मां का संदूक – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

राहुल उस दिन घर आया तो आँगन में धूप सुनहरी चादर बिछाए खड़ी थी। कोने में माँ बैठी थीं—झुकी कमर, काँपते हाथ, आँखों पर मोटा चश्मा। उनके सामने रखा था एक पुराना लकड़ी का संदूक, जिसकी काली पेंट जगह-जगह से उखड़ चुकी थी। राहुल ने अनमनेपन से कहा— “माँ, इस जंग लगे संदूक में अब … Read more

स्वाभिमान के लिए – डा० विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

जगत नारायण जी अपने घर के बैठका में बैठे थे। चेहरे पर गहरी झुर्रियाँ थीं, पर उनमें जीवन का अनुभव भी झलकता था। उसी समय पड़ोसी सुबोध जी आकर पूछ बैठे— “अरे सर जी! आप यहाँ कैसे ? आपके तो तीन-तीन बेटे हैं, तीनों अच्छी नौकरियों में हैं, फिर भी आप उनके साथ क्यों नहीं … Read more

बोझ नहीं डालना – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

रात के सन्नाटे को चीरती हुई एक ऐसी खबर आई थी की मां बाप को पूरी तरह तोड़ गई थी। कोचिंग सेंटर से एक विद्यार्थी मनीष जो मेरे बेटे संदीप का मित्र था, उसने बताया की “संदीप ने खुदकुशी करने की कोशिश की है। अंकल वो अस्पताल में भर्ती है आप जल्दी से आ जाइए।” … Read more

पछतावे का बोझ – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉलेज के हरे-भरे कैंपस की भीड़-भाड़ के बीच रिया अक्सर पेड़ों की छाया तले किताब लेकर बैठी मिलती। आस-पास दोस्तों की हंसी-ठिठोली गूंजती रहती, क्रिकेट और डिबेट्स की आवाज़ें माहौल में तैरतीं, पर उसकी दुनिया किताब के पन्नों और सपनों की खामोश गलियों तक ही सिमटी रहती। उसी भीड़ में एक चेहरा … Read more

ममता – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi

“सर जितनी फीस आप के मैनुअल में लिखी हुई थी, मैं सारी जमा करा चुका हूँ। अब ये लैब चार्ज, लाइब्रेरी फीस अलग से कहाँ से आ गई।” “ये तो होता ही है।” सामने बैठे क्लार्क से रुखाई से जवाब दिया।  “मगर मैं तो पिछले बीस दिन से आप के कौलेज का एक एक एक्स्पैंस, … Read more

बेटे के घर रहने का मन नहीं करता – अर्चना खण्डेलवाल : Moral Stories in Hindi

चल,  माधुरी जल्दी से तैयार हो जा, आज हम बाहर खाना खाने चलेंगे, मेरा घर पर खाने का मूड नहीं है,  कमल जी चहकते हुए बोले। हां, वो तो ठीक है, पर आज अचानक कैसे? मैंने तो रात के खाने के लिए सब्जी भी काट कर रख ली है, कोई ना फ्रिज में रख देती … Read more

आप अपने बेटे के साथ क्यों नहीं रहते – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

सोसाइटी में नई नई रहने आई सुषमा जी से सोसाइटी  की बाकी सब औरतें उनके साथ घुल मिल कर रहने की कोशिश करती मगर उनका अहम शायद उन्हें सबसे मिलकर रहने की  इजाजत नहीं देता था या फिर कुछ ओर बात थी?? यहां तक की वे बातें भी नापतोल कर ही करती थी। शाम के … Read more

स्वाभिमान बाकी है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

        इंदु और रितेश को इस “ खुशी” नामक वृद्धआश्रम में आए लगभग दो महीने हो गए थे। ये एक ऐसा आश्रम है जिसमें वो हर सुख सुविधा है, जो वैसे तो हर एक को लेकिन विशेष तौर पर उम्रदराज लोगों को चाहिए।आज के जमाने में बहुत कम लोग या कह लो बच्चे बुजुर्गों की समस्याएं … Read more

मां का घर – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बड़ी नासमझ थी मैं समझती थी की मां का मायका है ये तो नानी का घर है।घर तो वो है जहां हम सभी एक साथ रहते हैं लेकिन जब मां को उनके मायके में देखा तो अहसास हुआ की सही मायने में यही घर मां का है। यहां मां की अपनी पहचान है। नानी को … Read more

आप अपने बेटे के साथ क्यों नही रहते – रीतू गुप्ता : Moral Stories in Hindi

रंजन जी के एकलौते बेटे अभय की आज रिसेप्शन पार्टी चल रही थी।  सब खूब मस्ती कर रहे थे। नाच-गाना चल रहा था। रिश्तेदार दूल्हा-दुल्हन को उपहार और आशीर्वाद देकर फोटो करवा रहे थे। जैसे ही रंजन जी ने अपने बेटे-बहु को शादी के तोहफे में नए फ्लैट की चाबी दी .. और बोले बेटा….. … Read more

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