए पर कोई रास्ता नहीं निकला, उस दिन घर में उसकी दीदी भी आई हुईं थी जो कुछ पंडित ने कहा वो सोचकर माँ दीदी के गले लग कर जोर जोर से रोने लगीं ।

चीकू और दीदी ने पूछा क्या बात है तो माँ ने कहा क्या बताऊँ- पंडित जी ने कहा है कि तुम्हारे पापा की जिंदगी में दूसरी औरत है। उसकी वजह से हम बर्बाद हो रहे हैं सारे पैसे उसी में जा रहे है और वह फुट -फुट  कर रोने लगीं तो दीदी ने दिलासा देकर चुप कराया और सबने ठानी की आज पापा आएँगे तो पूछेंगे आखिर वो चाहते क्या हैं?

 रात के बारह बज रहे थे ,किसी की आँखों में नींद नहीं थी । चीकू के पापा कुछ परेशान से घर घुसे और एक सन्नाटा सा देख कर पूछा- क्या हुआ , क्यों उदास हो? कोई परेशानी है क्या ?माँ ने झुंझलाते हुए बेकाबू होकर कहा- “हमारे घर के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, आपको कुछ दिखाई दे रहा है? क्या चाहते हैं आप फैसला करिये। आपको उस औरत के साथ रहना है या हमारे साथ। 

चीकू के पापा ने सांत्वना देते हुए कहा- क्या हो गया है आपको, क्या बोले जा रही हैं ?तब माँ ने कहा सब पता है आज पंडित जी आये थे उन्होंने ही कहा आप किसी औरत के चक्रव्यूह में फंस गए हैं। तभी चीख़ते हुए पापा ने कहा बस करो। 

किसी पंडित, ज्योतिष के चक्कर मे पड़ने से पहले सूझ – बूझ से तो काम लिया करो । हर कदम पर ठगी के रूप में दूसरों की तकलीफ देखकर लोग ठगने के लिए ही बैठे हैं ।

पहले मुझसे तो पूछ लिया होता, नहीं संतुष्टि मिलती तो इधर- उधर भटकती । किस – किस के चक्कर मे पड़ जाती हो ?जानती हो वो दूसरी औरत कौन है,…?

सवालिया निगाहों से सबने चीकू के पापा की ओर देखा ।

रुंधे गले से चीकू के पापा ने कहा…” वो है मेरी बहिन जिसके वजह से आज मैं पढ़ पाया और कुछ बन पाया उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की और सबने घर से बाहर कर दिया। उनके घर की दशा ठीक नही थी उसके पति की बहुत तबियत खराब थी सारे पैसे ख़त्म हो गए तो उसने बच्चों की पढाई छुड़वा दी और इलाज  नही कराना चाहती थी

फिर किसी रिश्तेदार से पता चला तो मैंने उसके परिवार को बर्बाद होने से बचाना उचित समझा। जब तक स्थिति नहीं ठीक होती उसकी, मैं कुछ बताने के हालात में नहीं था ।मन से इतना दुःख था कि मुझे जो सही लगा वो करते जा रहा था ।इस जिंदगी पर उसके बहुत अहसान हैं। वैसे तो वो मेरी चचेरी बहन है , दिमाग से तो उसे निकाल ही चुका था

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मजबूरी वश लेकिन दिल से नहीं निकाल सका ।और मुझे लगा तुमलोग को भी बुरा लगेगा, मना करोगे, गुस्सा करोगे..। सिर पकड़ कर चारपाई पर निढाल से होते हुए चीकू के पापा बोले…”माँ- बाबूजी के जीते जी तो कभी हिम्मत न हुई उनके विरोध जाकर बहन से मिलने की या उसके तकलीफ में शामिल होने की” । 

चीकू की माँ अवाक् रह गयी और कहा मुझे माफ़ कर दीजिए और हमारी जो मदद हो सके बताइये हम भी करेंगे पर उन्हें बचा लीजिये। पापा ने कहा तुम सबका  शुक्रिया तसल्ली से चुप रह के तुमलोगो ने बहुत मदद की है।अब वो खतरे से बाहर हैं। माँ नजरें झुकाये सुन रही थी और अपने आप पे पछता रहीं थी

कहाँ इन जंजाल में पड़ कर मैं क्या क्या सोच बैठी। चीकू के पिता ने कहा- अब सारी गलत फहमियां दूर हो गईं, कल अपनी बहिन को उसके परिवार के साथ बुलाया है आगे कुछ और बोलते इससे पहले ही माँ ने कहा- कोई कसर नहीं रखूंगी अच्छे से कल स्वागत करेंगे ताकि उन्हें कोई कमी महसूस न हो और जो इतने साल हमसे दूर रह कर जो दुःख काटे हैं वो ख़त्म हो जाये। फिर से घर में अब पहले सी रौनक हो गयी और सबके चेहरे हँसीं से माहौल को खुशनुमा बना रहे थे।

अर्चना सिंह

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