सच्चा साथ – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

आज तन्वी और आदित्य की सालगिरह थी। तीसरी। मगर फ्लैट में कोई शोर-शराबा नहीं था। न फूलों के गमले, न महंगे उपहारों के पैकेट। सिर्फ़ चाय की खुशबू और धीमे बजते हुए उस पुराने गाने की मधुर तान – “तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे…” जो उनकी कॉलेज के दिनों की याद दिलाता था। तन्वी … Read more

शिक्षक का सम्मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” आप क्या कह रहे हैं रामलाल..ये शादी तो आपने ही तय की थी और आप ही…।शादी-ब्याह कोई गुड्डे-गुड़िया का खेल तो नहीं कि जब चाहा तोड़ दिया..।” ओमप्रकाश जी हाथ जोड़कर विनती भरे स्वर में बोले।तब अकड़ते हुए रामलाल बोले,” भाई..#इज्जत इंसान की नहीं, पैसे की होती है।प्रशांत तो एक टीचर है..उसकी भला क्या … Read more

शुभ विवाह – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

अंजू ने उसे आते हुए खिड़की से छुपकर देखा था तो वो थोड़ा मुस्कुराते हुए कहती है कि आपको मेरी हाइट कम नही लग रही। इस पर मानव भी मुस्कुराता है और कहता है कि मैंने कहाँ माप के देखी है। फिर वो दोनों सामने लगे बड़े शीशे के पास खड़े हो जाते हैं अंजू … Read more

पीहर जाने की खुशी – रेणु सिंह : Moral Stories in Hindi

जल्दी करो भई  तुम्हारी ट्रेन मिस हो जाएगी  फिर भी तुम मुझे ही दोष दोगी …. अमित ने यह पिछले पांच मिनट में छ बार बोल दिया था  आई, आप भी ना, अभी डेढ़ घंटा है गाड़ी आने में और आपने अभी से  हल्ला मचाया हुआ है  अमित ने सामान कार में रखा और ममता … Read more

रौंग साइड ओवरटेकिंग – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi

मिस्टर नवीन कत्याल अपनी नौकरी के मात्र दस वर्षों में ही मैनेजर के पद पर आसीन होकर इस कंपनी के शिखर तक पहुँच गए थे. पता नहीं उनका भाग्य था या प्रतिभा किन्तु सब कहते कि एमडी भरत राम बंसल के बाद कंपनी में किसी की चलती है तो वो कत्याल साहब ही हैं. कुशाग्र … Read more

शुभ विवाह – खुशी : Moral Stories in Hindi

संध्या एक सांवली सलोनी तीन भाइयों  कैलाश,विशाल और नरेश और माता  कमला पिता  द्वारका प्रसाद की लाडली बेटी थी। ग्रेजुएट हुई तो माता पिता चाहते थे कि अब उसका विवाह हो जाए ताकि वो अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाए और भाभियों के आने से पहले संध्या अपने घर की हों जाए।लड़के देखने का सिलसिला … Read more

बहू बेटी जैसी – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बहन जी मैं बहू नहीं बेटी ले जा रही हूं कल्याणी जी बड़े रुतबे से आयुषी की मम्मी को कह रहीं थीं और आयुषी की मम्मी संतोष की सांस ले रही थी और भगवान को धन्यवाद देते नहीं थक रहीं थीं कि उनकी बेटी अच्छे घर में व्याह कर जा रही है। जहां उसे बेटियों … Read more

इज़्ज़त इंसान की नहीं, पैसों की होती है” – प्रीती श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

हरिदेव प्रसाद एक छोटे से गाँव के निवासी थे। उम्र साठ पार हो चुकी थी, चेहरे पर झुर्रियाँ थीं लेकिन आँखों में एक चमक थी – अपने बच्चों को बड़ा आदमी बनाने की उम्मीद की चमक। उन्होंने ज़िंदगी भर स्कूल में चपरासी की नौकरी की, सुबह सबसे पहले स्कूल का गेट खोलते और बच्चों का … Read more

बहुत कुछ होते हुए भी पैसा सब कुछ नहीं – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

     नीमा की शादी अपने ही शहर में विराट से हुई तो उसे मां बाप से दूरी का ज्यादा अहसास नहीं हुआ। दोनों घरों में ज्यादा दूरी भी नहीं थी। नौकरी भी वहीं पर थी, विराट का आफिस तो पूना में था लेकिन ज्यादातर काम आन लाईन हो जाता या फिर वो मार्कटिंग में रहता। ससुराल … Read more

सौगात – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

रौशनी बहुत इलाज करवा चुकी थी लेकिन संतान का सुख जैसे नसीब में ही नहीं था। रमन बहुत समझाता कि “कोई बात नहीं हम दोनों हैं ना एक दूसरे के लिए। मुझे नहीं चाहिए बच्चा ,तुम अपने आप को दोष देना बंद करो।” घर आंगन सूना – सूना सा लगता और एक समय के बाद … Read more

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