बहु नहीं रोबोट चाहिए। : मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

आपको बहु नहीं चलता फिरता रोबोट चाहिए और खुद भी कंप्यूटर बनी हुई हैं, घर में सेना के जैसे नियम बनाए हुए हैं। प्रिया अपने कमरे में जाते हुए यूं ही बड़बड़ा रही थी और जाते ही बिस्तर पर पौटी करे हुए अपने बेटे कृष को देखकर गुस्से में झल्ला भी रही थी।         राधिका जी … Read more

 मतभेद क्यों : नीलम नारंग : Moral Stories in Hindi

जैसे ही रिया ऑफिस से घर आई देखा सुमन भाभी ( जेठानी)और सासू मां के बीच खूब तकरार चल रही थी। अक्सर ही इस तरह की तकरार का सामना उसे करना पड़ जाता था।  रिया को  बड़ा अजीब लगता कि सुमन भाभी कितना भी काम कर ले लेकिन  सासू मां को उनका कोई काम पसंद … Read more

 गिरह : विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” सुलोचना जी..सैर करने जा रहा हूँ..अपनी फ़रमाईशों की लिस्ट दे दीजिये…लौटते वक्त सब लेता आऊँगा…।” थोड़े ऊँचे स्वर में गिरधारी लाल जी अपनी पत्नी से बोले तो सुलोचना जी रसोई से निकलीं और उन्हें कपड़े के थैले के साथ एक पर्ची थमाती हुई बोलीं,” लिस्ट के साथ थैला दे रही हूँ..प्लास्टिक की थैलियों में … Read more

 आपको बहू नहीं चलता-फिरता रोबोट चाहिए : डा० विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

शाम की धीमी रोशनी कमरे में फैल रही थी, और खिड़की से आती हवा में भी जैसे कोई थकावट घुली हुई थी। जानकी चुपचाप चारपाई पर लेटी थी, आँखें बंद थीं पर नींद कोसों दूर। सिर दर्द से फटा जा रहा था, लेकिन उससे भी ज्यादा उसका मन टूट चुका था। दस साल से इस … Read more

 ‘ तुम भी किसी की बुआ बनोगी ‘ : कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

स्कूल से आते ही गुस्से से पीहू ने बैग सोफे पे पटका और सरोज से बोली “दादी,मैं स्कूल में आज इरेसर ले जाना भूल गई थी..मुझे कुछ मिटाना था इसलिए मैंने अपनी फ्रेंड शीना से इरेसर मांगा तो उसने मुझे नहीं दिया…कहने लगी..मेरा इरेसर खराब हो जाएगा।मेरी सारी ड्राइंग खराब हो गई..मैडम ने भी मुझे … Read more

 मन की गांठ : सरोजनी सक्सेना : Moral Stories in Hindi

आज सुमन तैयार हो 7:00 बजे घर से निकल गई । कॉलेज के लिए । आज 15 अगस्त है । कॉलेज के फंक्शन की तैयारी आदि ठीक-ठाक है । उसका सारा स्टाफ तैयारी में लगा था आज के फंक्शन की । सबसे महत्वपूर्ण विषय है कॉलेज की भूतपूर्व प्रधानाचार्य प्रिंसिपल प्रभा जी चीफ गेस्ट बन … Read more

 मन की गांठ : प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

जैसे ही डोरवैल बजी सविता ने दरवाजा खोला, दरवाजे पर उसकी ननद नीरू खड़ी थी जिसे देखकर सविता चौंक गई क्योंकि आज वह 3 साल बाद आईं थी और वह भी बिना किसी पूर्व सूचना के, 3 साल पहले उनसे दोनों भाइयों सविता के पति पंकज और देवर धीरज का मनमुटाव हो गया था जिसके … Read more

 मातृदिवस : के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

वैष्णवी अपने कमरे की बालकनी में बैठी हुई डूबते हुए सूरज को देख रही थी । वह रोज उगते सूरज और डूबते सूरज दोनों को देखती है । उसे हर रोज इस उगते और डूबते सूरज को देखने में एक अलौकिक आनंद मिलता है । लोग कहते हैं कि सूरज का उगने और डूबने को … Read more

 लालच के दलदल : “मातृ देवो भव” : Moral Stories in Hindi

अथाह अचल सम्पत्ति की मालकिन प्रभावती देवी आज वृद्धा आश्रम के बगीचे में बैठी सामने खड़ी ऊँची ऊँची दीवारों को एकटक घन्टों ताकती रही जिन दीवारों के उस पार देखना सम्भव ही नहीं था। वैसे भी उस पार देखने की जरूरत ही क्या है..? यह वृद्धा आश्रम अच्छा संसाधन जो सुरक्षित, सहायक और सामाजिक रूप … Read more

 अन्तर्व्यथा – डा० विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

शाम की धीमी रोशनी कमरे में फैल रही थी, और खिड़की से आती हवा में भी जैसे कोई थकावट घुली हुई थी। जानकी चुपचाप चारपाई पर लेटी थी, आँखें बंद थीं पर नींद कोसों दूर। सिर दर्द से फटा जा रहा था, लेकिन उससे भी ज्यादा उसका मन टूट चुका था। दस साल से इस … Read more

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