कर्मों का फल तो इसी धरती पर मिलता है – मंजू ओमर
शकुन्तला जी अपने कमरे में बैठीं बैठी आंसू बहा रही थी । अपने कर्मों पर ,जो कुछ उन्होंने अपने परिवार के साथ और खास तौर से अपने पति श्रीनिवास के साथ किया था उसकी गणना कर रही थी।आज खुद जिस स्थिति में है उसका हिसाब किताब लगा रही थी। जिसकी जिम्मेदार वो खुद थी कोई … Read more