वसीयत – संगीता दुबे

 कृति को कहां पता था कि अबकी बार डैडी जो अस्पताल जाएंगे तो लौट कर नहीं आएंगे। वह पिछले एक साल तेरह दिनों तक डैडी को लेकर अस्पताल के चक्कर लगाती रही। डैडी अस्पताल जाते, ठीक होते और फिर वह लेकर उन्हें घर आ जाती। लेकिन अबकी बार डैडी की तबीयत बिगड़ती जा रही थी। … Read more

दिल तो आख़िर दिल है न – कामेश्वरी कर्री

मानिनी जैसे ही यूनिवर्सिटी के गेट के अंदर आई तभी पीछे से किसी ने पुकारा मानिनी… उसने पलट कर देखा तो सूर्या था । उसकी आँखें किसी को ढूँढ रही थी ।उसने कहा — चंद्रिका नहीं आई । मानिनी और चंद्रिका एक साथ कॉलेज आते थे । वे दोनों एक ही कॉलोनी में रहते थे … Read more

ईश्वर- अरविंदा ब्रजेश महाजन

एक दिन सुबह सुबह दरवाजे की घंटी बजी । दरवाजा खोला तो देखा एक आकर्षक कद- काठी का व्यक्ति चेहरे पे प्यारी सी मुस्कान लिए खड़ा हैं । मैंने कहा, *”जी कहिए..”* तो उसने कहा, अच्छा जी, आप तो  रोज़ हमारी ही गुहार लगाते थे, मैंने  कहा *”माफ कीजिये, भाई साहब ! मैंने पहचाना नहीं, … Read more

म्हारा छोरा क्या छोरियों से कम है -संगीता अग्रवाल

“अरे वंश बेटा चाय तुमने बनाई है ?” नीतिका ने अपनी सहेली ऋतु के घर उसके चौदह साल के बेटे को चाय लाता देख हैरानी से पूछा। ” जी आंटी और ये सैंडविच भी मैने ही बनाए हैं !” वंश ने जवाब दिया। ” वर्तिका ( वंश की बहन बड़ी बहन ) कहां है तो … Read more

सालगिरह-प्रीति आनंद अस्थाना

जल्दी-जल्दी अपना काम निपटाकर जॉन ऑफिस से बाहर निकला। आज उसकी एनीवर्सरी थी। उसका टीना से वादा था कि आज का दिन वह सदा उसके साथ बिताएगा। पर सुबह सुबह बॉस का फ़ोन आ गया था, कुछ ज़रूरी फाइल्स निपटानी थी कल के प्रेजेंटेशन के लिए। फूलवाले से उसने लाल गुलाब खरीदे, टीना के पसन्दीदा … Read more

सिल्क की साड़ी-संजय सहरिया

“तू मद्रासी बीबी तो ले आया है पर उसे अच्छे से समझा देना कि रीति रिवाज, पूजा पाठ, पहनावा सब उसे हमारे तरीको से ही करना पड़ेगा.” सुखदीप कौर ने पुत्र अंगद को पास बैठाते हुए कहा तो अंगद मां की बात पर मुस्कुराहट भरी हांमी देकर रह गया. “तुम बेफिक्र रहो मम्मा मैं  बेला … Read more

“काश, बिटिया के मन को पढ़ पाते….-सुधा जैन

अनुराधा को विश्वास ही नहीं हो रहा कि उसकी परिचिता सुनंदा की बिटिया ने आत्महत्या कर ली… ऐसा क्या हो गया ?जो शादी के 15 वर्ष बाद उसने ऐसा कदम उठाया। यह प्रश्न उसे बहुत विचलित कर रहा है ।आराधना को पूरी बात पता है कि कैसे आज से 15 वर्ष पूर्व सुनंदा की प्यारी … Read more

“बातों ही बातों में” – ऋतु गुप्ता

अले अले बाबा ! ये आप अभी क्या कर रहे हो, ये जूठी जामुन की गुठली मिट्टीं में क्यूं दबा रहे हो, नन्हे से चुन्नू ने अपनी तोतली जुबान में अपने बाबा से जब ये बात पूछी तो बाबा खिलखिला कर हंस पड़े , और जल्दी से अपने पोते को गोद में बैठाते हुए कहा … Read more

“माँ” –  ऋतु अग्रवाल

   वो तड़पती ही रह जाती थी जब कोई अक्सर उसे बाँझ कह देता।शादी के आठ वर्षों बाद भी वो नि:संतान थी। दो-तीन सालों तक तो ध्यान नहीं दिया। पर फिर मन अकुलाने लगा उन नन्हें हाथों की छुअन के लिए जो सहला देते उसके अंतर्मन को। तरस जाते कान उन मीठी किलकारियों के लिए जो … Read more

फिजूलखर्ची – गीतांजलि गुप्ता

सासू माँ ने इस बार के नवरात्रि में हर हाल में ‘माता की चौंकी’ के आयोजन का पूर्ण निश्चय कर लिया। हर बार हम सब किसी न किसी कारण से इस शुभ काम में बाधक बन जाते हैं कभी बच्चों की परीक्षा तो कभी समीर की विदेश यात्रा। सासू माँ के हुक्म का पालन हम … Read more

error: Content is protected !!