अपनों की पहचान – विमला गुगलानी :

मुसीबत में ही असली चेहरा दिखता है      इनाया, शांतनु और अभिषेक , दो दो साल के अंतराल में पैदा हुए तीनों भाई बहन माँ रेवती और पिता आलोक की जान थे। लड़ते , झगड़ते , रूठते, मानते लेकिन फिर एक हो जाते।बचपन होता ही इतना प्यारा है,दुःख सुख सांझे, कुछ पता नहीं घाटा, नफा क्या … Read more

वाह री दुनिया ! – अर्चना सिंह

गोपाल जी उस दिन बाजार से सब्जी लेकर लौट रहे थे कि सिर बहुत भारी सा लगने लगा । उन्होंने सोचा एक बार डॉक्टर से बी.पी जाँच करा लेता हूँ । जब डॉक्टर के पास जाँच कराने गए तो बी.पी सामान्य था और डॉक्टर ने बताया हार्ट के डॉक्टर को दिखा लीजिए, उसकी वजह से … Read more

लाख टके का हीरा – विभा गुप्ता 

   ” अब तो सभी आ गए हैं किशोरी अंकल..आप पापा का वसीयत खोलकर पढ़िए और…।”       ” नहीं..अभी कन्हैया को आने दीजिये..।” बेटे राघव की बात पूरी होने से पहले ही जानकी जी ने वकील किशोरी लाल को हिदायत दे दी जिसे सुनकर उनके बच्चों के माथे पर बल पड़ गये।दो मिनट बाद ही कन्हैया आ … Read more

अगर भगवान भी आ जायें,तो भी तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा……. – सिन्नी पाण्डेय

दिशा संयुक्त परिवार में पल बढ़ रही थी तो उसका हर रिश्ते के प्रति बड़ा जुड़ाव था I पर अधिकतर जैसा सब घरों में होता है कि बच्चों का ज्यादा लाड़ दुलार अपने दादा दादी से ही होता है, तो यही हाल दिशा का भी था I वो अपने दादा दादी की  बड़ी लाडली थी … Read more

अपनो की पहचान – उमा वर्मा

अम्मा जी को गुज़रे पाँच साल बीत गए, लेकिन हमेशा उनकी याद आती है। आज भी सौरभ को ऑफिस भेजकर, चाय लेकर बरामदे में कुर्सी डालकर बैठी तो बीते हुए क्षण आँखों के सामने घूमने लगे। बहुत अच्छी थीं अम्मा जी। शादी के बाद पहली बार ससुराल गई तो मन में एक डर समाया हुआ … Read more

अपनों की पहचान – नीलम शर्मा 

सुरीली एक मस्त और हरफनमौला लड़की थी। उसे लगता था कि बस जो कुछ वह सोचती और करती है वही सही है। ऐसा नहीं था कि वह बददिमाग या बदतमीज थी। उसकी बहुत बड़ी कमी थी अपने आप को हर बात में सही ठहराना। अगर उसकी मम्मी मीना उसके किसी व्यवहार को गलत बताकर उसे … Read more

कैसे हो अपनों की पहचान? – रोनिता कुंडु 

हेलो पापा जी कैसे हो आप सब? मम्मी जी और अविनाश कैसे हैं? पूजा ने कहा  अमित जी:   बहू! हम सब तो ठीक है, पर तुम ठीक तो हो ना? आज मेरा नंबर गलती से लग गया या कोई काम है? पूजा:  ऐसा क्यों बोल रहे हैं पापा जी? भले ही आप लोगों से … Read more

अपनों की पहचान-मनीषा सिंह

स्वागत है तुम्हारा” रोशन भवन” में••! आज से तुम हमारे घर की सदस्या हो! कहते हुए शारदा जी बहू की नजर उतरती हैं और उसके गृह प्रवेश हो जाने के बाद वह आनंदी शारदा जी की इकलौती बेटी जिसकी शादी भोपाल के बड़े बिजनेसमैन से हुई थी, से भावना को उसके कमरे तक ले जाने … Read more

मुझे अपनो की पहचान हो गई है। – अर्चना खण्डेलवाल

मम्मी,  आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं, और हमारी तरफ से ये प्यारा सा उपहार, रोली ने आपके लिए अपने हाथों से जन्मदिन का केक बनाया है, जतिन ने अपनी मम्मी रंजना जी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। केक देखकर रंजना जी के चेहरे पर कोई भाव नहीं आया, उन्होंने उड़ती नजरों से केक को देखा … Read more

अपनों से पराए भले – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

‘‘ ये लोग जो चुपचाप बैठे है ये लोग कौन हैं गरिमा तू जानती है इनको?’’ रसोई में पूरी तलती  सुरभि ने गरिमा से पूछा ‘‘ जानती तो मैं भी नहीं… लगता है कोई बाहर वाले होंगे, तभी तो मेहमान बनकर बैठे हैं।’’ गरिमा ने अपनी सोच की गाड़ी को एक कदम आगे बढ़ा कर … Read more

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