नीरू जब से शादी हो कर आई थी तब से ही काम अपने सर पर ले लिया उसकी सास बोलती भी की बहु नई नई शादी हुई है अभी आराम करो राघव के साथ घूमने जाया करो उसे ज्यादा समय दो पर नूरी के मन मै बचपन का डर बैठा की काम नहीं किया तो घर से निकाल देंगे और वो वापस मायके नही जाना चाहती थी क्योंकि यहां पर कम से कम उसे प्यार तो मिल रहा था आज अचानक सास का स्पर्श पा कर नूरी खुद को सम्हाल नही पाई उसे समझ नही आया क्या करे वो जल्दी से उठ कर खड़ी हो गई सासु मां को देख कर घबरा गई थी
अरे क्या हुआ बहु ऐसी घबरा क्यों गई वो तो मुझे लगा की इतनी देर तक तुम सोती नही हो तो देखूं पर तुम्हे तो बुखार लग रहा है तुम आराम कर लो
नही मांजी मैं ठीक हूं मैं अभी काम करती हूं माफ करना देर हो गई नीरू जल्दी से कमरे से जाने लगी तो सास ने हाथ पकड़ कर पास बैठाया बोली काम हो जायेगा मैं हूं रश्मि (ननद) है हम कर लेंगे तुम कुछ खा कर दवाई ले लो और नहीं ठीक हुआ तो डॉक्टर के चलेंगे
इन बातों को सुनकर नीरू की आंख से आंसू निकल गए सास बोली क्या हुआ मायके की याद आ रही क्या तुम कहो तो राघव छोड़ आएगा
नीरू बोली नहीं मांजी असल मैं इतना प्यार देख कर आंखे भर आई अभी तक किसी को मेरे बीमार होने से कोई फर्क ही नहीं पड़ता था बस एक मशीन बनकर रह गई थी नीरू आह भरकर
बोली ।ऐसा क्यों सास अचरज से बोली
असल मैं मांजी जब मैं छोटी थी तो मां का देहांत हो गया पिताजी ने दूसरी शादी कर ली की मुझे और घर को कौन संभालेगा
पर दूसरी मां ने आते ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया मुझसे सारे काम कराने लगी और कहती पिताजी से कहा तो घर से निकाल दूंगी
मैं डर गई शुरू मै तो कई बार मुझे चोट लग जाती या जल जाती तो पिताजी पूछते तो मैं बहाना बना देती मां उनके सामने अच्छी होने का नाटक करती रहती जिस वजह से पिताजी कुछ समझ नही पाए बड़ी होने के साथ जिम्मेदारी भी बढ़ गई एक बार मैं बीमार हुई मुझसे काम नही हो रहा था तो मां ने बहुत मारा और बोली आइंदा बहाना किया तो सोच लेना दो भाई -बहन के आ जाने से अब पिताजी भी उनको ही समय देते उन्हे लगता मैं बड़ी हो गई हूं
तब से मुझे याद नहीं की बीमारी की मैने किसी से कहा हो क्योंकि किसी को फर्क नही पड़ता
मां तो मेरी शादी भी नही करना चाहती पर ससुर जी पिताजी के दोस्त थे उन्होंने आगे से हाथ मांगा तो मां ज्यादा बोल नही पाई पर इस एक महीने मैं ही मुझे बहुत प्यार मिल गया और आज
तो प्यार की छांव मैं मुझे जीवन का सुकून मिल गया ।
सास बोली चलो बहू जो हुआ उसे भूल जाओ हमें तो पता नही था पर इस घर मैं सबको फर्क पड़ेगा तुम्हारे बीमार या दुखी होने से आगे से कोई भी बात हो तो बता देना अब तुम आराम करो मैं नाश्ता भिजवाती हूं
नीरू सास के गले लग गई बोली आज मुझे मेरी मां वापस मिल गई अब उन्हें सुकून मिलेगा
सास ने कहा हां मुझे अपनी मां ही समझो
#मेरे बीमार होने से किसी को फर्क नही पड़ता
स्वरचित
अंजना ठाकुर