चिठ्ठी ना कोई संदेश – गुरविन्दर टूटेजा

#मन के भाव

 नीतू का जन्मदिन था आज खुशी से फूली नही समा रही थी..सुबह से तैयारी में लग गयी थी सबको बुलाने गयी..स्कूल में टॉफ़ियाँ बाँटी..और फिर मम्मी के पीछे लग गयी कि क्या-क्या बनाओगे….केक कौन लायेगा पापा तो बुआ के घर गये थे..तो मम्मी ने कहा ताऊजी केक ले आयेंगे..वो तो ठीक है पर पापा शाम तक आ जाएँगे ना..??

  मैं बात करती हूँ  पापा से नीतू पर मुझे लगता नहीं कि आज पापा आ पाएँगे..!!

मम्मी आप कुछ भी मत बोलो मुझे पता है वो मेरे पापा है और वो जरूर आएँगे…!!

इतने में बुआ का फोन आया बधाई

देने के लिये…मम्मी से बुआ बोली कि टिकट हुई नहीं थी और काम भी था पर दीप ने तो रट पकड़ी थी कि नीतू का जन्मदिन है और मैं नहीं पहुँचा तो मेरी लाडली उदास हो जायेगी तो इतना लम्बा सफर धक्के खाता आयेगा माना ही नहीं बस पहुँच जाये समय से…मुझे पहुँचने की खबर दे देना…!!!

शाम को सब तैयारी हो गयी..सब मेहमान भी आ गये पर नीतू अभी तक तैयार नहीं हुई थी…बस जिद थी कि पापा जो नयी ड्रैस लाएँगे वही पहनूँगी…सब परेशान थे उस समय मोबाइल भी नहीं होते थे कि पता चले कि कहाँ तक पहुँचे हैं…!!

दादी, ताऊजी, ताईजी सब मनाने में लगे थे …पर नहीं तो नहीं और अब तो रोने भी लग गयी क्योंकि डाँट भी पड़ रही थी… सब परेशान थे कि दीप ने ज्यादा ही सिर चढ़ा दिया है..!!

   इतने में पापा आ गये…फिर नीतू पापा के गले लग के बहुत रोई..सब छेड़ रहे थे कि…तेरी विदाई हो रही है क्या जो ऐसे रो रही है…जल्दी से पापा की लाई ड्रैस पहन कर नीतू अपने आप को प्रिन्सेस समझ रही थी…केक काटते समय उसकी आँखों में अलग ही चमक थी जो सबको कह रही थी कि देखा…”मेरे पापा तो मेरे पापा हैं”.!!

  उस बेचारी को क्या पता था कि इस जहाँ में थे तो आ गये थे पापा पर अगले जन्मदिन पर तो उस जहाँ में थे जहाँ से कितना भी बुला लो कोई वापस नहीं आता…!!!!

पैतींस बरस बीत गये थे पापा को गुज़रे पर आज नीतू को पापा की बहुत याद आ रही थी और वो गज़ल सुन रही थी आँखों से झरझर आँसू बह रहे थे…

चिट्ठी ना कोई संदेस….

जाने वो कौनसा देस..

जहाँ तुम चले गये…..चले गये..!!

गुरविन्दर टूटेजा

उज्जैन (म.प्र.)

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