सुलक्षणा – रवीन्द्र कान्त त्यागी : moral stories for adults

आस पास के गांवों के किसान और रिआया की हालत देखी जाय तो चरण दास संपन्न और बड़े जमींदार माने जाते थे मगर गंगा किनारे बसे इस हर साल बाढ़ में डूबे रहने वाले इलाके के गांवों में, कुदरत के कहर के कारण विपन्नता ने पांव पसार रखे थे. बस खेती किसानी से गुजारा भर … Read more

मेरी भी कुछ ख्वाहिशें – डाॅ संजु झा : Heart touching story 

अंजु की जिन्दगी वैसे तो काफी व्यस्त रही है,परन्तु उम्र के पचासवें पड़ाव पर आकर एक बार फिर  से अपने अतीत का मंथन करने को मजबूर हो गई है।अब तक की जिन्दगी से उसने क्या खोया और क्या पाया,इसी का हिसाब लगाने बैठ गई। उसके मन में सवालों की जैसे झड़ी लग गई है वह … Read more

आशीर्वाद का बंटवारा : Short Story In Hindi

पूरे अठारह साल बाद एम के उर्फ महेशवा गांव जा रहा है.. रानू को गांव जाने के लिए तैयार करने के लिए कितना आरजू मिन्नत करना पड़ा.. बाबूजी की तीसरी पुण्यतिथि है… छोटा भाई रमेश ने पूजा रखी है..                    कल का फ्लाइट है.. बच्चों ने साफ इंकार कर दिया है गांव जाने से.. पंद्रह साल … Read more

अब”बुरी बहू” के टैग से फ़र्क नहीं पड़ेगा !!- -मीनू झा

वह कभी हिम्मत हारने पर विश्वास नहीं रखती थी..तभी तो सारे एक तरफ वो अकेली एक तरफ और लगातार सफाई देती ही रही और अपने आपको सही सिद्ध करने के लिए लड़ती ही रहती…पर आज डाॅक्टर ने जो कहा उससे वो हिल गई… मिसेज वर्मा…जितनी जल्दी जल्दी आपको शुगर, ब्लड प्रेशर और थायराइड हुआ है…इट्स … Read more

स्वार्थी माँ – स्मिता सिंह चौहान

“माँ आप क्यो ऐसा कर रही है? जरा सोचिए तो सही कि बिना किसी वजह आप अकेले रहने की जिद किये बैठी हैं। पापा तो कभी आप से कुछ कहते भी नहीं। मुझे समझ नहीं आ रहा हो क्या रहा है इस घर में। ” कहते हुए रोहन अपने पिता की ओर देखता है।  “पापा … Read more

कौन अपना, कौन पराया!” –  रूचिका राणा

 “देखा! मयूरविहार वाले जीजा जी का फोन अभी तक नहीं आया।” श्रीमान जी ने अपने मोबाइल की स्क्रीन को ऊपर नीचे स्क्रॉल करते हुए कहा।      “आप से कब बात हुई थी उनकी….?”    “मैंने ही किया था उस दिन हॉस्पिटल से, जिस दिन डिस्चार्ज होने वाला था।”       “तो इसमें हैरानी वाली कौन सी बात है… जब … Read more

एकादशी में महालक्ष्मी की वापसी – शुभ्रा बनर्जी 

अनुज के साथ पहली बार जब दिल्ली आई थी मैं,आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।एक भरे पूरे संयुक्त परिवार में पली बढ़ी मैं,कैसे अकेले एक नए शहर में रहूंगी?कौन ध्यान रखेगा मेरा?ताऊजी,ताजी,चाचा,चाची,बुआ,दादा दादी सबकी लाड़ली थी मैं।सबके लाड़ प्यार ने मुझे नकचढ़ी बना दिया था,ऐसा मम्मी का आरोप था मुझ … Read more

प्यारी बहना – कांता नेगी 

सोनिया शेखर और सुमन की लाडली और सुधीर और सुनील की प्यारी बहना थी।तीनो भाई बहन एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे।छोटी छोटी बातों पर लड़ना झगड़ना,एक दूसरे की चीजे छीनना ये तो लगा ही रहता था।जब कभी सोनिया भाईयों की शिकायत मम्मी पापा से करते तो वे सोनिया का ही पक्ष लेते और … Read more

“अब टोको ना कोई रोको ना” – कुमुद मोहन

“क्या ऊंट की तरह हुड़दंगी सी कूदती रहती हो!धीरे चला करो”दादी जब-तब आठ साल की सुमी को टोकती रहतीं,और सुमी के उठते कदम दादी के टोकने के साथ एक पल में रूक जाते। थोड़ी बड़ी हुई तो माँ ने टोका ताड़ सी लंबी हो रही हो स्कर्ट मत पहना करो,खुली टांगें अच्छी नहीं लगती, ढक … Read more

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