मिसेज शर्मा छत पर कपड़ों की बाल्टी लेकर पहुँची ही थीं कि मिसेज वर्मा की आवाज से चौंक पड़ीं ।
अरी बहन, कब से तेरी राह देख रही हूँ। आज इतनी देर कैसे कर दी कपड़े धोने में, मैं तो कब से सारे कपड़े सुखा चुकी तेरे इंतजार में खड़ी हूँ ।
हाँ बहन, आज कुछ एक्स्ट्रा काम था इसलिए देर हो गई और सुनाओ कोई विशेष बात है क्या ?
मिसेज शर्मा- अरे सुनाना क्या ?
तुझे कुछ पता भी है कॉलोनी में क्या चल रहा है? सारा दिन बस घर के काम में लगी रहती है । सामने वह मिस्टर राज हैं ना उनकी बेटी का अफेयर चल रहा है।
अच्छा बहन ।
हाँ
कल सुबह से देख रही हूँ उसे, एक लड़का मिलने आया था ।
आज भी मिलने आया है पार्क के कोने में बात कर रहे थे दोनों और हाँ पूरे दिन फोन पर बतियाती रहती है।
माँ तो है नहीं, बाप को जॉब् से फुर्सत नहीं और बेटी चरित्रहीन हो गई है।
मिसेज शर्मा- सही बात है बहन जमाना बहुत खराब हो गया है। उसकी तो माँ नहीं है पर माँ-बाप दोनों केयर करते हो तो भी आजकल के बच्चे बिगड़ रहे हैं । यह सब मोबाइल ,फिल्मों व सोशल मीडिया का कमाल है ।
तभी अचानक मिसेज वर्मा के घर की कॉलवेल बजती है ।
इतने समय कौन आ गया ? मिसेज शर्मा ने पूछा ।
कोई नहीं बहन, बेटा आया होगा आज पहली बार अपनी गर्लफ्रेंड को मुझसे मिलाने लाया है ।
यह उम्र ही नादान होती है इसमें प्यार-व्यार, दोस्ती व अट्रैक्शन आम बात है ।
बेटा कह रहा था, मम्मा पहले आप बात कर लो अगर पसंद हो तो पापा से बात कर लेना ।
अब बच्चे की खुशी में ही हमारी खुशी है । उसके पापा को तो मैं चुटकियों मना लूँगी ।
अब जाती हूँ बहन, दोनों बच्चे गेट पर इंतजार कर रहे होंगे ।
मिसेज शर्मा मिसेज वर्मा के चरित्र प्रमाण पत्रों को देख अवाक रह गईं।
स्वरचित
वंदना चौहान
आगरा