hindi stories with moral :
सुबह सभी नाश्ते के वक्त डाइनिंग टेबल पर मौजूद थे. मीरा वैभव को नाश्ता परोस ही रही थी की तभी चीकू वह आ गया. “चाची आज आप मेरे लिए कस्टर्ड बनायोगें ना…“
वैभव ने उसे अपनी गोद में खींच लिया. “ओ चाची के लाडले, हमें तो कभी इतने प्यार से नहीं बुलाते, चाचा से प्यार नहीं है क्या. “चाची हमे चॉकलेट देती है न इसलिए हुमें चाची सबसे प्यारी है.”
“पर हम तो चीकू को चीकू ही देंगे.” वैभव की बात सुनकर सभी हँस दिए.
बच्चों के साथ खिलखिलाता वैभव कितना अच्छा लग रहा था.यह देख कर मीरा सोचती की क्यूं फिर ये दूरी बनी हुई है उन दोनों के बीच. शाम को वैभव कुछ चॉकलेट्स ले आया था. चीकू और अनु ने तो आते ही लपक ली थी.
रात को बैडरूम में एक चॉकलेट वैभव ने मीरा के आगे भी कर दी. मीरा ने उसकी और देखा और हसतें हुए बोली “यह क्या है, मैं क्या छोटी बच्ची हूं…“
“उस से कम भी नहीं हो,” मीरा मुस्कुराते हुए चुप हो गयी. और उसकी उंगलिया चॉकलेट का रेपर खोलने में व्यस्त हो गयी.
कुछ ही देर में उसने देखा की वैभव उसको गुड नाईट कह कर सो चुका है.आखिर और कितनी रातें केवल शब्दों के सहारे से कटेंगी पर शर्मोहया की रेखा वह लांघ नहीं पा रही थी.
एक दिन दोनों को पार्टी में जाना था. वैभव तैयार होकर गाड़ी में बैठा मीरा का इंतजार कर रहा था.उसकी आंखें मूंदी हुई थीं. तभी चूड़ियों की छनछनाहट सुन कर उसकी नजर मीरा की तरफ गई. कब वह चुपके से आकर उसके साथ बैठ गई थी वैभव को पता ही ना चला.
“आंख लग गई आपकी तो.”
“नहीं तो बस ऐसे ही.”
वैभव ने नजर भर कर मीरा को निहारा. इतनी खूबसूरत लग रही थी आज वह. हल्के गुलाबी रंग की साड़ी में. सफेद मोतियों की ज्वैलरी उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी. जुड़े और चोटी में गूंथे रहने वाले काले लंबे बाल आज खुले थे और कमर तक लहरा रहे थे.
”कैसी लग रही हूं?”
वैभव जैसे सपने से जागा हो.
“कुछ कहा तुमने?”
“आपसे पूछा रही हूं की कैसी लग रही हूं?”
यही सब कभी कीर्ति भी पूछती थी. गुलाबी वैभव का पसंदीदा रंग था, इसलिए कीर्ति जब भी गुलाबी रंग का परिधान पहनती तो उससे पूछती थी…बताओ…कैसी लग रही हूं.”
तब वैभव उसकी तारीफ में जब कसीदे पड़ना शुरू करता तो वो देर तक हंसती चली जाती थी.
वैभव की चुप्पी मीरा को खटक गई.
“चलिए देर हो जाएगी…”
वैभव ने गाड़ी स्टार्ट कर दी.
पार्टी में सभी ने मीरा की बहुत तारीफ की पर मीरा की नज़रें तो बार बार वैभव की ओर उठ जाती थीं जिससे अपने लिए तारीफ के दो बोल सुनने के लिए उसके कान तरस रहे थे पर वो तो जैसे मीरा की इस हसरत से पूरी तरह अंजान था.
लौटते वक़्त मीरा का मन पूरी तरह से बुझा हुआ था. गाड़ी घर के आगे रुकी तो वो जैसे ही दरवाजा खोल कर उतरने लगी…उसे पीछे से सुनाई दिया” बहुत सुंदर लग रही हो..”
मीरा का चेहरा उसकी ओर घूमा तो इक हलकी कुछ मुस्कान वैभव के चेहरे पर थी. वो दोबारा बोला,“आज बहुत सुंदर लग रही हो मीरा”
मीरा भी मुस्कुरा दी.
“थैंक यू सो मच.”
गाड़ी से उतर कर दरवाजा बंद करके उसने कदम आगे बढ़ाए तो दो बूंद आंसू उसकी आंखों से छलक गए थे.
चाहत (भाग 4 )
चाहत (भाग 4 ) – जगनीत टंडन : hindi stories with moral
चाहत (भाग 2 )
चाहत (भाग 2 ) – जगनीत टंडन : hindi stories with moral