आंसू पीकर रह जाना -प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मेघा खूब खुश थी क्योंकि की कितने सालों के बाद वो राखी मनाने भईया के घर जा रही थी। मां – पापा के जाने के बाद तो सारा त्योहार ही सूना हो गया था। मायका ही नहीं बचा था। सब तैयारी कर ली, बाजार जाकर पूरे परिवार के लिए कपड़े खरीदे और राखी मिठाई सब … Read more

अतिथि,अब तुम जाओगे – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

बचपन में हमें टीचर ने सिखाया था कि अतिथि देवो भवः और सयाने होने पर दादी ने भी यही सिखाया था।जब भी चाचा, बुआ-फूफाजी अथवा पिताजी के मित्र हमारे घर आतें तो माँ हम सभी भाई-बहनों को एक कमरे में समेट देतीं थीं।अब रात को एक ही बिस्तर पर हम पाँचों भाई-बहन एक-दूसरे पर लातें … Read more

कलछुल -पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

“सुधा! तुमने ध्यान दिया?” “क्या?” “अपना बंटी कितना बदल गया है!” पहली बार अपनी पत्नी सुधा संग बलिया से बेंगलुरु बेटा-बहू से मिलने आए चंदेश्वर ने अपने मन की हलचल साझा किया। “आपने सही कहा जी! मैं भी कल से यही महसूस कर रही हूंँ कि कितनी जल्द समझदार हो गया है अपना नटखट बंटी।” … Read more

” बच्चे तो बच्चे ठहरे” – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

नियति दुनिया की नज़र मे एक बेहतरीन पत्नी ( जो अपने पति को एक गिलास पानी भी खुद से ना लेकर पीने दे ) एक बेहतरीन माँ ( जो अपने बच्चों पर बिना क्रोध किये उनकी बेहतर परवरिश करती है ) । जब भी कोई मेहमान घर आता नियति की तारीफ करते नही थकता कि … Read more

“एक सास का सपना” – माधवी मूंदरा : Moral Stories in Hindi

इंदु एक होशियार और मेहनती चार्टर्ड अकाउंटेंट थी। शादी के बाद वह अपने करियर और घर के बीच संतुलन बनाने में संघर्ष कर रही थी। सुबह ऑफिस के लिए जल्दी उठना, फिर घर के सारे काम निपटाना और समय पर ऑफिस पहुंचना — यह सब उसके लिए बेहद थकाऊ हो गया था।उसे लगने लगा था … Read more

राज़ खोलना – लक्ष्मी त्यागी : Moral Stories in Hindi

विनिता ने, चुपचाप किसी को कुछ भी बताये बग़ैर अपने दोस्त के साथ एक योजना बनाई।जब  वह अपने दोस्त के साथ बैठी हुई बातें कर रही थी। तब उन दोनों के पीछे उसका छह साल का बेटा वहीं पर सो रहा था। विनीता ने अपने दोस्त से, एक ‘केक’ लाने के लिए कहा था। तभी … Read more

राज खोलना – -परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

आज रानी खूब खुश थी कारण अपने श्वसुर को नौकर बना रखा था। अकेला बेटा इसका पति है सो जैसा चाहेगी वही करेगी,मगर दांव उल्टा पड़ गया। रानी का पति जवाहर एक दफ्तर में बाबू था और रानी उसके सामने श्वसुर से अच्छा व्यवहार करती थी और जाते ही- अबे बुढ ऊं, झाड़ू ठीक से … Read more

वह एक पत्र – सुबोध प्राण : Moral Stories in Hindi

छोटे से कस्बे नरैनी में एक पुराना घर था, जहां सुशीला देवी अकेली रहा करती थीं। उनके तीन बेटे थे — तीनों महानगरों में बसे, ऊँचे पदों पर कार्यरत। लेकिन माँ के लिए समय नहीं था किसी के पास। हर महीने पैसे भेज दिए जाते, कभी फोन आ जाता, पर घर में पसरी हुई खामोशी … Read more

राज़ खोलना – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

“आज तो मैं तुम्हारा राज जानकार ही रहूँगा । आख़िर तुम कौन हो जो इस अनाथाश्रम के बच्चों के लिए बिना अपनी पहचान बताए इतना धन दान करते हो कि ये बच्चे अपनी पढ़ाई-लिखाई करने के साथ अच्छा खा-पहन भी पाते हैं ।हम सब तुम्हारे शुक्रगुज़ार हैं बेटा और तुम्हारा दान दुनिया को बताना चाहते … Read more

पता है…. – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

ऑफिस की सीढियां चढ़ ही रहा था कि पीछे दौड़ती आती पदचापों से थम सा गया मुड़ कर देखा तो अश्विनी था। थोड़ा ठहर तो अविनाश  तेरे पैदल चलने में भी वही रफ्तार है जो  तेरे ऑफिस काम करने के तरीके में है अरे इतनी जल्दी है तो लिफ्ट से आया जाया कर  तुझे पता … Read more

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