“आज भी याद करती हूं तो लगता है कल कि ही तो बात थी! जब हमारी शादी तय हुई थी दिल चाहता था आपसे कुछ प्रेम भरी बातें करूं पर कहीं न कहीं डर भी लगता था। हाथ में फोन उठाती थी कुछ नंबरों तक जाती थी, फिर वापस हाथों को पीछे कर लेती थी।” पुरानी तस्वीरों को देखते हुए सुनंदा जी अपने पति मनोहर जी से बोल रही थीं।
मनोहर जी मुस्कुराते हुए बोले “अभी तो हमारा गोल्डन टाइम चल रहा है। देखो दोनों बेटियों को ब्याह कर कितने निश्चिंत से बैठा हूं, अब तो बस मेरा सारा वक्त और प्रेम तुम्हारे लिए ही है। बोलो तो पुराने दिनों को फिर से वापस ला दूं?”
सुनंदा जी मुस्कुराकर बोलीं “ये कैसी बातें कर रहे हैं। आप उन दिनों को कैसे वापस ले आएंगे जरा बताइए?” वो बोले “कुछ दिन ठहर जाओ मैं तुम्हारी सारी पुरानी यादों को ताजा कर के दिखाऊंगा।” और वो मुस्कुराने लगे, उनकी मुस्कुराहट को देखकर वो बोलीं “मुझे आप पर शक होता है! कहीं इस उम्र में कोई गड़बड़ न करना हंसी के पात्र बन जाओगे।” और सुनंदा जी भी हंसने लगी।
तभी मनोहर जी एक पुरानी तस्वीर निकालकर पत्नी के सामने रखें और बोले “याद है तुम्हें जब शादी के पहले मेरी मां ने तुमसे मिलने के लिए मुझे मना किया था। मैं शाम के वक्त तुम्हारे घर के बाहर मोटरसाइकिल के चक्कर लगाता था, तुम्हारे मोहल्ले वालों ने एक बार मुझे पकड़ लिया था! वो तो भला हो मेरी सासू मां का जिन्होंने मुझे छुड़ाया, और तुम.. दूर खड़ी खिड़की पर मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी उस वक्त मुझे तुम पर बड़ा गुस्सा आया था।”
सुनंदा जी बोलीं “हाय हाय आप कैसी बातें करते हैं मैं मुस्कुराती नहीं तो और क्या करती? सबके सामने जाकर ये गाती “हुस्न हाजिर है मोहब्बत की सजा पाने को, कोई पत्थर से ना मारो मेरे दीवाने को..” उनके इतना गाते हैं मनोहर जी ठहाके लगाकर हंसने लगे और दोनों पुराने दिनों में खो गए।
ये उन दिनों की बात है जब सुनंदा और मनोहर की शादी तय हुई थी। शादी को अभी दो महीने बाकी थे सुनंदा के घर वालों से मनोहर की अक्सर फोन पर बात हो जाया करती थी,परंतु सुनंदा कभी फोन पर नहीं आती थी। मनोहर उसके घर के आस-पास अपने दोस्तों के साथ मोटरसाइकिल से ही चक्कर लगाता था कि कभी ना कभी अपने होने वाली दुल्हन का चेहरा नजर आएगा।
फौजी आदमी कहां सुनने वाला था वो बिना शादी के ही पत्नी को प्रेमिका की तरह चाहने लगा था। मोहल्ले वालों की बातें सुनकर भी उसे बुरा नहीं लगा, एक झलक जो सुनंदा कि देख ली उसने संतोष कर लया।
सुनंदा की मां सुशीला जी बोलीं “दामाद जी अगर आपका अभिप्राय पूरा हो गया हो तो आप अपने घर जाइए, मैं सुनंदा को बोलूंगी वो आपको फोन करेगी।” इतना कहकर सुशीला जी भी मुस्कुराने लगी और मनोहर शर्म के मारे सर झुका कर वहां से चले गए।
बाद में सुनंदा ने फोन किया और बोली “आपको पता है मोहल्ले वाले मुझे कितना छेड़ते हैं कि शादी के पहले ही पति को दीवाना बना कर रखी है। आप ऐसी हरकतें ना किया करें, मुझे बहुत बुरा लगता है।”
मनोहर बोला “अगर तुम मुझे एक बार फोन कर लिया करो तो मैं ऐसी हरकतें दोबारा नहीं करूंगा। मेरी छुट्टी खत्म हो रही है मैं वापस चंडीगढ़ जा रहा हूं, अगर तुमने मुझे फोन नहीं किया तो मैं वापस तुम्हारे घर के चक्कर लगाऊंगा।” इतना कहते ही सुनंदा हंसने लगी अब दोनों की अक्सर बातें हुआ करती थी।
शादी का दिन भी आ गया सुनंदा दुल्हन बनी मनोहर दूल्हा बनकर उसे लेने आया। सब लोग कह रहे थे “बेचारे दामाद जी से रहा नहीं जा रहा जल्दी इनके फेरे करवाओ और इनकी दुल्हन को इनके साथ विदा कर दो, वरना पता चला ये मोटरसाइकिल से ही दुल्हन को उड़ा ले जाएंगे।” सभी लोग हंस रहे थे हंसी-खुशी शादी हुई और दोनों की खुशहाल जिंदगी शुरू हुई।
शादी के कुछ रोज बाद मनोहर पत्नी को अपने साथ चंडीगढ़ ले गया। न जाने किस दुनिया में दोनों रहते थे, कभी किसी तीसरे की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। हर वक्त मुस्कुराना, हंसना और छोटी-छोटी बातों में एक दूसरे से रूठ जाना फिर एक-दूसरे को मनाना। कितने खूबसूरत पल थे जिन्हें याद करके आज भी वो दोनों मुस्कुराते हैं।
3 साल बाद उनके घर में एक नन्ही परी फूल बनकर खिली दोनों की दुनिया और खुशहाल हो गई। फिर कुछ साल बाद एक और बेटी हुई मनो पूरा परिवार खुशियों से भर गई हो, पर आज भी मनोहर अपनी पत्नी से प्यार की बातें करना और छेड़छाड़ करना भूलते नहीं है। अब तो बच्चे बड़े हो गए उनकी शादी हो गई ,दोनों बच्चे अपने परिवार में खुश हैं।
दोनों इन्हीं बातों को याद कर रहे थे तभी फोन की घंटी बजी बड़ी बेटी मोनी बोली “पापा आपको याद है ना दो दिन बाद क्या है? आप मम्मी को कुछ मत बताइएगा, हम दोनों समय पर आ जाएंगे और मम्मी को सरप्राइस देंगे।” मनोहर जी ने हां, हूं मैं जवाब दिया और फोन रख दिया।
सुनंदा जी बोलीं “किसका फोन था?” मनोहर जी ने बात को टाल दिया और बोले “कितने खूबसूरत थे वे दिन, मैं और तुम देखो आज भी मैं और तुम ही हैं और कोई नहीं है फिर भी तुम शर्माती रहती हो!” इतना कहकर वो गाने लगे “चलो दिलदार चलो चांद के पार चलो… “
वो बोलीं “हम हैं तैयार चलो..आप पहले भी दीवाने थे और आज भी दीवाने ही हैं। आप बैठिए मैं आपके लिए चाय लेकर आती हूं फिर हम बातें करेंगे।” और वो हंसते हुए रसोई में चली गई, इधर मनोहर जी पुराने दिनों को याद करके मुस्कुरा रहे थे और गा रहे थे “काश लौट आए वे मेरे पुराने दिन..”
2 दिन बाद सुनंदा जी पूजा कर रही थीं तभी दरवाजे पर घंटी बजी फिर वो खोलने गई। देखा कि दोनों बेटी और दोनों दामाद पूरे परिवार के साथ आए हैं, उन्हें देखकर उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा। वो बोलीं “अरे तुम लोगों ने मुझे बताया भी नहीं. !”
सभी एक साथ बोले “शादी की 50वीं सालगिरह बहुत-बहुत मुबारक हो।” सुनंदा जी मुस्कुराने लगी तभी कमरे से बाहर आकर मनोहर जी लाल गुलाब का फूल देते हुए बोले “बीवी शादी की सालगिरह मुबारक हो। तुम तो भूल गई होगी।”
सुनंदाजी मुस्कुराईं सबको अंदर बुला कर बैठाईं और रसोई से जाकर उनकी पसंद की बेसन के लड्डू लाकर बोली “आपको भी मुबारक हो पतिदेव।” सब हंसने लगे तो बेटी बोली “पापा रात का क्या प्रोग्राम है?”
मनोहर जी बोले “जैसा तुमने कहा था सब इंतजाम कर दिया गया है। मैं अपनी बीवी को उसकी पुरानी यादें तोहफे में देना चाहता हूं जो मैंने उससे वादा किया था।” सुनंदा जी हैरानी से उन्हें देख रही थी और वो मुस्कुरा रहे थे।
2 दिन बाद एक शाम मनोहर जी मोटरसाइकिल लेकर आए और सुनंदा जी को उस पर बैठाकर मोहल्ले का एक चक्कर लगाए। रात पार्टी में सुनंदा जी एक बार फिर से स्टेज पर दुल्हन की तरह मनोहर जी के गले में हार डाल रही थीं, मनोहर जी ने भी बड़े प्यार से पत्नी के गले में हार डाला। सबके सामने हाथों में हाथ डाले अपने पुराने दिनों को दोनों याद कर रहे थे, बच्चे माता-पिता की खुशियों में शामिल होकर उनकी खुशी बढ़ा रहे थे।
दोस्तों कितने खूबसूरत होते हैं पुराने दिनों के वे पल.. जहां परेशानियों को भी हम एक-दूसरे के साथ बांट लेते हैं और उन पलों को भूलकर अच्छी यादें बनाते हैं। कभी वक्त मिले तो पुरानी तस्वीरों को देखा कीजिए और पुरानी यादों में खो जाइए, बड़े ही खूबसूरत होते है वे बीते हुए पल..
आपको ये मेरी कहानी कैसी लगी अपने अनुभव और विचार कमेंट द्वारा मेरे साथ साझा करें। कहानी को मनोरंजन समझ कर पढ़ें कृपया अन्यथा न दें बहुत-बहुत आभार
#प्रेम
निधि शर्मा