सेवा के बदले मेवा नहीं मिलता- सोनी शांडिलय

रोहन फोन पर बात कर रहे थे! वो चुपचाप खड़ी सुनती रही पति को बात करते! फिर फोन रखते हि रोहन रोने लगा! वो डर गयी फ़िर पूछा उसने तो बताया , ‘ बाबूजी कि तबियत ठीक नहीं है, कोरोना से शरीर पुरा टूट गया है, क्या करू समझ में नहीं आ रहा’। सोनाली ने … Read more

मेरी बेटी वारिस ही नहीं, मेरा गुरूर है” -सुधा जैन

संजीव की शादी को 7 साल हो गए थे ,पर संजना मां नहीं बन पाई। चिकित्सीय परामर्श, देवी देवता ,पूजा ,पाठ सब कुछ कर लिया पर कुछ नहीं हुआ ।संजीव की मां बहुत चिंतित थी ,सोचती थी मेरे एकलौते बेटे के यहां संतान नहीं होगी तो वारिस कौन बनेगा? एक दिन संजना ने कहा” क्यों … Read more

किसका घर/ माता पिता का या बेटे का – रचना कंडवाल

“पापा नया घर बिल्कुल तैयार हो चुका है। सोच रहा हूं कि वहां दीपावली पर शिफ्ट कर लूं।” सिद्धार्थ ने अपने पापा गोविंद प्रसाद जी से कहा। सिद्धार्थ गोविंद जी और सुधा का इकलौता बेटा है। सुधा वहीं पर बैठी मूकदर्शक बनी चुपचाप सुन रही है। पिछले कुछ दिनों से उसने किसी भी बात पर … Read more

वो चार दिन-गीता वाधवानी

छोटी-छोटी आंखों में बड़े-बड़े सपने लिए 14 वर्षीय सोनू अपने गांव से भागकर मुंबई आ गया था। मुंबई की ऊंची ऊंची आलीशान इमारतें देखकर बहुत अचंभित था। दिनभर मस्ती में घूमता रहा, वह बहुत खुश था। सोच रहा था, अब पता चलेगा बाबू को, जब देखो मुझे डांटते रहते हैं और जब मैं गाना गाकर … Read more

रंग-मीनाक्षी चौहान

मम्मी जी और बगल वाली आँटी में खूब जमने लगी है। इस नये घर में आये हमें अभी दो हफ्ते ही हुए हैं लेकिन दोनों ऐसे बतियातीं हैं जैसे एक-दूसरे को बरसों से जानतीं हैं। दोनों शाम ढ़लते ही अपनी-अपनी कुर्सियाँ लिये गेट के बाहर डट जातीं। हर दिन अलग-अलग मुद्दों पर गप्प चर्चा चलने … Read more

मर्म – गीतांजलि गुप्ता

किशु की बहू का दरवाजे पर स्वागत करते समय सीमा बहुत ख़ुश लग रही थी उस की आँखें इस की गवाह थीं चमक जो रहीं थीं पैंतीस वर्ष पहले वो इसी दरवाज़े पर दुल्हन बनी खड़ी थी और आज उसकी बहू खड़ी है। बहू अपने नाम के अनुरूप ही सुंदर व प्यारी थी उसके माता … Read more

बॉयोडेटा – गीतांजलि गुप्ता

शादी के एक माह बाद ही मोहित ने तलाक़ का केस डाल दिया था। उसका कहना था कि रागिनी के माता पिता ने ग़लत जानकारी दे कर अपनी कम पढ़ी लिखी लड़की की शादी उससे कर दी। रागिनी के पिता ने एक शादी कराने वाली संस्था को फीस दे कर बॉयोडेटा बनवाया था और उस … Read more

“अपराजिता – पुष्पा पाण्डेय

“क्या मेरी बेटी का थोड़ा ख्याल रखियेगा?मुझे घर से कुछ सामान लेकर आना है।” “हाँ, हाँ। जाइये ।मैं ख्याल रखूँगी।” मेरा बेटा बीमार था ।अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।दो बिस्तर वाले कैबिन में  जगह मिली थी।दूसरे बिस्तर पर उस अजनबी महिला की बेटी थी। —————- एक साथ रहना था।मैं उससे जान-पहचान बढ़ाने लगी।उसे हमेशा अकेले … Read more

चाय की दुकान – पुष्पा पाण्डेय

जब से गाँव में पक्की सड़क बन गयी थी, गोपाल ने  दूसरों के खेतों में काम करना छोड़ दिया और  सड़क किनारे एक चाय की दुकान खोल लिया था। पक्की सड़क बनने से वाहनों की संख्या भी बढ़ गयी। धीरे-धीरे आमदनी में बढ़ोतरी होने लगी। दुकान खोलने का निर्णय गोपाल का सही साबित हुआ। अब … Read more

मुस्कान-पुष्पा पाण्डेय

रजनी को अपने निर्णय पर हमेशा पश्चाताप होता रहा था। शादी के दस साल बाद भी जब वह माँ नहीं बन पायी और न ही भविष्य में बनने की सम्भावना थी, तो डाॅक्टर पति ने अस्पताल के गेट पर छोड़े दो दिन की बच्ची को उठाकर घर लाए। पत्नी से विचार विमर्श करने के बाद … Read more

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