सुलक्षणा – रवीन्द्र कान्त त्यागी : moral stories for adults
आस पास के गांवों के किसान और रिआया की हालत देखी जाय तो चरण दास संपन्न और बड़े जमींदार माने जाते थे मगर गंगा किनारे बसे इस हर साल बाढ़ में डूबे रहने वाले इलाके के गांवों में, कुदरत के कहर के कारण विपन्नता ने पांव पसार रखे थे. बस खेती किसानी से गुजारा भर … Read more