छोटी बहन – मधु शुक्ला .

यह कहानी हमारी परिचिता के अनुभव के आधार पर निर्मित है। कई बार जिंदगी में ऐसी घटनाएं हो जातीं हैं। जो हमारी विचारधारा, जीवन शैली को बदल देतीं हैं। अनामिका के पड़ोस में रहने वाली तलाकशुदा मीता के बारे में अनुज अच्छी राय नहीं रखता था। इसलिये वह अपनी पत्नी नीलिमा को उससे दूर रहने की हिदायत देता रहता था। वैसे भी वह नीलिमा का कहीं आना जाना पसंद नहीं करता था। घर के बाहर के सभी काम वह स्वयं करता था इसीलिए। लेकिन नीलिमा पति की अनुपस्थिति में मीता से कभी-कभी मिल लेती थी। उसी की सलाह पर उसने कुछ पैसा अपने मायके से मिले गहनों को बेचकर एकत्रित करके, एक प्राइवेट  कंपनी के शेयर ले लिए थे। जिनसे उसे हर महीने घर बैठे आमदनी होती थी। जिसका उपयोग वह अपने व्यक्तिगत खर्चों के लिए करती थी। और बचे हुए पैसों को बैंक मे जमा किया करती थी। (मीता ने ही उसका खाता खुलवाया था। तथा पैसे भी वही ले जाकर जमा करती थी) इस तरह नीलिमा ने अच्छी खासी रकम जोड़ ली थी। दुर्भाग्यवश एक बार अनुज की बहुत ज्यादा तबीयत खराब हो गई। नीलिमा तो बाहर की दुनिया से अनभिज्ञ थी। और परिवार का भी सहारा दूर होने के कारण नहीं मिल पा रहा था। घबरा कर नीलिमा ने मीता का सहारा लिया। मीता के सहयोग और नीलिमा की बचत से  अनुज को स्वास्थ्य लाभ हुआ।

अनुज अपनी सोच पर बहुत शर्मिंदा हुआ यह जानकार कि उसे मीता की वजह से जीवन दान मिला है। और इस घटना से प्रभावित होकर उसने पत्नी पर लगाये हुए सभी प्रतिबंध हटा लिए। और मीता को छोटी बहन का सम्मान दिया।अनामिका ने नीलिमा और अनुज की बदली जीवन शैली से प्रेरित होकर अपनी बहू के जीवन को नई दिशा प्रदान की। और जो लोग बहुओं को कैदी बना कर रखते हैं। उन्हे समझाया करती है। बहुओं का हक देने के लिए। इस वजह से अनामिका बिना किसी रिश्ते के सबकी बुआ कहलाती है। और बहुओं को वह अपनी लगती है। 

 

स्वरचित — मधु शुक्ला .

सतना , मध्यप्रदेश .

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