“ देख लिए ना मेरी बात नहीं मानने का नतीजा… आपसे कितनी बार कहा था मुझे चरण पर जरा भी भरोसा नहीं है पर आप तो उस पर आँख बंद करके भरोसा करते रहे….अब बोलिए क्या होगा… बेटी के लिए जो भी जमा पूँजी रखी थी सब आपने गंवा दी।”तरूणा आवेश में अपने पति संतोष से कह रही थी
“ अब इतने सालों की दोस्ती थी कैसे भरोसा ना करता…क्या पता था इतना मीठा मीठा बोल कर वो मुझे झाँसा दे कर चला जाएगा?” सिर पर हाथ रख कर संतोष खटिया पर बैठा हुआ अफ़सोस कर रहा था
अपना दुःख कहे भी तो किससे समझ नहीं पा रहा था ।
बचपन से हमेशा साथ खेलने बोलने वाला चरण कस्बे से बाहर निकल विदेश में नौकरी करने चला गया था और जब आता ख़ूब पैसे कमाया है इसका बखान करता ये सब जब संतोष और तरूणा से कहता तो एक दिन ऐसे ही तरूणा ने कह दिया कितना अच्छा होता तुम भी विदेश जाकर पैसा कमाते …
ये सुन कर संतोष को भी विदेश जाने की ललक सवार हो गई वो चरण से इन सब के लिए बतियाने लगा और कितना खर्च होगा ये सब पूछ रहा था …. चरण की बातों से प्रभावित होकर संतोष ने अपने पास से सारी पूँजी लगा दी अपने जाने की व्यवस्था करवाने के लिए…
उसने तरूणा से जब कहा तो वो बोली ,” अजी हमें इन सब में नहीं पड़ना…. मैं तो ऐसे ही कह रही थी…. कोई विदेश विदेश नहीं जाना हम यहीं ठीक है…. वैसे भी आपके दोस्त पर जरा भी भरोसा ना है।”
तब संतोष ने समझाते हुए कहा,” अरे पगली इससे चौगुना कमा कर लाऊँगा फिर देखना हमारी लाडो की पढ़ाई और ब्याह की चिंता ख़त्म हो जाएगी जो हमें हर दिन मारे जाती हैं कि कैसे क्या होगा…।”
तरूणा के लाख मना करने पर भी संतोष ने चरण को पैसे दे दिए वो सब व्यवस्था और टिकट ये सब कका बोल कर शहर क्या गया फिर आया ही नहीं….
पता चला वो शहर में ऐसे ही चोरी चकारी करता था और पकड़ा गया।
संतोष अपने ही बचपन के छलिया दोस्त की बातों के झाँसे में आकर अपनी सारी जमा पूँजी डूबा दिया ।
दोस्तों कभी कभी हम सच में अपने दोस्तों की बातों पर आँखें मूँदकर भरोसा कर लेते हैं पर वो हमें झाँसे में रखकर हमें ही बर्बाद कर चल देते हैं …ऐसे दोस्त अक्सर बाद में ही पहचान में आते है यदि पहले पता चल जाए तो ऐसे दोस्त के झाँसे में आने से पहले सतर्क हो जाना चाहिए ।
मेरी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
#मुहावरा
#झाँसेमेंआना (धोखे में आना)