आज रिश्तों से ज्यादा पैसों की अहमियत है गई है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

पापा आप जल्दी स्वस्थ हो जाइये और अपना ध्यान रखिये,ये मैसेज और एक लाख रूपए का चेक देखकर सत्यप्रकाश जी के गालों पर आंसू की बूंदें लुढ़क गई। उठने बैठने में भी असमर्थ हो चुके सत्यप्रकाश जी सोचने लगें ये कैसी बेबसी है ये क्या जिंदगी है। सत्यप्रकाश जी पिछले आठ महीने से ब्लड कैंसर … Read more

अंतिम विदाई – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आज कैलाश जी  पत्नी सुनंदा पर बहुत बरसे थे। वजह क्या थी सुनंदा भी समझ नहीं पाई थी। पतियों का क्या दुनिया की भड़ास उस पर ही तो निकाली जाती है जो चुपचाप सुन ले और खासकर उन पत्नियों पर जो कुछ ज्यादा ही सहन करतीं हैं। सुनंदा उदास तो हुई पर सोचने लगी जरूर … Read more

“ऐसी बहू क्यों आई!”- सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

“हाय राम! मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई!” – सरला देवी ने चौखट पर बैठते हुए चूल्हे के पास आँचल से माथा पोंछा। गुड्डी भागकर आई, “क्या हुआ अम्मा? कविता बहू ने फिर कुछ कह दिया?” सरला ने व्यथित स्वर में कहा, “कह दिया? अब पूछ! दाल में हींग कम थी … Read more

हाय राम, मेरी तो तक़दीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई! – रजनी कपूर : Moral Stories in Hindi

गाँव की गलियों में आज फिर काकी की आवाज़ गूंज रही थी “हाय राम, मेरी तो तक़दीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई!” काकी यानी कमला देवी, पक्की देसी, झक्क सफ़ेद धोती और मिर्ची जैसी ज़ुबान वाली। बेटा है राजू, शहर से पढ़-लिखकर लौटा और अपने मन से बहू ले आया सुषमा! पर दिक्कत … Read more

अब तो पड़ जाएगी ना तुम्हारे कलेजे में ठंडक – प्रीती श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

,”अब तो पड़ जाएगी ना तुम्हारी कलेजे में ठंडक” रमा, सूरज की पत्नी, एक सीधी-सादी, घरेलू और पारंपरिक स्त्री थी। उसे रसोई, पूजा-पाठ, और घर की जिम्मेदारियों में ही सुकून मिलता था। वो सबका ख्याल रखती थी, पर बहुत चुपचाप और बिना दिखावे के। सीमा, चंदन की पत्नी, शहर से पढ़ी-लिखी, तेज़-तर्रार और आत्मविश्वासी लड़की … Read more

 तिरस्कार कब तक – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

मैं मधु छोटे से मध्यम वर्गीय परिवार की बहु पत्नी और मां हूं… वर्तमान में यही मेरी पहचान है… कभी साल दो साल पर दो दिन के लिए मायके जाती हूं तो लगता है मैं भी किसी की बेटी हूं बहन हूं… ब्याह कर ससुराल की दहलीज पार की उसी पल से मान स्वाभिमान इच्छा … Read more

 तिरस्कार कब तक – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“लो आ गई मनहूस! नीमा की सौतेली मां शीला आँखे तरेर कर बोली!उनके पास बैठी सौतेली बहन सीमा दुपट्टे से मुंह ढांपकर खी खी कर हंसी उड़ाती बोली” भगवान जाने आज खाना नसीब होगा या नहीं,मनहूस की शक्ल जो देख ली”! नीमा के घर में घुसते ही मां बेटी जहरीले व्यंग बाणों से नीमा का … Read more

 सपने कभी सच नहीं हो सकते, -हेमलता गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

कहीं नहीं जाऊंगी.. मैंने भी फैसला कर लिया है जब तक जिऊंगी इस घर में रहूंगी और तुम सब की छाती पर मूंग दलूंगी, देख लेना आज तक तुमने जो मेरे साथ किया है उन सबका गिन कर बदला लूंगी, आखिर तिरस्कार कब तक सहू, क्या मेरे तिरस्कार सहने की कुछ सीमा है? 15 साल … Read more

मायका का सम्मान – शुभ्रा मिश्रा   : Moral Stories in Hindi

बहू को रसोई घर मे देखकर वंदना जी ने कहा बहू तुम उठ गईं?सुनो बहू आज रात मैंने विजया के ससुराल वालो को खाने पर बुलाया है। तो ऐसा करना कि खाने मे मटर पनीर, सत्तू की कचौड़ी, खीर सलाद आदि बना लेना। मिठाई मैने विजय से लाने के लिए कह दिया है। हाँ और … Read more

मैं मां का तिरस्कार नहीं सहूंगी….. -अर्चना खण्डेलवाल  : Moral Stories in Hindi

परिधि…….आलोक ने तेजी से आवाज लगाई, तो परिधि अंदर तक हिल गई, और दौड़कर कमरे में पहुंचीं… ये क्या हैं?  तुमने मेरी शर्ट को प्रेस नहीं किया और मुझे आज यही शर्ट पहनकर जाने का मन है। लेकिन आप तो हर शुक्रवार को ऑफिस टी-शर्ट पहनकर जाते हो, इसलिए मैंने सोचा कि कल प्रेस कर … Read more

error: Content is protected !!