कभी न कभी तो पोल खुलती है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

 बारात आ गई, बारात आ गई”, यह सुनकर मेहमान बारात के स्वागत के लिए होटल के बाहर के गेट की तरफ चल पड़े। वैसे ज्यादा लोग थे भी नहीं। बहुत करीबी 25-30 रिशतेदार या खास दोस्त ही रहे होगें और लड़के वालों की तरफ से तो इतने भी नहीं थे। दस बारह ही थे, बाकी … Read more

काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती – डॉ आभा माहेश्वरी : लघुकथा

एक गाँव के पास एक छोटा सा बाजार था। वहाँ एक चालाक व्यापारी, मोहन, हर हफ्ते नया बहाना बनाकर ग्राहकों को ठगता। कभी कोई मसाला लाता और कहता, “यह मसाला विदेश से आया है,” तो कभी “यह तेल जड़ी-बूटियों से बना है, जटिल रोगों का इलाज होता है इससे।” सीधेसादे लोग उसके झाँसे में आ … Read more

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