अपने तो अपने होते है” – कुमुद मोहन

“रमा! सुनो ग्रीन लेबल टी तो मंगा ली ना, जीजी वही पीती हैं!” “क्यूँ परेशान हो रहे हो? मैंने जीजी की पसंद की हर चीज़ जो जो तुमने बताई सब मंगा ली हैं” रमा ने हंसते हुए विनय से कहा? विनय की बड़ी बहन आज बरसों बाद एक हफ़्ते के लिए रहने को आ रही … Read more

वो पराया अपना –  बालेश्वर गुप्ता

           अरे प्रवीण ये रमेश कई दिनों से कॉलेज नही आ रहा है,क्या हुआ है उसे,बीमार तो नही है।तुम्हारे घर के पास ही तो रहता है।कुछ पता है, उसके बारे मे—       इतने सारे प्रश्न विक्रम ने एक ही सांस में अपने खास दोस्त रमेश के बारे में उसके पड़ौसी प्रवीण से पूछ लिये।        विक्रम एक सम्पन्न … Read more

पराया रक्त पक्का रिश्ता ! – मीनू झा

बहुत सुखी परिवार था हमारा …सुंदर सी बेटी,प्यारा सा बेटा,टूट कर चाहने वाला पति उनकी अच्छी सी नौकरी,भरा पूरा परिवार,नौकरी प्राइवेट ही थी पर आवास सहायक सबकी सेवा मिली हुई थी हमें…पर विधि का विधान कहां कोई जानता है पहले से। पदोन्नति के साथ दूसरे जगह स्थानांतरण… हम दोनों के पैर जमीन पर नहीं थे..शायद … Read more

सासूमां के रूप में एक प्यारी सी मां – सुषमा यादव

कभी कभी हम अपनों को समझ नहीं पाते हैं,, एक कुंठा सी पाले रहते हैं,, जरूरत पड़ने पर क्या हमारे अपने हमारे काम आयेंगे या कोई बहाना बना देंगे,, यदि हम आगे बढ़ कर उनसे मदद नहीं मांगेंगे तो हम उनकी प्रकृति और विचार को कैसे जानेंगे। ,, मदद मांगना हमारी कमजोरी नहीं, हमारे ज्ञान … Read more

अपने भी अपने न होकर गैर हो गये!!!! – अमिता कुचया

आजकल समय बहुत बदल गया है।  सब हिस्सा, धन,  संपत्ति के ही भूखे हों ऐसा लगता है कि आत्मा में प्रेम की जगह मेरा तेरा ने ही  अपनी जगह बना ली हो! विभा के पिता जी एक दुकानदार है।उनका अच्छा बिजनेस है दो बेटे हैं उनके लिए अलग-अलग दुकान करा दी है। बड़ा बेटा अलग … Read more

खँडहर का मन—कहानी -देवेंद्र कुमार

घने जंगल में एक खँडहर था। अंदर और बाहर सब तरफ झाड़-झंखाड़ से घिरा हुआ। खँडहर से कुछ दूर से एक कच्ची सड़क गुजरती थी। वह कोई मेन रोड नहीं थी, इसलिए उस सड़क से आने-जाने वाले लोग भी बहुत कम थे। अक्सर बैलगाड़ियां, घोड़गाड़ी या फिर कभी-कभी भूले भटके कोई कार गुजर जाती थी। … Read more

बेनकाब – विजया डालमिया

गहराती रात के साथ बीता हर पल उसे और अंधेरे की तरफ धकेल रहा था। जो हुआ उस पर वह यकीन नहीं कर पा रही थी। ना ही वह इसके लिए तैयार थी। कुछ महीनों पहले की ही तो बात है जब वह पल्लव से जुड़ी थी ।पावनी एक मिडिल क्लास फैमिली की लड़की थी … Read more

कब तक चुप रहूँगी-मुकेश कुमार

रोशनी बचपन से ही होनहार थी। वह उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती थी, लेकिन उसके पिताजी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह बहुत ज्यादा पढ़ाई कर सके। इसलिए उसकी पढ़ाई 12वीं के बाद ही छूट गई और उसके पिताजी ने उसकी शादी एक साधारण कमाने वाले लड़के से कर दी। लेकिन रोशनी हमेशा … Read more

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