मनीषा आज बहुत खुश थी,उसकी बेटी सरिता का रिश्ता जो तय होगया था वह भी ऐसे लड़के से जो बिना दान दहेज के सरिता से व्याह करने को तैयार था।सरिता केहोने वाले पति वीरेन व उससी मां ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आप सिर्फ चार कपडों में अपनी बेटी व्याह दें। हमें कोई तामझाम नहीं चाहिए।सरिता जैसी सर्व गुण सम्पन्न लड़की ऊपर से कमाऊ,और कया चाहिए हमें।हमने सरिता की आपके जान पहचान बालों से बहुत तारीफ सुन रखी है।हम लोग तो चट मंगनी व पट व्याह करने को तैयार हैं।
मनीषा ने अपनी नन्द को फोन लगाया,कयोंकि परिवार में अब वही बड़ी थी ,सरिता के बावूजी कादेहावसान हुए चार साल हो गए थे,एक तो पति का असामयिक निधन ,दूसरे विबाह योग्य बेटी,मनीषा बहुत परेशान रहनेए लगी थी। हांलांकि सरिता अपनी मां को बहुत ढांढस बधाती कि मां आप बेकार में इतना परेशान होती हैं,आप बस ऊपर वाले पर भरोसा रखिए,आप ही तो कहतीहैं न कि जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान् होता है।समय आने पर सब ठीक हो जायगा।
अब तो सचमुच में भगवान ने मनीषा व सरिता की सुन ली थी। रिश्ता उनके घर की गली में रहने वाले मनीषा के मुंहबोले भाई सतीश जी ने करबाया था। सतीश जीसरिता के ससुराल वालों से भलीभांति
परिचित थे। लड़का वेस्ट मैनेजमेंट में इजीनियर था।
सरिता कीबुआ ने जव सरिता के रिश्ते की बात सुनी वह भी विना दान दहेज के तो ऊपरी तौर पर तो बहुत ख़ुशी जाहिर की , परंतु उनके मन में ईर्ष्या का भाव आगया,कयोकि उनकी अपनी बेटी रमाजो कि सरिता से दो साल बड़ी थी,वह भी अभी तक कुआंरी ही बैठी थी,हां रमा का मन पढ़ाई में अधिक नहीं था, बड़ी मुश्किल से ग्रेजुएशन कलीयर करपाई थी।यों रंग रूप में तो अच्छी थी लेकिन उसका रिश्ता कहीं पक्का नहीं हो पारहा था।जवकि उसके मां-बाप खूब दान दहेज देने को भी तैयार थे।जब सरिता के फूफाजी ने सरिता का रिश्ता तय होजाने की बात सुनी तो उनकी छाती पर सांप लोट गया।वे तो अपनी रमा के लिए रिश्ते खोज खोज कर परेशान हो चुके थे।
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सरिता के फूफाजी ने सरिता की बुआ से कहा देखो बुरा मत मानना,भले ही सरिता तुम्हारी सगी भतीजी है,पर रमा तो तुम्हारी सगी बेटी है ,वह भी सरिता से दो साल बड़ी, तुम्हें बुरा नहीं लगरहा कि तुम्हारी बेटी बैठी है और सरिता की शादी हो रही है,वह भी इंजीनियर लड़के से वो भी विना दहेज की फरमाइश के।
प्रैक्टिकल होकर सोचो कि यही उस घर में सरिता की जगह हमारी रमा का व्याह हो जायगा तो कैसा रहेगा,फिर हम लोग तो दहेज भी खूब देंगे उन लोगों को।
परंतु अब तो सरिता का रिश्ता हो चुका है और अगले महीने शादी की तारीख तय होगयाी है,वही बताने के लिए तो सुबह भाभी ने फोन किया था।
अरे अभी रिश्ता ही तो हुआ है अभी शादी तो नही हुई फिर रिश्ता टूट भी तो सकता है।सरिता की बुआ आश्चर्य से उनकी तरफ ताकने लगी,अरे ऐसे क्या देख रही हो देखना मैं अब कैसे अपनी चाल चलता हूं और अपनी रमा की शादी उस वीरेन से करबाता हूं,बस तुम्हें अपना मुंह बंद रखना होगा, और अपनी भतीजी सरिता का मोह छोड़ना होगा।
दूसरे दिन सरिता के फूफाजी ने वीरेन के ऑफिस का पता ठिकाना मालूम किया फिर अपने किसी विश्वस्त दोस्त से वीरेन के कानों में सरिता के #खिलाफ#कुछ उलटी सीधी बातें डालने को कहदिया।मसलन सरिता जिस ऑफिस में काम करती है वहां उसके कई लडकों से संबंध हैं वह चरित्रहीन लड़की है,उससे शादी करके तुम्हें पछताना पड़ेगा।
यह सारी बातें सुनने के बाद वीरेन का दिमाग गुस्से से भर गया,उसने इधर-उधर के लोगों से कुछ पूछने की बजाय सीधे सरिता को फोन लगाया और कहा,सरिता तुम मुंह इतने बड़े धोखे में कैसे रखसकती हो , यह तो अच्छा हुआ कि समय रहते मुझ तुम्हारे बारे में सब कुह पता चल गया। वर्ना मैं तो बरवाद हो जाता।
अब ये शादी नहीं हो सकती।
सरिता ने वीरेन को फोन लगाया और कहा कि किसी ने मेरे #खिलाफ#आपके कान भरने की कोशिश की है।दो दिन पहले तो आपने मुझसे वीडियो कॉल करके अपनी शेरवानी का कलर शेयर किया था और कहा था कि तुम भी अपने लिए इसी कलर का लहंगा लेले ना।
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और आज अचानक से यह सारी बातें,आप जो यह सब कह रहे हैं यह सुनकर मेरी मां के दिल पर क्या बीतेगी,यह सोचा है, शादी की लगभग सारी तैयारियां शुरू हो गई है।
मुझे कुछ नहीं मालूम बस अब ये शादी नहीं हो सकती कह घर फोन काट दिया।सरिता की आंखों में आंसू झलक रहे थे।समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे।उसकी खुशियों के खिलाफ कौन ऐसा घिनौना षड्यंत्र रच सकता है।
स्व रचित व मौलिक
माधुरी गुप्ता
खिलाफ शब्द पर आधारित कहानी