सम्मान किसका? – डा० विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi
समीर की उंगलियाँ जब भी ब्रश थामती थीं, रंग जैसे सांस लेने लगते थे। कैनवास पर फैला हर रंग, उसकी आत्मा की गहराइयों से निकला एक भाव लगता था। लेकिन हैरत की बात थी कि इन रंगों की आवाज़ कभी किसी ने सुनी ही नहीं। बीते बीस वर्षों से समीर अपनी कला में रमा था।खेलने … Read more