सीरत – कल्पना मिश्रा

काला रंग,एक आंख आधी बंद सी और बाहर निकले हुए दांत,,,कुल मिलाकर वह मुझे एक आंख ना भाती। मैं बहाने बनाकर उसे निकालना चाहती लेकिन उसकी मां हाथ जोड़कर अपनी कमजोर स्थिति का हवाला देकर मुझे चाहकर भी उसे नही निकालने पर मजबूर कर देती। फिर एक दिन अचानक मेरे पति नही रहे।उनकी तेरहवीं के … Read more

आग में घी डालना – डॉ कंचन शुक्ला

“प्ररेणा तुम हमेशा किताबों में क्यों घुसी रहती हो??  कभी-कभी घर के कामों में भी हाथ बटा दिया करो दिन भर कॉलेज में रहो और जब घर आओ तो क़िताब लेकर बैठ जाओ, घर के काम के लिए  मैं और तुम्हारी बड़ी बहन तो है ही बस तुम महारानी की तरह बैठ कर राज करो” … Read more

एक मुक्का – लतिका श्रीवास्तव

अन्ततः दांत के डॉक्टर के पास मुझे जाना ही पड़ा .. बकरे की मां कब तक खैर मनाती..!डेंटिस्ट के यहां से घर वापिस आकर बैठा ही था कि पड़ोसी श्यामलाल टपक पड़े।पत्नी से बर्फ लेकर दांत की सिंकाई के लिए तत्पर होता मैं असमय आए श्यामलाल को देख चिढ़ गया।आ गया घाव पे नमक छिड़कने। … Read more

बचपन की यादें – रीतू गुप्ता

मामू की शादी में सभी बरसों बाद मिल रहे थे। मामू, मौसी और मम्मी तो कभी मुस्करा रहे थे कभी आंख भर लेते । नानी बार बार तीनों बच्चों को, नाती-नातिन को साथ देख बलाएं ले रही थी। “देख रही हो सुगंधा …आज पूरा घर बच्चों के ठहाकों से गूंज रहा है” ~ नानू बोले।  … Read more

आग में घी डालना – प्रतिमा श्रीवास्तव

आग में घी डालना( लघुकथा) सासू मां को मैं फूटी आंख नहीं सुहाती थी। किसी तरह उनके दिल में जगह बनाना शुरू ही किया था कि छोटी ननद आकर मेरे खिलाफ भड़का दी थी। उस दिन मुझे बहुत दुख हुआ था कि बहू कितनी भी कोशिश कर ले ससुराल को अपना बनाने की लेकिन उसे … Read more

बेटी, बेटा एक समान – विमला गुगलानी

सुशीला रसोई में जल्दी जल्दी हाथ चला रही थी और कामवाली रेशमा को भी मन ही मन कोसे जा रही थी।जब भी घर में मेहमान आने हो, ये महारानी छुट्टी करके बैठ जाती है, और ये भी नहीं कि एक दिन पहले बता दे, सुबह ही फोन करेगी।     तभी कौशल जी रसोई में आए और … Read more

साक्षात् दुर्गा – विभा गुप्ता

       ” ये क्या चंदा..आज फिर से…तू एक बार उसका हाथ पकड़कर ऐंठ क्यों नहीं देती।तेरी कमाई खाता है और तुझ पर ही हाथ…।खाली ‘दुर्गा मईया सब ठीक कर देंगी’ कहने से नहीं होता है..दुर्गा बनना भी पड़ता है..।” अपनी कामवाली के चेहरे और हाथ पर चोट के निशान देखकर आरती गुस्से-से उस पर चिल्लाई।       ” … Read more

आग पर तेल छिड़कना – विनीता सिंह

सरला जी ने अपने बेटे की  शादी की थी ,उनकी बहू सुरभि जो की एक पढ़ी-लिखी और समझदार लड़की है। लेकिन दोनों की सोच में जमीन आसमान का अंतर था ।सरला जी जहां परंपरा को मानने वाली और उनका विचार था की बहू को घूंघट में रहना चाहिए, और वहीं दूसरी तरफ सुरभि  खुले विचारों … Read more

आग पर तेल छिड़कना –  हेमलता गुप्ता

मैं तो पहले ही कह रही थी कि नूपुर को  अगर बढ़िया कोचिंग में डलवाते तो यह नतीजा नहीं आता, देख लो जैसे तैसे करके 12वीं पास हुई है! मैंने तो अपनी कृति को सबसे टॉप की कोचिंग में डलवाया था और देखो उसका इस साल ही हो सकता है 12वीं के साथ ही मेडिकल … Read more

कन्या-विदाई – विभा गुप्ता

महाअष्टमी के दिन कन्या-पूजन की खरीदारी के लिये रश्मि मार्केट के लिए निकली तो उसे याद आया कि  कंजिकाओं को विदाई में क्या उपहार दे, इसके बारे में तो तो सोचा ही नहीं।फिर उसे याद आया कि उसकी सहेली नीतू भी कंजिकाओं को बुला रही है, उसका घर रास्ते में ही तो है, उसी से … Read more

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