वह एक पत्र – सुबोध प्राण : Moral Stories in Hindi

छोटे से कस्बे नरैनी में एक पुराना घर था, जहां सुशीला देवी अकेली रहा करती थीं। उनके तीन बेटे थे — तीनों महानगरों में बसे, ऊँचे पदों पर कार्यरत। लेकिन माँ के लिए समय नहीं था किसी के पास। हर महीने पैसे भेज दिए जाते, कभी फोन आ जाता, पर घर में पसरी हुई खामोशी … Read more

राज़ खोलना – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

“आज तो मैं तुम्हारा राज जानकार ही रहूँगा । आख़िर तुम कौन हो जो इस अनाथाश्रम के बच्चों के लिए बिना अपनी पहचान बताए इतना धन दान करते हो कि ये बच्चे अपनी पढ़ाई-लिखाई करने के साथ अच्छा खा-पहन भी पाते हैं ।हम सब तुम्हारे शुक्रगुज़ार हैं बेटा और तुम्हारा दान दुनिया को बताना चाहते … Read more

पता है…. – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

ऑफिस की सीढियां चढ़ ही रहा था कि पीछे दौड़ती आती पदचापों से थम सा गया मुड़ कर देखा तो अश्विनी था। थोड़ा ठहर तो अविनाश  तेरे पैदल चलने में भी वही रफ्तार है जो  तेरे ऑफिस काम करने के तरीके में है अरे इतनी जल्दी है तो लिफ्ट से आया जाया कर  तुझे पता … Read more

राज़ खोलना – सोमा शर्मा : Moral Stories in Hindi

यह कहानी हैं एक छोटे से खुशहाल परिवार की ।सावित्री देवी का परिवार उनका बेटा निर्मल और बहु लता उनके दो बच्चे नीला और नवीन।नीला कॉलेज में ग्रेजुएशन कर रही है और नवीन अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई के आखिरी साल में है। सावित्री देवी ने अपने पति को एक  सड़क दुर्घटना में खो दिया था … Read more

केक – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

बचपन से ही खाने-पीने के अति शौकीन दादा जी अपनी वृद्धावस्था में यद्यपि अब डायबिटीज और बीपी के शिकार हो चुके थे, किंतु आजकल अपनी बहू द्वारा समय-समय पर उनके मीठे, अति तीखे और चटपटे खाद्य पदार्थों पर लगाई जाने वाली रोक-टोक उन्हें सहन नहीं हो रही थी। वे दादी से भी अक्सर ही इस … Read more

आंचल पसारना – ज्योति आहूजा : Moral Stories in Hindi

सरिता जी रसोई से निकलकर ड्राइंगरूम की खिड़की के पास आकर बैठ गईं। हाथ में चाय की प्याली थी, लेकिन नज़र कहीं दूर ठहरी थी। उनके पति, श्याम बाबू, आज अपना बासठवां जन्मदिन मना रहे थे। घर शांत था। मोमबत्तियाँ, मिठाई की थाली, और केक — सब कुछ था… सिवाय बच्चों की आवाज़ के। नीरज … Read more

भीख नहीं दुआ – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

गली और सड़क का वह दोराहा ।संकरी गली से बेहद कठिनाई से जब मैं अपनी कार निकाल कर सड़क के उस दोराहे पर पहुंचता वह स्त्री झट से अपना आंचल पसार कर खड़ी हो जाती।बेहद चिढ़ से मै कार का शीशा उपेक्षा से चढ़ाकर तेजी से आगे बढ़ जाता था। अक्सर वह मुझे वहीं खड़ी … Read more

आंचल पसारना – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

 मानसी की शादी के कुछ दिन बाद ही भाई रमन की किसी बात को लेकर उस से अनबन हो गई ! यूं तो मानसी अक्सर अपने भाई रमन को याद करती रहती थी मगर दो दिन बाद ही राखी का त्यौहार था ! उसे रह रहकर अपने भाई रमन की बहुत याद आ रही थी … Read more

अफसोस – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

दादी मां आप छोटे को ले आइए तब तक मैं घर के छोटे मोटे काम निपटा लेती हूं… गौरी ने दादी किशोरी देवी को कहा और काम मे लग गई। काम से फ्री होकर सोचा मां से बात कर लूं शायद मां घर लौट आये। मां प्लीज इस बार लौट आइए न हम हम दोनो … Read more

मां की ममता – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

शादी को पाँच साल हो गए थे, पर  मीना को कोई बच्चा नहीं हुआ था। हर तरह का इलाज करवा कर हार मान चुकी थी। अब उसने अपनी तकदीर भगवान पर छोड़ दी थी। इन्हीं दिनों उसके देवर की शादी हो गई। संयोग से देवरानी शादी के तुरंत बाद गर्भवती हो गई और जुड़वां बेटों … Read more

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