कन्या-विदाई – विभा गुप्ता

महाअष्टमी के दिन कन्या-पूजन की खरीदारी के लिये रश्मि मार्केट के लिए निकली तो उसे याद आया कि  कंजिकाओं को विदाई में क्या उपहार दे, इसके बारे में तो तो सोचा ही नहीं।फिर उसे याद आया कि उसकी सहेली नीतू भी कंजिकाओं को बुला रही है, उसका घर रास्ते में ही तो है, उसी से … Read more

संयम जरूरी है – विमला गुगलानी

सुबह के सात बजे होगें, शनिवार की सुबह, नीरजा चाय बनाने के लिए रसोई में गई ही थी कि मोबाईल बज उठा, देखा तो मिनी का फोन था, मिनी यानि की नीरजा और लोकेश की लाडली बेटी। इतनी सुबह फोन और वो भी शनिवार को, मिनी तो छुट्टी वाले दिन दस बजे से पहले बिस्तर … Read more

आप से बाहर होना – रीतू गुप्ता

कविता का दिमाग खराब हो रहा था .. अकेली.लगी पड़ी थी काम पर … त्यौहार आ रहे थे पर मजाल है बच्चे थोड़ा साथ देदे .. बेटा अमन जो कि मोबाइल पर गेम खेल.रहा था…. अमन जब देखो तब मोबाइल देखते रहते हो.. मोबाइल बंद करते हो तो टीवी चला लेते हो …टी.वी बंद तो … Read more

इत्ती सी बात – लतिका श्रीवास्तव

शहर की व्यस्ततम सड़क। भारी ट्रैफिक ।आवाजाही का शोर।ग्रीन सिग्नल की प्रतीक्षा में कतारबद्ध खड़ी गाड़ियां।आज कुछ ज्यादा ही भीड़ थी। अनुराग का धैर्य समाप्ति पर था।उसका इंटरव्यू था ।टाइम पर पहुंचना कितना बहुमूल्य था आज समझ में आ रहा था उसे। कार की स्टीयरिंग में ठहरे हाथ उतावले हो रहे थे।सिग्नल के परमिशन की … Read more

क्रोध – एम पी सिंह

रामलाल एक माध्यम परिवार से था और पढ़ने मैं बहुत तेज। रामलाल के पिताजी सोहनलाल जी प्राइवेट बैंक मे क्लर्क थे और माताजी गृहणी। रामलाल को पढ़ाई के आलावा कोई शौक नहीं था, किसी से भी ज्यादा बातें नहीं करता था, बस अपनी मॉ से लगाव था। वैसे तो सोहनलाल एक नेक इंसान था पर … Read more

इतनी-सी बात – विभा गुप्ता

      ” अम्मा जी..जब दिखता नहीं है तो चुपचाप अपने कमरे में ही क्यों नहीं बैठी रहतीं।इतना मंहगा कप तोड़ दिया आपने..मेरा भाई कनाडा से लाया था..आपके बेटे की तो औकात है नहीं कि इतना मंहगा…। ” प्रमिला अपनी बूढ़ी सास पर बरस रही थी कि तभी उसका देवर निशांत आ गया।माँ पर बरसते अपनी भाभी … Read more

आपे से बाहर होना – डोली पाठक

आप कितने पढ़े-लिखे हैं… कितनी डिग्रियां ले रखी हैं और आप कितने ईमानदार और नेक इंसान हैं इन सारी हीं बातों का कोई अर्थ नहीं रह जाता जब आपको लोगों के साथ व्यवहार करना नहीं आता… आपकी भाषा शैली और बात करने का सलीका आपकी डिग्री का मोहताज नहीं होता… अक्सर हमने देखा है कि … Read more

आपे से बाहर होना – हेमलता गुप्ता

जवान बेटी पर हाथ उठाते शर्म नहीं आ रही हो क्या गया है तुम्हें किस बात पर इतना गुस्सा आ रहा है मुझे भी तो बताओ.. मानसी के कहने पर रमेश जी ने अपना आपा और खो दिया और वह चिढ़कर बोले… यह सब तुम्हारी शह की वजह से हो रहा है तुमने इतनी छूट … Read more

आपे से बाहर होना – लक्ष्मी त्यागी

सलोनी मध्यवर्गीय परिवार से थी , उसने अपने माता-पिता को बचपन से ही संघर्ष करते देखा था। वह भी उनका हाथ बटा देना चाहती थी। किसी तरह उसने स्नातक की परीक्षा दी और नौकरी करने लगी। ऐसा नहीं कि सलोनी शांत स्वभाव की थी बल्कि उसने अपने जीवन में,अपने आपको,छोटे बहन -भाई को छोटी-छोटी जरूरत … Read more

आपे से बाहर होना – निमिषा गोस्वामी

शालू ऊ ऊ ऊ ऊ तुमने इन बच्चों को मेरे कमरे में कैसे आने दिया। निकालो इन्हें बाहर।सारा कमरा बिखरा दिया। वैभव अपने कमरे को बिखरा हुआ देखकर आपे से बाहर हो गया। वह ज़ोर से अपनी बीवी पर चिल्ला रहा था। शालू किचन में चाय बना रही थी। गैस बंद कर घबड़ाकर भागी।क्या हुआ … Read more

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