कॉलोनी में बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे व थोड़ी दूर लगी बैंच पर कुछ बुजुर्ग बैठे बातें कर रहे थे…!!!
तभी अचानक से गेंद आयी और गौरव के दादाजी के चश्में पर लगी और चश्मा गिरकर टूट गया…!!!
गौरव व अन्य बच्चे सहमे से खड़े होकर देखने लगे…!!!!
दादाजी ने बोला…कोई बात नही बच्चों….तुमसे गलती से गेंद लगी है…खेलना तो जरुरी है…मैं गुस्सा नही हूँ बस थोड़ा परेशान हूँ..और उठकर घर की तरफ बढ़ गये…!!!!
बच्चों ने भी खेल बंद कर दिया वो भी अपने अपने घर चले गये…!!!!!
गौरव भी जैसे ही अपने घर में दाखिल हुआ तो पापा दादाजी को बोल रहे थे…बाबूजी आपको ध्यान रखना चाहिये था ना…कितना मँहगा चश्मा था…????
गौरव से रहा नही गया तो वो बीच में ही बोल पड़ा…पापा पर गलती तो हम बच्चों की थी जिसे दादाजी ने माफ कर दिया…आप दादाजी को किस गलती के लिये डाँट रहे है…????
पापा ने गुस्से से गौरव को कहा…तुम्हे बड़ों के बीच में बोलने की जरूरत नही है…!!!!
आज के बच्चे कहाँ मानने वाले थे…गौरव बोला.. वाह पापा आज सुबह ही तो आप गाँधी जी के बारे में बता रहे थे तो कह रहे थे कि गलत सुनो मत..कहो मत…देखो मत…पर आप तो यही सब कर रहे है….मुझे चुप रहने को बोल रहे है….!!!!!
पापा चुप से गौरव को देख रहे थे व गौरव दादाजी का हाथ पकड़कर उन्हें उनके कमरे में ले जा रहा था….!!!!
गुरविन्दर टूटेजा
उज्जैन(म.प्र.)