धरती के जीव – करुणा मलिक

पवन ! ये मोहल्ले के सारे कुत्ते हमारे घर के बाहर  क्यों  बैठे हैं? दो दिन से देख रहा हूं कि कुत्तों की फौज घर के सामने खड़ी रहती है। वो दरअसल साहब जी ,माँ जी ने यहाँ इनके लिए रोटियाँ डाली हुई हैं………… घर के बाहर बैठे गार्ड की बात सुनकर शहर के एस० … Read more

निर्दोष की बद्दुआ – गीता वाधवानी

 बड़ा ही रोब था उसका, नाम था उसका पुत्तन  भैया।   वाहन,दुकान, पैसा,दो मकान और ढेर सारे चमचे, गुर्गे, जो पुत्तन भैया को भरपूर मक्खन लगाते थे। कई गैर कानूनी कामों से पैसा कमाया जाता था। और शायद उन पापों को धोने के लिए कभी माता की चौकी, तो कभी मंदिर में भंडारा करवाया जाता और … Read more

अब किसकी शिकायत करोगी….. – रश्मि प्रकाश

“ माँ आज बद्दुआ नहीं दोगी…अब शिकायत नहीं करोगी… ?” जयदेव ने जैसे ही कहा उनकी माँ कलावती ज़ोर ज़ोर से रोते रोते कहने लगी “ चली गई रे इस घर को छोड़कर हमेशा के लिए…अब कौन मोहे सवेरे की चाय देवेगा…. उसे बुला ले रे वापस जय…मत जाने दे।”  “ अब वो कभी नहीं … Read more

बद्दुआ – कुमुद मोहन

“मां जी!पापा की बहुत तबियत खराब है भाई का फोन आया है एकबार मुझे देखना चाहते हैं !मै जाऊं?”डरते डरते नीता ने अपनी सास शीला जी को कहा! “क्यूं? तू कोई सिविल सर्जन है क्या जो जाकर अपने बाप को ठीक कर देगी”शीला गुस्से से बड़बड़ाई । तेरे घरवालों का ये रोज रोज का नाटक … Read more

बद्दुआ – प्रतिमा श्रीवास्तव

अम्मा भूखी हूं दो दिन से कुछ खाने को दे दो। मेरे बच्चों ने भी कुछ नहीं खाया है। दरवाजे पर खड़ी एक भिखारिन जो भूख से तड़प रही थी और उसकी आवाज भी धीमी सी पड़ने लगी थी।बार – बार पूकार रही थी तभी घर की मालकिन सरोजा जी बाहर आईं और उस पर … Read more

बद्दुआ – दीपा माथुर

शहर के एक छोटे मोहल्ले में, चमचमाती इमारतों के बीच, एक टूटी-फूटी झोपड़ी थी। वहीं रहता था सद्दू — बारह साल का दुबला-पतला बच्चा। माँ पहले ही गुजर चुकी थी और पिता रिक्शा चलाकर जैसे-तैसे पेट पालते थे। घर में चार छोटे भाई और दो बहनें… ज़िम्मेदारी का पहाड़ उस नन्हे कंधे पर था। बच्चा … Read more

बद्दुआ लेने वाले काम ही न करो – विमला गुगलानी

“ नई ममी आ गई, नई ममी आ गई” चार साल की रूही खुशी में चिल्लाते हुए बोली।बाहर बाजा बजने की आवाज आ रही थी। कैलाशवती ने आरती की थाली तैयार कर रखी थी। दुल्हा , दुल्हन का पूरे रीति रिवाज से स्वागत किया गया।       जब सब हो गया तो कैलाशवती ने बेटी स्नेहा को … Read more

बददुआ – खुशी

दुआ और बददुआ ऐसे शब्द है जिनमें सिर्फ एक ही अक्षर का फरक है।दुआ किसी को लग जाए तो आदमी के बारे न्यारे करती हैं और बददुआ जिसे लग जाए उसका सब कुछ छीन लेती हैं। दया और माया दो बहने थी। अपने माता पिता रजत और कमला की दो संतान दया और माया।दया बचपन … Read more

बद्दुआ – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

——————————          हम तो खुद ही तुमसे माफी मांगने आए हैं बहुरिया, बद्दुआ ना देना। अब तो परमात्मा ने तुम्हारी सुन ली, पुरानी बातों को मन से निकाल दो हम तो तुमसे  कुछ भी सिर्फ इसलिए ही कही कि तुम कुछ समझ लो। तुम कहां से इलाज कराया बता दो बहुरिया तुम्हारी ननद सुशीला को बालक … Read more

बद्दुआ –  हेमलता गुप्ता

तो आप पापा जी की रोटी में इतना भर भर के घी लगा रही हैं तभी मैं सोचूं आपके यहां आने के बाद घर में राशन इतनी जल्दी खत्म क्यों जाता है, एक बात बताइए मम्मी जी.. क्या आप गांव में भी पापा जी को ऐसी रोटी देती है या अपने बेटे के यहां पर … Read more

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