सबको खुश रखा जा सकता है क्या? – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

काजल! हमारा खाना हो गया है, तुम खाना खाकर कल के लिए चने भिगो देना, याद है न क छोले भटूरे बनाने हैं, रसोई में आकर लक्ष्मी जी ने अपने बर्तनों को सिंक में रखते हुए अपनी बहू काजल से कहा, तभी उनकी नज़र काजल की थाली में जाती है तो वह हैरान होकर कहती … Read more

“विवाह बिना दहेज” – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

साल १९९६ की बात है। बिहार के पटना शहर से कुछ ही दूरी पर बसे एक साधारण गाँव में रीना सुमन अपने पिता के छोटा-सा घर में बैठी, किसी अनजाने भय से जूझ रही थी। उसका विवाह तय हो चुका था – एक ऐसे युवक से, जो दिखने में अच्छा था, लेकिन बेरोजगार था,फिर भी … Read more

कब तक सहूं – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

 आज अचानक रात में अपनी तीनों बेटियों और दामादों को देखकर उमा देवी की आंखों में आंसू भर आए, और कमजोर आवाज में बोली-” आप लोग अचानक रात में कैसे आ गए, चलो अच्छा ही हुआ आप सब एक साथ आ गए, मुझे अब शमशान घाट छोड़कर ही वापस जाना। ”       उन सब लोगों ने … Read more

अपशगुनी – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

बस करो!!! शुभ्रा ज़ोर से चीखी और उसकी चीख के साथ ही हवेली के आंगन का शोर एकदम थम सा गया। महिलाओं का जो जमघट वहां लगा था उसमें शांति छा गई।यह सारी महिलाएं गांव के ज़मींदार चौधरी  रतन सिंह की हवेली में आज उनकी बेटी शुभ्रा के विवाह के लिए इकट्ठा हुई थी।आज मेहंदी … Read more

तुम कभी बडी भाभी जैसी खुबसुरत नहीं दिख सकती !! – स्वाती जैंन : Moral Stories in Hindi

वाणी सुबह सोकर उठी तो देखा उसके बगल में से आकाश उठकर जा चुका था !! वाणी उठकर नहा धोकर तैयार हुई और फिर रसोई में पहुंची तो उसकी जेठानी चेतना आश्चर्यचकित होकर बोली – वाणी , कल शादी की पहली रात थी तुम्हारी , इतना जल्दी क्यों उठ गई ?? वैसे भी शादी की … Read more

दीवार पर टंगी पिता की तस्वीर – मनु वाशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

आज पिताजी को गुजरे पूरा एक महीना हो चुका है। चलो सब कार्य अच्छी तरह से निपट गया। अब मैं भी, पत्नी को साथ लेकर, कहीं तीर्थाटन के लिए जाने की सोच रहा हूं। यह दायित्व भी पूर्ण हुआ, दायित्व ही तो है। मैं मन ही मन अपनी काबिलियत पर खुश हूं, एक जिम्मेदारी को … Read more

तिरस्कार कब तक – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

मुँह में एक कौर रखते ही सूरज ने कहा…. बापरे आज सब्जी में इतनी मिर्ची डाल दी है….. सपना बहू दीपिका को सपोर्ट करते हुए कहती है , कभी-कभी गलती हो जाती है ……  सूरज जी , जान बूझकर … कोई गलती कर सकता है क्या ? सूरज ने कहा— “ कोई बात नहीं है … Read more

तिरस्कार कब तक? – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

“जब तक जिंदा रहेगी,तब तक बुढ़ियाॅं छाती पर मूॅंग दलती रहेगी!” बहू सोमा की कर्कश आवाजें सास दयावती के कमरे की सूनेपन में प्रतिध्वनित हो रहीं थीं। तिरस्कार की चादर में लिपटी दयावती ग़लती का कारण खुद को मान रही थी।अस्सी वर्षीया अशक्त और कमजोर दयावती आत्मग्लानि महसूस कर रही थी। कमजोर शरीर को लाठी … Read more

बस, अब बहुत हुआ – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

    “ओफ्फ हो, ये महुआ को भी आज ही बीमार होना था”    खनक आटा गूथंते गूथंते बुदबुदाई।      आटे की और ध्यान दिया तो दूध उफनते उफनते बचा और उसे तो याद भी नहीं कि कूकर कब से गैस पर चढ़ा रखा है। लगता है आलूओं का तो पानी के अंदर ही भुर्ता बन गया होगा। अब … Read more

*बदलाव* – ममता चित्रांशी : Moral Stories in Hindi

      सासूमां आज सुबह से बड़बड़ा रही है …. जैसे ही बेटा उठकर बाहर आया, मांजी और जोर से बोलने लगी,…मना किया था मैंने,……मत कर शादी इससे …पर हमारे नवाब को तो प्यार का भूत चढ़ा था … अब देखो.!! इसे न ढंग की सब्जी बनानी आये न रोटी … !! बाकी पकवान तो छोड़ ही … Read more

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