बड़प्पन -करुणा मलिक Moral stories in hindi

कहाँ हो भाभी  , आज जा रही हूँ , सोचा …… चलो मिल आऊँ बताओ  मंजू भाभी , मैं तो कमला भाभी के यहाँ बेटे की शादी में इतना ख़र्च करके  आई  , पर बदले में कुछ भी ना मिला .. हाय क्या कह रही हो जिज्जी, सुना तो था  सुबह रोटी बनाने वाली से … Read more

अटूट बंधन – करुणा मलिक : Moral stories in hindi

अरी विमला ! दिन चढ़ आया आज उठना नहीं क्या ? पता नहीं , कैसी बहू पल्ले पड़ी है । लोगों के घर में खाना भी तैयार हो गया । एक हमारा घर है जो अभी तक बासी पड़ा है । दादी की आवाज़ पड़ोसियों को भी सुनाई दे गई ।  सुबह के पाँच बजे … Read more

विचारों का मेल – करुणा मलिक : Moral stories in hindi

अम्मी ! मैं परेशान हो चुकी हूँ, रोशन की यह समाज सेवा की आदत….. उफ़्फ़…… कहाँ और किससे हमारा निकाह कर दिया ….  क्या मसला है… नीलू …. तुम दोनों अच्छे डॉक्टर हो … तुम्हारी फूफी का बेटा है रोशन ….. तुम दोनों एक-दूसरे को जानते हो ……फूफा-फूफी का जमा जमाया क्लीनिक……थोड़ी बहुत ख़ैरात दे … Read more

अच्छे घर की लड़कियाँ – करुणा मलिक : Moral stories in hindi

स्वीटी ! कैसे मुँह फाड़-फाड़ कर हँसती हो ? अच्छे घर की लड़कियाँ धीरे मुसकराती हैं । स्वीटी ! कैसे हाथी की तरह धम्म-धम्म करके चलती हो ? अच्छी लड़कियाँ धीरे-धीरे चलती हैं । स्वीटी ! कैसे चप्प-चप्प करके खाती हो ? अच्छी लड़कियाँ मुँह बंद करके खाती हैं । स्वीटी ! कैसे लड़कों जैसे … Read more

ग़लतियाँ इंसानों से ही होती है – करुणा मलिक : Moral stories in hindi

ऐसे कैसे मेरे बेटे को कोई फँसा सकता है….. मैं अभी एडवोकेट सिन्हा को फ़ोन करता हूँ । बहू … तुम परेशान मत होना । रिटायर्ड जज कर्मवीर सिंह जी बौखलाए से बोले । उन्होंने तुरंत अपने शागिर्द रहे आनंद सिन्हा को फ़ोन मिलाया पर फ़ोन नहीं उठाया गया । दो/ तीन बार रिंग करने … Read more

अंदाज अपना-अपना – करुणा मलिक : Moral stories in hindi

आज पूरे छह महीने के बाद घर में एकदम से सन्नाटा सा पसरा था । नीरा को रह रहकर मिनी और अपने पोते ध्रुव की याद आ रही थी । आज सुबह बेटे मोहित , बहु मिनी और नन्हे से ध्रुव के जाने के बाद से ही मन बड़ा उदास था । जब छह महीने … Read more

बड़े घर की बेटी – रश्मि प्रकाश

“बिटिया क्या तुम सच में अपने ससुराल जा रही हो…. ?” शकु ताई ने नीति से पूछा  “ हाँ ताई…आप अपना ख़्याल रखना और ये चिट्ठी… मम्मा जब घर आए उन्हें दे देना ।” कहते हुए नीति अपना सामान पैक कर कार में बैठ घर से निकल गई  एक ही शहर में मायका ससुराल है … Read more

माँ पापा के संघर्ष की जीत : संगीता अग्रवाल

” मम्मी पापा कहाँ है आप जल्दी आइये !” रिया कॉलेज से घर आ अपने माता पिता को आवाज़ देती हुई बोली। ” आ गई लाडो …क्या हुआ सब ठीक तो है ?” पिता किशन ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। ” पापा मेरे कॉलेज मे हमें महान लोगो की जीवनी लिखने को … Read more

“रूप की रोए -कर्म की खाए” – हेमलता गुप्ता

 काफी तपस्या के फल के रूप में जब प्रशांत जी के यहां जुड़वा कन्याओं ने जन्म लिया तो पूरे घर में खुशी की लहर छा गई! उनका परिवार शुरू से ही लड़कियों को लक्ष्मी के रूप में मानता आ रहा था! दो बेटियां पैदा होने के उपरांत भी प्रशांत जी और सभी घरवाले बेहद खुश … Read more

मां की आह – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Story In Hindi

बाबूजी नौकरी में रहते ही,घर बनवा गए थे। फिजूलखर्ची ना करने वाले बाबूजी ने गांव में बंजर पड़ी काफी ज़मीन खरीद कर रखीं थीं।वैभव को पढ़ा-लिखा कर नौकरी भी लगवा दी और दोनों बेटियों की शादी भी करवाई थी संपन्न घरों में।उनकी मृत्यु के पश्चात अक्सर वैभव मां को ताना देता था”मां,तुमने बाबूजी को रोका … Read more

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