Moral stories in hindi : शिप्रा और रीत एक दूसरे के सामने देखकर मुंह बिगाड़ने लगी , शिप्रा रीत को धीरे से बोली इसको तो कोई लाज शर्म भी नहीं हैं देखोना , वर्ना इतनी सीरीयस बात पर भी इसको सब्जी कौन सी बनी हैं इसकी पडी हैं !!
रीत बोली भाभी , यह जान बूझकर हमारे मुंह नहीं लगना चाहती क्योंकि इसको तो अब बना बनाया खाना खाने की आदत पड़ चुकी हैं , यह भला हमसे बिगाड़कर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी क्यों मारेगी और रही बात लाज शर्म की तो संस्कार गिरवी छोड आई हैं यह अपने मायके में बोलकर दोनों धीरे धीरे हंसने लगी !!
शिप्रा बोली हां रीत तु बिल्कुल सही कह रही हैं इसलिए तो हमें आज रात मांजी से बात करनी ही पड़ेगी वर्ना यह तो इस में राज करेगी वह भी हमारे राज में ही ….
शिप्रा , रीत और वंदना तीनों इस घर की बहुएं थी , तीनों के पति दुकान संभालते थे !! तीनों बेटों के पिता मणिलाल जी और मां सरला जी अपना हंसता खेलता परिवार देखकर खुश थे !! बडे दोनों बेटे नितिन और नीरज की शादी को सात वर्ष हो चुके थे और दोनों की पत्नियां शिप्रा और रीत में खुब बनती थी इसलिए यह संयुक्त परिवार अब तक आबाद था मगर जब से छोटे बेटे प्रणय की शादी वंदना से हुई थी , तब से बडी दोनों बहुओं के दिमाग में कुछ ना कुछ चलता ही रहता था , कारण बस यही था कि वह नौकरी पर जाती थी और यह दोनों घर का काम करती थी !!
रात को शिप्रा और रीत अपनी सास सरला जी के कमरे में आए , शिप्रा के हाथ में मांजी को पैरों में लगाने के लिए सरसों का तेल था और रीत के हाथों में मांजी की मनपसंद चावल की खीर थी !!
दोनों बहुए सरला जी के पास आकर बैठ गई , बडी बहु शिप्रा सरला जी के पांव की मालिश करने लगी और छोटी बहू रीत ने उन्हें अपने हाथों की बनी खीर खिलाई !!
सरला जी तो वैसे भी अपनी दोनों बहुओं से बहुत खुश थी , वे बोली आज इतनी रात को मेरे कमरे में क्यूं आई हो ??
बड़ी बहु शिप्रा तुनककर बोली मांजी आपसे वंदना के बारे में कुछ जरूरी बात करनी हैं !!
सरला जी बोली बडी बहु क्या किया वंदना ने ??
शिप्रा बोली मांजी वह तो सुबह सुबह तैयार होकर नौकरी पर चली जाती हैं और शाम को देरी से वापस आती हैं , घर का कुछ काम काज भी नहीं करती , अब आप ही बताईए ऐसा कितने दिन तक कोई झेल सकता हैं ??
पीछे से रीत भी बोली मांजी हम दोनों बहुएं क्या इस घर की नौकरानी हैं ?? जो सारे दिन किचन में पीसती रहें और वह महारानी की तरह सिर्फ कमाने चली जाए और आकर सिर्फ खाना खाए !!
सरला जी दोनों बहुओं की बात सुनकर बोली तुम दोनों बिल्कुल फिक्र मत करो , उसकी अक्ल कल मैं ठिकाने लगाती हुं !!
सास की बात सुनकर दोनों बहुए खुश होकर अपने अपने कमरे में चली गई और दूसरे दिन का बेसब्री से इंतजार करने लगी कि देखते हैं कल उनकी सास वंदना की किस तरह से खबर लेगी ??
दूसरे दिन सुबह सरला जी डायनिंग टेबल पर बैठकर चाय पी रही थी और सभी को घूर रही थी , उन्होने देखा कि वंदना ने रसोई में दोनों भाभियों की थोड़ी बहुत मदद की और वह ऑफिस जाने के लिए तैयार होने चली गई !!
वंदना जैसे ही अपने कमरे से तैयार होकर बाहर आई , सरला जी बोली बहु माना तुम नौकरी करती हो मगर नौकरी के साथ साथ घर के कामों में बराबरी की मदद करना भी तुम्हारा फर्ज हैं , दोनों बड़ी बहुएं घर में दिन भर पीसती रहें और छोटी बहु सिर्फ कमाने पर ध्यान दे यह तो गलत बात हैं. !!
आज ही शाम से तुमको भी इन दोनों के जितना बराबर काम करना होगा क्योंकि संयुक्त परिवार में हम सभी का फर्ज बराबर का बनता हैं , आज से तुम्हें भी अपनी भाभियों की बराबरी की मदद करनी होगी !!
रसोई में से शिप्रा और रीत सास के यह शब्द सुनकर बहुत खुश हुई और वहीं दूसरी तरफ वंदना यह सब सुनकर उदास हो गई क्योंकि ऑफिस से थके हारे लौटकर उसमें घर के काम करने की क्षमता कम ही बचती थी फिर भी सास की आज्ञा को पालने के अलावा उसके पास ओर कोई चारा ना था इसलिए वह चुप रही और उसने हां में हामी भर दी !!
शाम को जब वंदना ऑफिस से आकर रसोई में गई तो उसने देखा कि दोनों भाभी ने कुछ काम नहीं करके रखा हैं , दोनों आराम से टी.वी देख रही थी !!
वंदना के रसोई में जाने के बाद वे दोनों भी रसोई में गई !!
शिप्रा बोली वंदना तुम पहले आटा गूंथ लो , सब्जी रीत काट देगी और मैं दाल बनाने की तैयारी करती हुं , तीनों ने मिलकर सारा खाना बनाया और अंत के सारे बर्तन वंदना के लिए सिंक में छोड़ दिए !!
रात के बारह बजे तक वंदना ने सारे बर्तन धोए और अपने कमरे में जाकर ऐसी सोई कि उसकी आंख सीधे सुबह के सात बजे खुली !! ऑफिस के लिए आठ बजे निकलना था , वह रसोई में गई तो देखा की दोनों भाभियों ने कुछ तैयारी नहीं कर रखी थी , वे दोनों अपनी चाय पी रही थी !!
वंदना के पास ज्यादा समय नहीं था इसलिए उसने सभी के लिए जल्दी से पोहा बनाया और अपने टिफिन में पौहा पैक करके ऑफिस के लिए निकल गई !!
अब रोज वंदना सुबह पाँच बजे उठती और खाने , नाश्ते की तैयारी करके ही ऑफिस निकलती , शाम को आने के बाद भी रसोई का सारा काम करके देरी से सोती !!
एक महिने लगातार ऐसा रूटीन फॉलो करने की वजह से वंदना बीमार हो गई , उसे लगातार इतनी मेहनत करते देख और फिर बीमार हुए देख पति प्रणय को भी बहुत दुःख हुआ मगर संयुक्त परिवार में सबसे छोटा बेटा होने के कारण वह किसी से कुछ कहता नहीं था !!
वंदना दो तीन दिन तक ऑफिस भी नहीं जा पाई , तबीयत ठीक होते ही वापस वंदना को डेली रूटीन पर लगना पड़ा !!
प्रणय भी सब देख और समझ रहा था मगर कुछ करने या कहने की हिम्मत नहीं थी उसकी घर में !!
प्रणय घर में सभी की बहुत इज्जत करता था मगर वह अपनी पत्नी से भी बहुत प्यार करता था !!
दूसरे दिन प्रणय वंदना की घर के कामों में मदद करने लगा , यह देखकर दोनों बडी बहुए जल भून गई !!
अगला भाग
छोटी बहु की मां ने उसे कुछ संस्कार नहीं दिए !! (भाग 3)- स्वाति जैन : Moral stories in hindi
धन्यवाद !!
स्वाति जैन
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Bahut badhiya
Absolutely