दिखावटी रोना – सुदर्शन सचदेवा : लघुकथा

सावित्री के घर आज खूब रौनक थी , क्योकि काशवी की शादी तय हो गई थी | रिश्तेदार आ जा रहे थे, कहीं हंसी ठिठोली और कहीं मस्ती में झूम रहे थे | सावित्री भी सबके साथ हंसते हुए तैयारियों में व्यस्त थी – पर कभी कभी दूसरे कमरे में जा कर रो देती थी … Read more

एक आंख से रोवे एक आंख से हंसे – गीता अस्थाना :

महिम बाबू अपने बेटों की शिक्षा और उन्हें सुयोग्य बनाने के उद्देश्य से गांव छोड़कर शहर में आए। उनके दो अपने बेटे थे सुरेन्द्र और महेंद्र। तीसरा उन दोनों से छोटा वीरेंद्र,जो उनके भाई का था , उसके बाल्यकाल में ही उनका निधन हो गया था। जीवनयापन के उद्देश्य से उन्होंने गोलघर मार्केट में एक … Read more

एक आंख से हंसे एक से रोवे – शुभ्रा बैनर्जी :

 Moral Stories in Hindi अमृता पापा की बहुत लाड़ली थी।पापा उसके नाज -नखरे उठाते रहे जिससे वह जिद्दी हो गई थी। बात-बात पर बगावत कर देती मां से।नकचढ़ी हो गई थी बहुत अमृता।काम काज में बहुत होशियार थी,पर करती अपने मन की थी।कॉलेज में सेकेंड इयर में थी,तभी एक अच्छा रिश्ता आया उसके लिए। लड़के … Read more

लम्बी उम्र – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू :

क्या सचमुच अम्मा मजबूर हो जाती है बहुओं के आते ही ये सवाल सुनीता के मन में तब तक कौंधता रहा जब तक वो खुद सास नही बन गई। उसे याद है उस रोज की घटना जब वो पड़ोस वाली भाभी के घर में बैठी थीं और पड़ोसन से बतिया ही रही थी कि उनके … Read more

बहू ने ना कहना सीख लिया – परमा दत्त झा : लघुकथा

आज गीता बहुत दुखी थी कारण मम्मीजी ने उसे मैके में जाने का हुकुम सुना दिया था। गीता मम्मी जी के मायके नहीं जाना चाहती थी। सो यह कालेज जब गयी तो जाते समय मम्मी ने हुकुम सुना दिया तीन दिन की छुट्टी कालेज से ले लो। वहां सुरेन्द्र के बेटे मोनू का मुंडन है। … Read more

घड़ियाली आसूं – विमला गुगलानी : Short Story in Hindi

  सुबह होते ही गांव के जिमींदार की मौत की खबर पूरे गांव में जंगल की आग की तरह फैल गई थी। ऐसी खबरें तो पुराने जमाने में  भी पलक झपकते ही पहुंचती थी और आज तो मोबाईल का जमाना है। एक के बाद दूसरी सांस आने से पहले ही मैसेज पहुंच जाता है।         जिमींदारी प्रथा … Read more

खून के आंसू -परमा दत्त झा :  Moral Stories in Hindi

आज ठाकुर गिरधारी जी दुखी थे कारण पत्नी और बच्चे आज अलग थे।आज चाय पीने उठे मगर हाथ से कप गिर गया और वे रोने लगे। आज अकेले थे,आटो चलाकर दिन गुजारते थे।दिनकट जाता था मगर रात का अकेलापन। ठाकुर भूखे पेट बिस्तर पर लेट गये और खो गये अतीत की याद में। आज से … Read more

रक्षाबंधन – के आर अमित :

आज सुबह से ही हड़बड़ाहट में लग रहे हैं  चेहरे पे खुशी है पर घबराहट में लग रहे हैं खुद ही खुद से करके बाते मुस्कुराने लगते जाने क्यों दादाजी बड़बड़ाहट में लग रहे हैं। चश्मा साफ करके कभी रास्ता ताक रहे हैं तो कभी दीवार पे टँगी घड़ी को झांक रहे हैं कभी खो … Read more

रिश्तों की गांठ – प्रतिमा पाठक :Moral Stories in Hindi

राखी का त्यौहार आने वाला था। बाजार रंग-बिरंगी राखियों से सजे हुए थे, और बहनों की भीड़ हर दुकान पर उमड़ रही थी। मगर इस रौनक से दूर, एक छोटे से गांव की स्नेहा, चुपचाप एक राखी अपने हाथों से बना रही थी। वह हर साल की तरह इस बार भी अपने भाई अतुल को … Read more

पलटवार – लतिका श्रीवास्तव

विमल कहां मर गया।मेरा चश्मा लेकर आओ कब से कह रहा हूं तेरे कानों का इलाज करवाना पड़ेगा मनोहर जी झल्लाते हुए आवाज लगा रहे थे। पापा ढूंढ रहा हूं मिल ही नहीं रहा विमल ने असहाय भाव से प्रत्युत्तर दिया। ढूंढ रहा हूं …. अरे वहीं मेज पर रखा है तुझे कोई चीज आज … Read more

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