अपनों के होते हुए अकेलापन आखिर क्यूँ? – ज्योति आहूजा

आज राधेश्याम जी के परिवार में हर तरफ ठहाकों की गूँज सुनाई दे रही थी। राधेश्याम  ग्रोवर जी, नोएडा में रहने वाले एक व्यापारी थे और अपनी पत्नी सुजाता संग जिंदगी के ये वर्ष अकेले व्यतीत कर रहे थे। यूँ कहें तो परिवार बड़ा था, दो बेटे समीर और विशाल नौकरी के चलते शादी के … Read more

आज से मैं ही तुम्हारी मॉं हूॅं….. – भाविनी केतन उपाध्याय 

अपनें तो अपने होते हैं पर पराया भी कैसे अपना बन जाता है ये मैं अपने निजी अनुभव के तहत आप सबसे सांझा करने की कोशिश की है। मेरी सासूमा और मैं यानि कि रीमा दोपहर में टीवी देख रहे थे कि अचानक से डोरबेल बजी, हम दोनों ने एक दूसरे के सामने देखा कि … Read more

छोटा भाई   – डाॅ  उर्मिला सिन्हा

 तेल की धार और समय की मार में एक समानता है। तेल  नीचे की ओर बहता है और समय की मार जब पड़ती है  तब अच्छे अच्छों की बुद्धि काम नहीं करती।       हरिबाबू और उनकी पत्नी रमादेवी एक दूसरे को देखते और आहें भरते।      रमादेवी  जो अपने पति की ऊंची हैसियत ऊँचे पद और बेशुमार … Read more

भईया बताया तो होता ,,क्या  हम आपके अपने नहीं थे  – मीनाक्षी सिंह 

शंभू – हेलो नरेश  ,,तूने कुछ सुना क्या भाई साहब को ड़ेंगू हो गया हैं ! वो अस्पताल में भर्ती हैं !  नरेश – क्या बोल रहे हैं भाई साहब आप ,,बड़क्के भाई साहब से कुछ दिन पहले तो मिलकर आया था ,,सब कुछ कुशल मंगल था ! भाई साहब भी स्वस्थ लग रहे थे … Read more

बड़े दिल वाली (निशा) – सपना शर्मा काव्या

मेरी यह कहानी एक सच्ची कहानी पर आधारित है। बस नाम और जगह बदल दी है। इस कहानी की सूत्रधार मैं ही हूं क्यू की जो हुआ मेरे सामने ही हुआ तो मैं अब कहानी पे आती हूं। मै सपना शर्मा जो पेशे से एक वकील भी हूं और नोएडा में रहती हूं। अभी कुछ … Read more

ऐसी विदाई हो तो.. – प्रियंका मुदगिल

“भाभी! आपकी लाडो मिली की शादी की डेट फिक्स हो गई है लड़केवालों ने कहा कि उन्हें सादे तरीके से ही शादी करनी है….इसलिए जब  देखने आए तभी  अंगूठी पहनाकर शगुन कर गए…..आप आएंगे ना…””संगीता ने अपनी जेठानी रजनी को फोन पर कहा। रजनी :- “”जब इतना सबकुछ कर ही लिया है तो शादी भी … Read more

संकटमोचक – डॉ. पारुल अग्रवाल

जब करोना का प्रथम लहर आई तो हम लोगों में किसी ने नहीं सोचा था कि ये छोटा सा सूक्ष्मदर्शी इतना विकराल रूप धारण कर लेगा और पूरी दुनिया को अपने आतंक से हिला से देगा । प्रथम लहर में लगा लॉकडाउन जिसे हम सबने थोड़े दिन की बंदिश समझा था और सोचा था चलो … Read more

गाँव वाले बाऊजी  – रवीन्द्र कान्त त्यागी

“बाऊजी, आप की गाड़ी शाम चार बजे स्टेशन पर पहुंचेगी। मैं आप को लेने स्टेशन पर आ जाऊंगा।” रितेश ने गाँव से उसके पास शहर आ रहे अपने पिताजी से फोन पर कहा। “क्यूँ, तुम्हारी ड्यूटी नहीं होगी क्या उस दिन। इतनी दूर ऑफिस से सिर्फ मुझे घर तक छोड़ने आओगे।” “जी हाँ। मैं … … Read more

“ब्लड इज़ ऑलवेज थिकर दैन वॉटर ” – मीनू झा 

यूं तो इस त्योहार में बहन रक्षा का वचन मांगती है और भाई निभाने का वादा देता है,पर प्रिया आज मैं तुमसे कुछ मांगता हूं और वादा कर जो मांगूंगा देगी-प्रिंस अपनी बहन से बोला जो राखी की थाल लिए खड़ी थी। मैं कुछ समझी नहीं प्रिंस-प्रिया ऊहापोह में दिखी इन पेपर्स पर अपना पीकू … Read more

बहू तेरे दर्द में हम तेरे साथ है! – ज्योति आहूजा

 रुचि बहुत ही चुलबुली और सदा हंसने वाली लड़की थी। जब वह संदीप की जिंदगी में आई तो उसने संदीप की जिंदगी को खुशियों से भर दिया था। रुचि और संदीप की शादी को ढाई वर्ष बीत चुके थे। संदीप अपनी नौकरी के चलते अपने मां  बाप से दूर अलग शहर में रहता था। एक … Read more

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