पश्चाताप – प्रीती सक्सेना

आज आंखो में नींद का नामो निशान नहीं, अजीब सी बेचैनी, उत्तेजना का अनुभव हो रहा है, मन की खुशी बाहर आने को बेकाबू है, पर लोक लाज का भी तो ध्यान रखना है न, तो अपनी खुशी होंठो में ही दबा कर रखी है, कल मेरी शादी है, कल मैं अपनी ससुराल जाने वाली … Read more

ख़ुद से ही लें ख़ुद के लिए प्रेरणा —पूर्ति वैभव खरे

    ऐसा कौन सा व्यक्ति है ? ‘जो जीवन में निराशावादी होना चाहता है’ शायद कोई नहीं; निराशा, उदासी,मायूसी या हार किसी को रास नहीं आती,फिर भी ये जीवन में मिलती अवश्य है, इनके बिना जीवन कहाँ चलता है? ऐसा कोई न होगा जो कभी पराजय की गली से न गुजरा हो।      जिस तरह जन्म-मरण अक्षरशः … Read more

फिर कब मिलोगे भाग-2 – रीमा ठाकुर

भैया ”  छोटे, तू “ तू तो दस वाली गाडी से आने वाला था!  भैया, छोटा भाई मेरी गर्दन पकडकर झूल गया!  मैने उसे बाहों में जकड लिया, कुछ चिपचिपा सा लगा “ खून “”” क्या हुआ बता, बाकी सब कहा है!  सब पीछे उखडती सी आवाज में छोटे बोला,  क्या हुआ बेटा, इतनी देर … Read more

मैं हूं ना – प्रीति दाधीच 

बारिश में गरमा गरम अदरक की चाय की खुशबू, भीनी भीनी मिट्टी की खुशबू सा, वो गजब का सुकून है ”मेरा बड़ा भाई”।।    कहते है की जब परेशानी हो तो मां का आंचल याद आता है और मुझे भाई का सिर पर रखा हाथ याद आता है।।   एक भरोसा , एक सुकून ” … Read more

अपना पति पति और दूसरों का?? – चेतना अरोड़ा प्रेम।

आकाश,कल तुम्हारे मम्मी पापा वापिस जा रहे हैं तो उनके लिए सुबह ऑटो मंगवा लेना।तुम मत छोड़ने जाना रेलवे स्टेशन बेवजह थक जाओगे।अवनी अपने पति को सलाह देती हुई बोली।जिसे उसके पति ने भी झट से मान लिया। ऋतु जो अवनी की भाभी थी,वो भी अपने पति विवेक व बच्चे के साथ उनसे मिलने आयी … Read more

“तलाक” – ऋतु अग्रवाल

आज कुछ ख़ामोश सा था दिल। न जाने क्यों? पर बार बार उसकी याद आ रही थी। तीन साल हो चुके मेरे तलाक को पर शायद ही कोई लम्हा गया हो उसे याद किए बिना।   कितने खुश थे हम दोनों। छोटा सा परिवार था मेरा। मम्मी, पापा,मैं और शुभ्रा। शुभ्रा, माँ- पापा की पसंद थी।हम … Read more

छोटी ननद – अनुपमा

सुमन सुबह का सारा काम निपटा कर , बच्चों को स्कूल भेज कर और आदित्य के ऑफिस जाने के बाद अपना नाश्ता और चाय लेकर बैठी ही थी की उसका फोन बज उठा , दूसरी तरफ से बड़े भैया की आवाज आई और उन्होंने बताया की मनीषा भाभी की तबियत काफी दिन से ठीक नहीं … Read more

यूरिया- गोविन्द गुप्ता

रघु एक सम्पन्न किसान था और ऑर्गेनिक खेती कर फसल तैयार करता था फसल कुछ कम होती थीं पर शुद्ध होती थी ,एक बार टेलीविजन पर विज्ञापन देखा कि यूरिया के प्रयोग से दोगुनी फसल होगी तो लालच जग गया, और विना विचार किये पूरी खेती में यूरिया का प्रयोग करने का निर्णय लिया तथा … Read more

आइना – क्षमा शुक्ला “क्षमा”

“और सुनाओ बिटिया घर में सभी का बात व्यवहार कैसा है तुम्हारे साथ?” माँ ने पहली बार मायके आई मोनी से ससुराल की खोज खबर लेते हुए पूछा, और साथ ही बहू को आवाज लगाकर दोपहर का भोजन अपने कमरे में ही लाने को कहा। “माँ कुछ मत पूछो, घर है कि चिड़ियाघर। क्या देखकर … Read more

बात नहीं करूँगी – सरला मेहता

ऋतु हमेशा की तरह छुट्टियों में अपने दोनों बच्चों के साथ मायके आई हुई है। भाभी नीना, ननद जी की तीमारदारी में दिन भर जुटी रहती है। अपनी तरफ़ से कोई कसर नहीं छोड़ती है। वो हर बात माँजी के मनमाफ़िक करती है। उसे तो पहले से ही हिदायतें मिल जाती है, ” बहू ! … Read more

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