चिकना घड़ा – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

भाभी जी मुझे खाना बनाना है ,तो बनाओ ना मैं बैठी हूं जो बनाओगी मैं भी खा लूंगी।प्रिया परेशान हो गई थी चम्पा भाभी से ।वो वक्त बेवक्त प्रिया के घर आकर बैठ जाती थी और फिर जाने का नाम नहीं लेती थी ।दो चार दिन की बात हो तो ठीक है लेकिन ये तो रोज का काम हो गया था।

                    प्रिया और चम्पा अड़ोसी पड़ोसी थे । चम्पा उम्र में थोड़ी बड़ी थी प्रिया से । चम्पा के घर में एक बेटा और एक बेटी थी। चम्पा के घर में बिजनेस होता था तो सुबह नौ बजे ही बेटा और पति खा पीकर दुकान चले जाते थे ।और बेटी कालेज चली जाती थी। फिर वो सारे दिन फ्री रहती थी।सुबह जल्दी उठना होता था उनका तो सारा काम जल्दी निपट जाता था।और प्रिया के दो बेटियां थीं जो दिल्ली में पढ़ाई कर रही थी । प्रिया और उसके पति शेखर ये दोनों लोग ही रहते थे मस्ती से ।उनका रूटीन कुछ अलग था देर से सोकर उठना और रात देर तक जगना भी होता था । कोई दिक्कत नहीं थी सबका अपना अपना रूटीन होता है।लोग अपने तरीके से जीना चाहते हैं तो इसमें हर्ज ही क्या है।

                       लेकिन चम्पा भाभी बस काम से फुर्सत होकर प्रिया के घर आकर बैठ जाती थी जैसे अपने घर में ही बैठी हो । फिर जाने का नाम ही न लेती। फिर भी प्रिया को खाने का समय हो रहा है और वो बैठी है तो खाने को पूछना पड़ता था।और वो बेशरम की तरह खाने भी बैठ जाती थी।अब प्रिया ने खाना अपने और शेखर के लिए ही बनाया है लेकिन फिर उसी खाने में दो का चार करना पड़ता था। चम्पा के इस रवैए से प्रिया परेशान हो गई थी। कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था।

                  बैठना तो बैठना अब अक्सर हर चीज मांगने भी आ जाती थी जैसे अदरक दे दो ज़रा चाय में डालनी है या कौन सी दाल बनाई है थोड़ी सी दे दिया कौन सी सब्जी बनाई है जरा चखाना , चखाना क्या फिर ढंग से देना पड़ता था ।तुम्हारे खाने में बड़ा स्वाद है प्रिया अच्छा खाना बनाती है भई मुझे तो बहुत पसंद आता है तुम्हारा सब चीज ।

                  प्रिया सबेरे देर से सोकर उठती थी क्योंकि रात में देर से सोती थी । लेकिन यदि चम्पा भाभी को कुछ चाहिए तो वो सुबह-सुबह ही प्रिया के घर की घंटी बजा देती थी।आज तो हद हो गई सुबह सुबह ही प्रिया के घर की घंटी बजा दी की एक कप दूध दे दो चाय की बड़ी तलब लग रही है और दूध खतम हो गया है अभी दूध वाला आया नहीं है। प्रिया आज बहुत गुस्से में थी क्या करूं इनका।

                प्रिया के पति शेखर का आफिस से लौटते वक्त एक्सीडेंट हो गया ।पैर की दो जगह से हड्डी टूट गई तो अस्पताल में भर्ती कराया और उनका आपरेशन कराना पड़ा। प्रिया अकेले ही अस्पताल में शेखर की देखभाल कर रही थी क्योंकि यहां पर उसके कोई रिश्तेदार वगैरा नहीं थे । सुबह सुबह जब प्रिया अस्पताल से घर आती थी

कि नहा धो लूं और कुछ खाना बना लूं अस्पताल ले जाने को उसके पास दो तीन घंटे होते थे जिसमें उसको सारा काम निपटाना होता था ‌। प्रिया के घर आते ही चम्पा भाभी घर आ जाती थी कि चलो भाई साहब का हालचाल पूछने आए । हालचाल लेने के बहाने बस बैठी तो बैठ ही जाती थी । प्रिया को समझ नहीं आता था कि चम्पा भाभी हर वक्त बैठने को ही तैयार रहती है ये नहीं सोंचती कि अगले को समय है कि नहीं । क्या करें कैसे पीछा छुड़ाएं समझ नहीं आ रहा था ।

               फिर दूसरे दिन जब प्रिया अस्पताल से घर आई तो दरवाजे की घंटी बजती उसने खिड़की से देखा तो चम्पा भाभी प्रिया ने दरवाजा ही नहीं खोला । फिर साइड की खिड़की से आवाज देने लगी । प्रिया सोचने लगी बिल्कुल ही चिकना घड़ा है कोई बात का असर ही नहीं होता ।

               प्रिया मन ही मन सोचती रही कि कैसे इनसे पीछा छुड़ाया जाए ।आज एक हफ्ते बाद शेखर की अस्पताल से छुट्टी हुई और घर आ गए ।चाय पीते पीते प्रिया ने अपनी परेशानी शेयर की तो शेखर ने कहा अच्छा तुम परेशान न हों मैं कुछ करता हूं।

             अस्पताल से घर आने पर चम्पा भाभी आज शाम को शेखर का हालचाल जानने घर आई क्योंकि प्रिया सुबह घर पर नहीं थी , फिर तीन घंटे से बैठी है । दूसरे दिन जब फिर से घर आई तो शेखर ने जोर जोर से बोलना शुरू कर दिया प्रिया एक हफ्ते से अस्पताल में तुम भी परेशान हो गई हो थकान हो रही है दरवाजा बंद करो और आराम करों।और मेरे को भी सोना है जो भी कोई आ रहा है उससे कह दो अभी मुझे आराम करना है । चम्पा भाभी बाहर से सुन रही थी। चम्पा भाभी बाहर कमरे में बैठी रही प्रिया अंदर से बाहर ही नहीं आई। चम्पा भाभी थोड़ी देर में उठकर चली गई।

             अगले दो दिन तक नहीं आई चम्पा भाभी प्रिया और शेखर बड़े खुश हुए कि चलो जान छूटी। लेकिन दो दिन बाद दरवाजे की घंटी बजती प्रिया ने दरवाजा खोला तो सामने चम्पा भाभी खड़ी थी। कहने लगी दो दिन हो गए थे सोचा भाईसाहब का हालचाल ले लूं ।अब प्रिया को बहुत गुस्सा आ गया और वो अपने को रोक न सकी और कहने लगी भाभी जी शेखर अब बिल्कुल ठीक है और मुझे भी आज बहुत काम है मैं आपके पास बैठ नहीं पाऊंगी ।और प्रिया ने दरवाजे पर खड़ी चम्पा भाभी के मुंह पर ही दरवाजा बंद कर दिया।और भुनभुनाते हुए अंदर चली गई। बिल्कुल चिकना घड़ा है भाभी जी किसी बात का कोई असर ही नहीं करता। दिमाग खराब करके रखा है।

       कभी कभी हमारा ऐसे लोगो से पाला पड़ जाता है जिनसे पीछा छुड़ाना बहुत मुश्किल होता है।उन पर किसी बात का कोई असर नहीं होता है।और न ही आपकी परेशानी से उनको कोई सरोकार होता है।चिकने घड़े की तरह सबकुछ ऊपर से नीचे सरक जाता है ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

8 सितम्बर

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