मन्दिर मे पूजा आरम्भ होने वाली हैं, सभी औरते बैठी हैं किसी के घर की बहू तो किसी की बेटी सभी अपने गपशप मे मशगूल,बच्चे खेल रहे हैं लडकिया सेल्फ़ी लेने मे व्यस्त, यह चार दिन सभी काफी मजे मे कटाते हैं सभी औरते मन्दिर मे सुबह शाम अपना समय बिताती हैं माँ की आराधना के साथ साथ, सबसे मिलने का आनंद भी आता हैं।
सीमा भी अपने ससुराल से मायके आई हुई हैं वह भी मन्दिर के प्रांगण सखियो संग बतीया रही हैं तभी उसकी नज़र बडी भाभी पर गई वह मन्दिर से निचे उतर रही थी घर जाने के लिए,सीमा ने टोका”भाभी, आप घर क्यूं जा रही हैं अभी तो पूजा भी शुरु नही हुई”
“अरे सीमा घर मे बहुत काम पडे हैं मैने पूजा की थाल दे दी हैं पूजा होने पर बहू ले जायेगी बहू की तरफ इशारा करते हुए बोली,भाभी की बहू अपनी नंदो साथ सेल्फ़ी लेने मे व्यस्त थी, घर आइएगा सीमा,भाभी बोलने लगी।”ओह भाभी आपके पास पूजा के इन चार दिनो मे भी समय नही थोडी देर बैठने,खुद के लिए समय निकालने का तो फिर घर मे कैसे समय मिलेगा?
“अरे सीमा आपको तो पता ही हैं मेरे ऊपर कितनी जिम्मेदारी हैं”हँसते हुए भाभी चली गई।
सीमा दोपहर को खाना खाकर चली गई बडी भाभी से मिलने जैसे वह पहले जाया करती थी, भाभी लड्डू बना रही थी,”भाभी सप्तमी तक आप के लड्डू बन रहे हैं पहले क्यूं नही बनाये”भाभी हँसते हुए बोली सीमा कुछ नही बदला अब भी दशमी तक मेरे घर लड्डू बनेगे, पहले से बनाई थी
सब खत्म हो गए फिर से बना रही हुँ।भाभी के पास जितनी देर ठहरी भाभी घर के काम मे व्यस्त थी किसी की चाय किसी का नाश्ता हर कोई भाभी को ही पुकारता भाभी सबकी चहेती जो थी बहू थी तब भी जिम्मेदारियो के बोझ तले खुद को खोकर सबकी चहेती भाभी ,बहू ,चाची मामी बनी,
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अब बहू के आ जाने पर भी अच्छी सास की जिम्मेदारी निभाती तो कभी अच्छी दादी बनने की कोशिश मे कभी भाभी की जिम्मेदारिया खत्म नही हो रही हैं।सीमा सिर्फ भाभी की भुमिका का अवलोकन कर रही थी की किस तरह चहेती भाभी की जिम्मेदारिया कभी खत्म नही होती हैं!
सीमा ने सिर्फ भाभी से इतना कहा की”भाभी जिम्मेदारियां हर रिश्ते मे मिलती जायेगी लेकिन आप को खुद के प्रति भी जिम्मेदार होना जरुरी हैं खुद के लिए थोडा सा समय निकला करो,कल अष्टमी की पूजा से कुछ समय पहले आ जाना आप कल मोहल्ले की सारी ननद भाभियाँ एक साथ मिलकर पूजा देखेंगे,अरे भाई क्या हुआ हम अपनी बहू बेटियो से कम हैं क्या कल सब पीले रंग की साडी पहनेगे”सीमा भाभी को समझा कर चली गई।
भाभी आज मन्दिर कुछ समय पहले ही आई थि हल्की पीले रंग की साडी पर लाल बॉर्डर था सभी ननदो के संग बैठकर उसे काफी आनंद आ रहा था तभी किसी ने कहा भाभी आज भैया को खाना लेट से मिलेगा!
भाभी बोल पड़ी “मैने जिम्मेदारी बांट ली हैं सब मिल कर कर लेंगे बहू सब्जी बनाकर आई हैं मैं पूडी बना लूंगी।
सीमा बोल उठी”शाबाश भाभी”हमारी चहेती भाभी मोहल्ले की ननदे बोल पड़ी।
स्वरचित
आराधना सेन
#जिम्मेदारियां कभी खत्म नही होगी