देवरानी नहीं बहन – डा०विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

शहर की हलचल से कुछ दूर, एक शांत मोहल्ले में जानकी जी अपने पति अवध नारायण जी और दो जुड़़वां बेटों अमित और नमित के साथ रहती थी। एक बड़ी बेटी शुचिता थी जिसका विवाह हो चुका था। दोनों भाई न सिर्फ सूरत में एक जैसे थे, बल्कि उनके विचार और व्यवहार भी इतने मिलते-जुलते … Read more

अम्मा की आखिरी यात्रा – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

3 महीने कोमा में रहने के बाद अम्मा  का अनकहा इंतजार खत्म हुआ और उनकी आत्मा को को आखिर इस देह और स्वार्थी संसार से मुक्ति मिल ही गई। संसार तो वो तभी त्याग चुकी थी जब वह धीरे-धीरे कोमा में आई थी। लेकिन सांसों की माला के आखिरी मोती गिरने तक कोई भी प्राणी … Read more

सिलवटें – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

राम दयाल एक रिटायर्ड प्रधानाचार्य थे,सारी उम्र कड़े अनुशासन, नियम कानून से कटी,सोचते थे कि रिटायर होकर चैन से पत्नी और परिवार के साथ दिन काटूंगा,सर्विस के दौरान इधर उधर स्थानांतरण के चलते कभी सब के साथ रहना ही नहीं हुआ था। खुशी खुशी घर लौटे लेकिन कुछ ही अंतराल में पत्नी की आकस्मिक मृत्यु … Read more

नज़रिया – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

     क्या बताऊं कृति…. ये गर्मी आते ही ना एक नया टेंशन शुरू…. एक तो गर्मी की छुट्टियों में बच्चे वैसे भी घर में धमा चौकड़ी मचाए रहते हैं….ऊपर से नंद रानी भी अपने बच्चों को लेकर आ जाती है….!        वो क्या है ना कृति ….तु जितना अपनी नन्द को करती है ना उतना तो कोई … Read more

मेरी दोनों बहू आपस में बहन जैसी रहती है। – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

   भावना जी और शीला जी दोनों सगी बहनें थी। दोनों के ही दो दो विवाहित बेटे थे। शीला जी की दोनों बहुएं एक ही घर में ऊपर नीचे रहकर भी लड़ती ही रहती थी। दोनों बहुओं की लड़ाइयों को सुलझाना और बहुओं को उलझाकर अपनी चौधराहट सिद्ध करना उनका एकमात्र शौक था। शीला जी के … Read more

प्रायश्चित – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थीं। गली में बच्चों की मस्ती पूरे शबाब पर थी। कभी कोई पतंग काटता, तो कोई चिल्ला कर उसकी तरफ दौड़ता। गेंदें इधर-उधर लुड़कतीं, और हर नुक्कड़ पर शोरगुल गूंजता रहता। इन्हीं सब के बीच, गली के एक कोने में एक टूटी-सी बेंच पर हर रोज़ एक बूढ़ी औरत बैठती … Read more

प्रायश्चित – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

दरवाजे की घंटी बज रही थी,, मालती जी,, आवाज सुनकर किसी तरह बिस्तर से उठी। रात से ही, उन्हें तेज़ बुखार था, उनसे उठा नहीं जा रहा था। किसी तरह वह,, उठकर दरवाजे की ओर चलीं और साथ, साथ बड़बड़ाने लगी।इतनी सुबह कौन आ गया, इतनी जल्दी, ये तो टहल कर आयेंगे नहीं। उनके पास, … Read more

“घर जमाई ” – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

“रोहित,अब और मैं यहां नहीं रह सकती।छोटे से घर में मेरा दम घुटता है। पापा मम्मी का इतना बड़ा घर खाली पड़ा है हम लोग वहीं चलकर रहते हैं। पापा भी कितनी बार कह चुके हैं।”नेहा मुंह बनाते हुए बोली। कहने को नेहा और रोहित की लव मैरिज हुई थी पर नेहा शुरू के दिन … Read more

सम्मान की सूखी रोटी – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

सपना अपनी माँ (विमला जी)पापा (विनोद जी) की,एकलौती संतान थी। सपना के मम्मी, पापा ,ने बड़े ही प्यार से पाला था सपना को। वो सारी सुख सुविधा अपनी बेटी देते थे।  सपना में विनोद जी औऱ विमला जी की जान बसती थी। सपना बीस  वर्ष की हो गयी थीं।  विनोद जी पार्क में टहलने गये … Read more

बुधनी…. – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

हां यहीं नाम था उसका…  क्यों कि वो बुधवार को पैदा हुई थी इसलिए माता-पिता ने उसको यहीं नाम दे दिया…  और यही नाम उसकी पहचान बन गई। माता-पिता की सबसे बड़ी संतान होने के कारण बुधनी को विरासत में हीं ढेर सारी जिम्मेदारियां मिल गईं… बचपन में जब सारे बच्चे खेलकूद और मौज-मस्ती में … Read more

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