Short Stories in Hindi : “सुंदर नक्काशी किए हुए ये चांदी के कड़े आपके पैरों में कितने सुंदर लगते है दादी”
पायल ने अपनी दादी सुलक्षणा जी से कहा, तो दादी जल्दी से उन्हे उतारते हुए बोली,
अरे ये तो मैं, अपने प्रियांशु की शादी
में उसकी दुल्हन को मुंह दिखाई में दूंगी, और उठाकर
अपनी अलमारी में रख आई।
मां जल्दी करो, वहा शादी का रिसेप्शन शुरू भी हो गया है और आप लोग अभी तैयार ही नहीं हुए, पायल के पिता सुमेश ने गाड़ी में बैठे हुए ही,अपनी मां को पुकारा तो देखा, एक बहुत सुंदर लाल रंग का डब्बा हाथ में लिए गाड़ी की तरफ ही आ रही है।
सरला (पायल की मां) ने थोड़ा चिंतित स्वर में अपने पति सुमेश से पूछा, सुनो जी इतने बड़े समारोह में जा रहे है, क्या हमारे ये सामान्य से उपहार आपकी बहन बहनोई जी को पसंद आएंगे?..
बिल्कुल आयेंगे, माना व्यापार में रात दिन तरक्की करके
दीदी और जीजाजी आज शहर के सबसे बड़े उद्योगपतियों
में गिने जाते है, पर हमारे दिलों में आज भी वही प्यार है,
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सुमेश ने सरला से कहा और चारों थोड़ी देर में एक बेहद आलीशान होटल में पहुंचे, वहां की साज सज्जा देख चारों के मुंह खुले ही रह गए।
स्वागत करती सजी धजी अपनी नंद प्रिया को देख सरला ने उन्हें बधाईयां दी और साथ लाए उपहारों को देने लगीं.. अरे भाभी आपने इतना खर्च क्यों किया, वैसे भी मेरे यहां ये कपड़े, फल मिठाईयां कोई नही पसंद करेगा,
अपनी नंद की बात सुनकर सरला का मुंह उतर गया, तभी वहा पायल आई और अपनी दादी और मां के साथ दूल्हा दुल्हन के साथ फोटो कराने स्टेज पर जानें ही लगी थी की प्रिया अपनी मां के हाथ में एक बड़ा सा डब्बा पकड़ाकर बोली….
मां इसमें एक हीरे का हार है, ये आप अपनी तरफ से अपने नवासे की बहू को मुंह दिखाई में दे दो, पर मैं तो उसके लिए ये चांदी के कड़े लाई हूं और वही दूंगी, बूढ़ी मां ने अपनी अभिमानी बेटी को दो टूक जवाब दिया।…
मां समझा करो, ये मैं अपने परिवार के लिए ही कर रही हूं
ताकि कोई भी मेरे और मेरे पीहर वालो का मजाक ना बना सके।
रहने दे बेटा मुझे मत सिखा, तेरी आंखों पर अमीरी का चश्मा चढ़ चुका है, इसीलिए तुझे तेरे गरीब पीहर वाले अब “दाग”
की तरह नजर आ रहे है जिन्हे तू इस हीरे के हार की चमक में छिपाना चाह रही है, तेरा ये हार और अमीरी तुझे ही मुबारक समझी, ऐसा कहकर सुलक्षणा जी अपने परिवार के साथ स्टेज पर चली गई।
“नानी” कहते हुए प्रियांशु और उसकी दुल्हन रिया ने सुलक्षणा जी के पैर छुए और अपने साथ बिठा लिया।
उन्होंने अपने साथ लाया हुआ “लाल डब्बा” रिया को मुंह दिखाई में दिया और प्रियांशु से बोली, देख जो तूने मांगा था वही दे रही हूं तेरे पसंदीदा “चांदी के कड़े”
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तू हमेशा एक ही बात कहता था की नानी ये कड़े आप मेरी दुल्हन को ही देना और देख आज मैं ये तेरी दुल्हन के लिए ले आई हूं…. “ओह नानीजी ये तो बहुत ही एंटीक और खूबसूरत है, मुझे बहुत बहुत पसंद आए” ऐसा कहकर प्रियांशु और रिया सुलक्षणा जी के गले लग गए।।।।
प्यार और आशीर्वाद की चाशनी में लिपटे नानी के उपहार के सामने हीरे की चमक भी फीकी पड़ गई थी।।।
स्वरचित, मौलिक रचना
#दाग
कविता भड़ाना
vd