“ क्या हुआ नैना … गाल फुला कर क्यों बैठी हो… कब से कह रहा हूँ सुनो सुनो … तुम सुनने का नाम ही नहीं ले रही हो…।”मोहित ने गाल फुलाए बैठी नैना से कहा
“ देखो मोहित… बहुत दिनों से देख रही हूँ… लगा गलती हो गई होगी कोई बात नहीं है ….बर्दाश्त कर लेती हूँ पर अब तो हद हो गई है…मुझे ऐसा क्यों लग रहा है भाभी को बड़ा मज़ा आ रहा है मुझे डाँट खिला कर ….तभी वो हर दिन ऐसे कर रही है….उन्होंने ही तो कहा हम दोनों एक एक समय का खाना बना लिया करेंगे…
सुबह का नाश्ता और सबके लिए टिफ़िन मैं बनाने लगी रात का खाना भाभी बनाती और मुझे परोसने को कहती ।” नैना गाल फुलाए फुलाए बोली
“ ओहह इतनी सी बात के लिए गाल फुला कर बैठी हो ?”नैना के पास आकर उसका चेहरा उपर की ओर उठाते ही हाथों पर नमी का एहसास होते मोहित समझ गया नैना रो रही है
“ अच्छा बाबा कल से नहीं होगा … पक्का प्रॉमिस ।” कहता मोहित चादर तान सो गया
दूसरे दिन रात के खाने के समय ….
“ अरे वाह आज तो खाना खा कर मजा आ गया…आज पक्का खाना भाभी ने बनाया होगा… क्यों भाभी ?” मोहित ने अपनी भाभी रचना से कहा
“ हा हा देवर जी आज सारा खाना मैंने ही बनाया है… वो आप हर दिन कह रहे थे ना नैना को खाना बनाने का शऊर नहीं है तो सोचा आज मैं ही बना देती हूँ ।” रचना ने चहकते हुए कहा
“ पर खाना तो हर दिन के जैसा ही है… वही ना नमक ना मसाले बेस्वाद सा खाना … मतलब रात का खाना तुम ही बनाती थी और डाँट नैना को पड़ती थी और वो बेचारी चुपचाप सब सुनती रहती थी ।” रचना के पति मयंक ने उसे घूरते हुए कहा
रचना कुछ बोल ना पाई और उधर नैना पति की चालाकी पर मंद मंद मुस्कुरा रही थी ।
अब नैना गाल फुला कर नहीं बैठती बल्कि अपनी जेठानी के खाने का स्वाद बढ़ाने की कोशिश में लग गई ताकि किसी को शिकायत का मौक़ा ना मिले ।
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
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