छोटी बहु की मां ने उसे कुछ संस्कार नहीं दिए !! (भाग 1) – स्वाति जैन : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : आ गई महारानी नौकरी करके , नौकरी करके चार पैसे क्या कमाती हैं ?? रसोई में देरी से आती हैं , हम दोनों हैं ना इसकी नौकरानी जो इसको गर्म गर्म खाना बनाकर देंगी , इसने तो हम लोगों को नौकरानी ही समझ कर रखा हैं तभी तो आकर अपने कमरे में पसर जाती हैं और फिर खाना बनने के बाद खाना खाने आ जाती हैं , बडी बहु शिप्रा अपनी देवरानी रीत से बोली !!

रीत बोली , हां भाभी देखोना इसके मां पिता ने इसको जरा भी संस्कार नहीं दिए लगता हैं तभी तो सिर्फ नौकरी पर जाना ही आता हैं इसे वर्ना संस्कार होते तो पहले सारे घर के काम निपटाती , बाद में ऑफिस जाती !!

शिप्रा बोली कैसी संस्कारहीन देवरानी मिली हैं हमें , सच कह रही हो तुम हमारे मां पिता ने हमें इतने अच्छे संस्कार दिए थे तभी तो हम आज पुरा घर अच्छे से संभाल रहे हैं और एक यह हैं जो सुबह सवेरे नौकरी पर जाकर अपने आपको तीसमारखां समझती हैं , संस्कार होते तो हमारी तरह घर गृहस्थी संभालती मगर ना जाने क्या हो गया हैं आज की लड़कियो को , नौकरी करके समझती हैं कि घर के कामों से आजादी मिल जाएगी , सब संस्कारो का खेल हैं छोटी !!

रीत बोली भाभी ,हमें कुछ ना कुछ करना पड़ेगा , वर्ना हमारे घर की यह छोटी बहु वंदना पुरे घर पर राज करेगी और हम दोनों जिंदगी भर इसकी गुलामी करेंगी !!

शिप्रा बोली छोटी , इसका भी उपाय सोच रखा हैं मैंने , अब तक तो मांजी यहीं कहती थी अरे छोटी बहु अभी नई नई हैं , धीरे धीरे सब सीख जाएगी मगर अब तो वंदना को शादी किए पांच महिने हो गए हैं , शादी के दो महिने तो वंदना मैडम ने घूमने फिरने और अपने मायके आने जाने में ही गुजार दिए और फिर अपनी नौकरी ज्वाइन करके बैठ गई , चलो यहां तक भी ठीक था मगर अब घर के काम भी नहीं करती , आज रात तो मांजी से इसकी शिकायत ना लगाई तो मेरा नाम भी शिप्रा नहीं !! आज तो मांजी को भी बताना ही पड़ेगा कि इनकी छोटी बहु में संस्कारो की कमी हैं जो आपको पुरी करनी पड़ेगी !!

थोड़ी देर में वंदना अपने कमरे से रसोई में आकर बोली भाभी आजकल ऑफिस में काम बहुत बढ़ गया हैं , अच्छा हुआ जो आप दोनों हो वर्ना ना जाने मैं घर और ऑफिस दोनों कैसे मैनेज करती ??

मंजली बहु रीत बोली वंदना , तुम्हें ऑफिस में भला करना ही क्या होता हैं ?? ऑफिस की कुर्सी पर बैठे बैठे ही तो काम करती होगी मगर यहां हम दोनों बेचारी पुरा दिन लगी रहती हैं , तुमसे ज्यादा थकान का काम तो हम करती हैं फिर भी कभी तुम्हारी तरह काम की शिकायत नहीं करती !!

शिप्रा भी कहां चुप रहने वाली थी वह बोली हां वंदना , रीत बिल्कुल सही कह रही हैं , तुम तो ऑफिस से आकर बिस्तर पर फैल जाती हो और हम दोनों बेचारी पुरे दिन घर की रसोई में कुछ ना कुछ बना रही होती हैं !!

वंदना को अपनी दोनों जेठानियों के मुंह से निकले यह शब्द समझ तो आ रहे थे मगर वह समझना नहीं चाहती थी क्योंकि वह घर में कोई बखेड़ा नहीं शुरू करना चाहती थी और वह सच में ऑफिस से आकर इतनी थक जाती थी कि उसमें किसी से बहस करने की हिम्मत तक नहीं बचती थी इसलिए वंदना बात को टालते हुए बोली अरे वाह भाभी !! पालक की सब्जी बनाई हैं आज आप लोगों ने , मुझे पालक की सब्जी बहुत पसंद हैं !!

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धन्यवाद !!

स्वाति जैन 

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