रिटायरमेँट के अकेलापन में आस का दीपक – डॉ बीना कुण्डलिया
आज कालेज का पहला दिन था। मालती ने जैसे ही महाविद्यालय में प्रवेश किया, वो डरी डरी सहमी सहमी न जाने क्यों ? उसको ऐसा लग रहा सभी लड़के, लड़कियां जैसे उसको ही देख रहे हैं। वैसे भी स्वभाव गत मालती शर्मीली झेंपू क़िस्म की लड़की थी । बी एस सी फर्स्ट ईयर की क्लासेज … Read more