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“देख बेटा खाने पीने का ध्यान रखना वो पीले बैग को अपने पास रखना उसी में खाना पीना 9 घंटे की फ्लाइट है लंदन की।चेक इन अच्छे से कराना।बाकी चार भी है इसमें सो जाना ओढ़कर।”
18 वर्षीय स्वाति को एयरपोर्ट के गेट पर उसकी मम्मी गायत्री अपने अंदर के सैलाब को दबाते हुए उसे समझाते हुए बना रही थी।बेटी अकेली पढ़ने लंदन जा रही थी।गायत्री खुद को कमजोर नही दिखाना चाह रही थी।ताकि उसकी बेटी को हिम्मत मिल सके।
फिर स्वाति बोली
“मम्मा आप 10 बार बता चुके हो मुझसे ज्यादा आप नर्वस हो रहे हो आपकी बेटी हूँ सब आराम से होगा 2 साल की ही तो बात है टेंशन ना लो अच्छा ठीक है बाय।ओय छोटू ध्यान रखिये मम्मी का दादा दादी का।अब तू ही इकलौता आदमी है घर में पापा तो आलरेडी कनाडा में हैं।आफिस टूर पर।सबको डेली काल करूंगी।”
गायत्री हाथ हिलाकर तब तक विदा करती रही जबतक स्वाति आँखो से ओझल नही हो गयी।फिर कार मैं बैठकर घर की ओर बापस चल दी।फोन बजा तो देखा पतिदेव का वीडियोकॉल था।
“हाँ गायत्री सब ठीक रहा ना “
पतिदेव का इतना ही कहना था कि सैलाब फूट पड़ा गायत्री का और रोते हुए बोली
“कैसे करेगी अकेली चाहे कितनी भी सुविधायें हमने पहले से करदीं छोटी है वो अभी किताबों के अलावा लोंगो को नही जानती मेरी छोटी सी जान और वो भी विदेश जाने में भी 9-10 घंटे लगते आप नही समझते क्या बीत रही मुझपर खुदको बहुत स्ट्रांग दिखा कर विदा किया है”
फिर पतिदेव बोले
“देखो तुम बिल्कुल सही हो अपनी जगह लेकिन तुम ही तो हमेशा कहती थीं एक बात कि बच्चों को कलेजे से चिपकाए नहीं घूमना चिड़िया के बच्चों कीवतरह घोसलें की चारदिवारी को तोड़कर बाहर उड़ना सिखाना है गिरेंगे उठेंगे खुद चलेंगे आगे बढ़ेंगे मजबूत बनेंगे खुद के निर्णय लेंगे।देखो मुझे भी लग रहा है लेकिन सब उसके अच्छे के लिए है।आज मैं पैसा इसी दिन के लिए तो कमा रहा हूँ”
ऐसा कहकर गायत्री को शांत करते हुए पतिदेव बोले।
गायत्री घर आ चुकी थी आते ही सासु माँ के कमरे में गई। सासु माँ समझ गई थी उन्होंने गायत्री को बिठाया अपने फिर गायत्री ने अपना सिर उनकी गोद में रख दिया।और आँख से आंसू गिर रहे थे।सासु माँ उसके सिर पर हाथ रखकर बोली
“पगली पढ़ने भेजा है कोई ससुराल थोड़े गई ऐसे कर रही तू तो।और तू तो हम सबकी हिम्मत है तूने कितनी विपदाओं के बीच अपनी पढ़ाई पूरी की अकेले जा जाकर बचपन से भूल गई क्या अब तेरी बेटी है।हम नारी शक्ति ऊर्जा का स्रोत हैं वो सकारात्मक अब 9 घंटे बाद बात करना उससे और आजकल तो वीडियोकॉल की सुविधा है ऐसे ही लेगा पास है। चल उठ चाय पीले मैने बनायी है थक गई होगी और परांठे रखे तेरे मनपसंद अचार के तेल के चीनी वाले”
9 घंटे बाद स्वाति लंदन एयरपोर्ट पर उतर चुकी थी कालेज वालों ने टैक्सी भेज दी थी।टैक्सी में बैठकर लंदन से नाटिंघम के सारे नजारे देख रही थी पहली बार अपने देश से दूर आज उसे मम्मी की थोड़ी सी याद आयी। हास्टल पहुंचकर सामान रखा।और,सबको वीडियोकॉल किया तब जाके पूरा परिवार की जान में जान आयी।
दिन निकलते गये स्वाति ने साइकिल ले ले थी हास्टल से कालेज तक एक दिन लाइब्रेरी में उसे देर हो गई रात के 10 बज गये थे ठंड अपनी चरम सीमा पर थी।बर्फ गिर रही थी।उसने साइकिल उठायी और चल पड़ी।कुछ दूर जाने के बाद उसे कुछ ऐसा लगा कि कोई उसका पीछा कर रहा है।उसने साइकिल रोककर पीछे देखा तो कोई नही था जैसे साइकिल चलाने को वो बड़ी आगे से उसकी साइकिल को चार लोगों ने घेर लिया।उसने बचने की बहुत कोशिश की लेकिन वो सड़क पर गिर पड़ी। हेल्प हेल्प चिल्लाने लगी लेकिन दूरतलक कोई नही था।मम्मी के कहे अनुसार वो हमेशा मिर्च स्प्रे अपनी पाकेट में रखती थी उसने पाकेट टटोली लेकिन कुछ हाथ नही लगा सिवाय काली माता के एक कलेंडर वाले फोटो के उस दिन खरीदा था उसने पूजा करने के लिए अगले दिन नवरात्र जो थे।काली माँ को देखकर उसके अंदर गजब की शक्ति उत्पन्न हुई और उसके अवचेतन मन जाग चुका था।देखते ही देखते उसने उन चारों को छकाया और एक एक करके सबको धूल चटा दी।वे ताइक्वांडो चैंपियन थी और आज असली परीक्षा थी।वो लोग भी पिटकर बोल रहे।
“हू आर यू ?”
फिर स्वाति बोली
“आई एम चंडी फोर यू डकैतों”
तुरंत पुलिस को फोन किया और गुंडो को जेल भिजवाया।अगले दिन न्यूज वायरल हो गई।
“भारत की चंडी ने दिखाई वीरता”
इधर वीडियोकॉल पर मम्मी ने डांटना शुरू कर दिया।
“क्यूं रात को लेट हुई तेरा स्प्रे कहाँ गया किसी के साथ आया कर “
स्वाति बोली
“मम्मा चिल यार यू नो ना देवी चंडी इनसाइड मी एंड आलवेज विद मी।चाहे भारत हो या लंदन देवी जी को का फर्क उन्हें तो आलवेज माई रक्षा करिंग।अच्छा मुझे यहाँ उपले मिल गए हैं और अज्ञारी करने की परमीशन भी कल से नवरात्र जो हैं।अपुन व्रत रखेगा ना बोले तो एक दम मस्त पूजा वूजा होगी देश छोड़ा हैं संस्कृति थोड़े।जय चंडी देवी जी की।”
सब हंस पड़े अगले दिन हास्टल के सारे लोग (विदेशी)कौतुहल वश देखने लगे हवन करते हुए स्वाति को और उस दिन सारे लड़के लड़कियों ने भारतीय परिधान धारण कियें और स्वाति को कहा
“नाऊ वी आर विद यू वी विल आलसो डू फाइटिंग फोर 9 डेज एंड डूयिंग आल आवर थींगस लाईक यू”
स्वाति को घर नजर आने लगा और बोली “बोलो सांचे दरबार की”
सब गोरे एक साथ बोले जय
-अनुज सारस्वत की कलम से
(स्वरचित एवं मौलिक)