मूर्ख नहीं मैं -लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

माँ कहाँ हो,कहते हुए चाँदनी नें घर मे प्रवेश किया। सामने अपनी छोटी भाभी को देखकर उसने पूछा भाभी माँ कहाँ है? यह सुनकर उसकी भाभी को बहुत ही बुरा लगा, फिर भी उसने हँसते हुए कहाँ अरे!दीदी घोड़े पर सवार क्यों हो?  थोड़ा रुको अपनी भाभी से भी तो परनामा पाती(अभिवादन और हालचाल लेना … Read more

कहावत – काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती – सुदर्शन सचदेवा : Moral Stories in Hindi

भव्या ने देखा – एक नया फ्रेंड रिक्वेस्ट आया है| मोबाइल स्क्रीन पर यह नोटिफिकेशन चमका और चेहरा भी चमकने लगा | आजकल उसकी दुनिया किताबों से ज्यादा मोबाइल में बसती थी | इंस्टा की रील, फेस बुक व्हाट्सअप  नये नये फ्रैंड रिक्वेस्ट  – यही रोज़ का रुटीन था | शुरुआत में तो अच्छा लगा … Read more

काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती – सीमा सिंघी  :  Moral Stories in Hindi

 इतने ऑर्डर आए हुए हैं, मगर यह जूली भी न जाने कहां जाकर बैठ गई है। मशीन पर बैठेगी,तभी तो कपड़े सिलाई होंगे। यूं अपने आप तो नहीं तैयार हो जाएंगे ना,मगर मेरी बात सुने तब तो,इसी तरह बडबडाते हुए जूली की ताई जी शीला जी जूली को ढूंढते हुए उसके कमरे तक पहुंच गई।  … Read more

काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती – खुशी : Moral Stories in Hindi

रमा ब्याह कर एक भरे पूरे घर में आई जहां सास ससुर, ताऊ और ताई सास गायत्री देवी ननद देवर सब मिले। ताई को बहुत घमंड था कि उनके परिवार में सिर्फ लड़के है।उनके 3 लड़के और सासूजी के 2 पर सासू मां को एक बेटी गीता होने पर ताने सुनाती तूने खानदान की परंपरा … Read more

कभी न कभी तो पोल खुलती है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

 बारात आ गई, बारात आ गई”, यह सुनकर मेहमान बारात के स्वागत के लिए होटल के बाहर के गेट की तरफ चल पड़े। वैसे ज्यादा लोग थे भी नहीं। बहुत करीबी 25-30 रिशतेदार या खास दोस्त ही रहे होगें और लड़के वालों की तरफ से तो इतने भी नहीं थे। दस बारह ही थे, बाकी … Read more

काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती – डॉ आभा माहेश्वरी : लघुकथा

एक गाँव के पास एक छोटा सा बाजार था। वहाँ एक चालाक व्यापारी, मोहन, हर हफ्ते नया बहाना बनाकर ग्राहकों को ठगता। कभी कोई मसाला लाता और कहता, “यह मसाला विदेश से आया है,” तो कभी “यह तेल जड़ी-बूटियों से बना है, जटिल रोगों का इलाज होता है इससे।” सीधेसादे लोग उसके झाँसे में आ … Read more

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