अनकही गंध – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

सुबह का सूरज अभी आँखें मल ही रहा था। हवा में कसैली सर्दी और डीजल इंजनों की तीखी गंध घुली हुई थी। छोटे से शहर के स्टेशन पर, प्लेटफॉर्म नंबर दो के पास, करमचंद का चाय का ठेला जैसे सिसकती हुई दुनिया में एक ऊष्मा का केंद्र था। उसके बर्तनों से निकलती भाप, जीवन की … Read more

 तरक्की – पुष्पा कुमारी ‘पुष्प’ : Moral Stories in Hindi

“मोहित बेटा! तुम अमेरिका से वापस कब लौटे?” अचानक एक जानी पहचानी आवाज सुनकर घर के बाहर खड़े अपने स्कूटर की सफाई कर रहे मोहित का ध्यान भंग हुआ… “अरे अंकल आप! नमस्ते अंकल! बहुत दिनों बाद इधर आना हुआ आपका!” किराया देकर अभी-अभी ऑटो से नीचे उतरे जगदीश्वर जी को देखते ही मोहित ने … Read more

“एक बूंद ओस की” – सुधा जैन : Moral Stories in Hindi

24 वर्षीय अनन्या संगीत स्कूल में प्राध्यापिका है ।सहज ,सुंदर सरल अनन्या अपने पापा की बहुत चहेती रही है ।बचपन से लेकर बड़े होने तक पापा, पापा करती रही ।सभी उसे पापा की परी के नाम से जानते है । बहुत लाडली थी पापा की। पापा संगीत स्कूल में अध्यापक थे। संगीत के प्रति समर्पित … Read more

मन की पीड़ा – उषा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

जीवन को विकास की गतिशीलता ही उसे जीवन्त बनाती है ,जिस दिन यह गति रुक जाये समझो उल्टी गिनती शुरू।व्यक्ति के जीवन की सबसे कठिन अवस्था होती है वृद्धावस्था जो उसेअपने साथ ही लेकर जाती है ,छोड़ती नहीं । इससमय शरीर की सारी इन्द्रियां शिथिल होकर शक्तिहीन होने लगती हैं ‌कभी बचपन में सुना था … Read more

जब मानवता बोल उठी। – ज्योति आहूजा

अप्रैल 2021 — कोरोना की दूसरी लहर पूरे देश में कहर बरपा रही थी। अस्पतालों में लंबी कतारें, ऑक्सीजन की कमी, और हर घर में चिंता का माहौल था। इन्हीं दिनों संध्या की तबीयत अचानक बिगड़ गई। तेज़ बुखार और साँस की दिक्कत ने  संध्या के पति अमित और पूरे परिवार को घबरा दिया। कोरोना … Read more

क्यों हो जाते हैं लोग इतने स्वार्थी – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

अपने आप बिस्तर से न उठ पाने की स्थिति में नर्मदा जी की बार बेटे को और पति को आवाज दे चुकी थी बाथरूम जाने के लिए लेकिन कोई सुन ही न रहा था । अपनी बेबसी पर खीज जाती नर्मदा जी और कह उठती है भगवान उठा क्यों नहीं लेता मुझे , बुला क्यों … Read more

ईश्वर की मदद – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

पून्नो  सूखी  लकड़ियाँ चुनते-चुनते जंगल में कितनी दूर निकल आई , उसे इस बात का अहसास तब हुआ जब पतली सी पगडंडी किसी दूसरी दिशा में मुड़ गई । चारों तरफ़ सन्नाटा, ऐसा लगा कि सूरज की किरणों की प्रचंडता से घबराकर जीव-जंतु तो क्या , पेड़-पौधों की परछाई भी छिप गई है ।  एक … Read more

आपसी समझ – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

गीतिका का पहला करवा चौथ था ।एक महीना पहले ही उसने मन ही मन तैयारी शुरू कर दी पर उसकी ससुराल में कोई हलचल नहीं थी । एक दिन ऑफिस में गीतिका की सहेली गुंजन ने कहा- गीतिका, करवा चौथ के लिए क्या ड्रेस तैयार करवा रही हो ? मैंने तो एक जॉरजेट का बड़ा … Read more

मेरी लक्ष्मीबाई – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

वनिता , अपनी बेटी के तौर तरीक़ों पर ज़रा ध्यान दो । वनिता की सास कांता देवी अपनी कर्कश आवाज़ में बोली । क्या हुआ ? माँ जी – वनिता कुछ सहमी सी बोली । क्या तुम्हें कुछ नहीं दिखता कि बेटी सयानी हो गई है । ये छोटे-छोटे कपड़े, बच्चों की तरह उछल-कूद, पूरा … Read more

अभागन – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

अम्मा ! कितनी देर में आई हो , गाय को रोटी देने गई थी आप। भाभी भी इंतज़ार करते-करते थक  कर सो गई । हाँ.. वो रास्ते में उषा की दादी मिल गई थी , तुझे तो उषा से मिले कई साल हो गए होंगे ? उ..षा…. सच्ची अम्मा, उषा तो कई सालों से दिमाग़ … Read more

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