कैमरे का करिश्मा – शुभ्रा बैनर्जी : Short Stories in Hindi

जया को तस्वीरें लेने का बहुत शौक था।ससुराल में आकर अपने इस शौक से पूरे घर का मनोरंजन करती थी वह।खाना बनाकर उसकी तस्वीर फोन से लेकर झट से सोशल मीडिया पर पोस्ट करना उसकी आदत में शामिल था।

अपनी नई पोशाक हो,पति के साथ कहीं घूमने जाने पर,ऐसे ही लगभग हर मौके की तस्वीर लेकर पोस्ट करना उसे बेहद पसंद था।किटी पार्टी की तो जान थी जया। ड्रेस कोड में बेस्ट मैचिंग सैन्स का खिताब वही जीतती थी।

जया की सास ,सुमित्रा जी वैसे तो खुले विचारों वाली शिक्षित महिला थीं,पर बहू की तस्वीरों के प्रति हद से ज्यादा रुचि उन्हें चिंतित करती थी।बड़े बुजुर्ग बोलते ही हैं कि किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं।

सास होकर यदि बहू से कुछ कहेगी तो, दकियानूसी का ठप्पा लगा देगी बहू,और अगर बेटे शेखर को कुछ कहेगी तो वह भी मां को चुगलखोर समझेगा।इसी उधेड़बुन में सुमित्रा जी रहतीं थीं।जया का स्वभाव शालीन था।

संस्कारों की कद्र थी उसे, सास-ससुर का ख्याल भी रखती थी,बस सोशल मीडिया में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का भूत सवार था उस पर।एक बेटी भी हो गई जया की।बच्ची की दिन भर में काफ़ी तस्वीरें पोस्ट करती और लाइक ,कमेंट का इंतज़ार करती।

इसी बीच बच्ची बीमार पड़ी, तो सुमित्रा जी ने कहा”जया,अभी जीना छोटी है।लोगों की नज़र लगती है।यहां तक कि हमारी नज़र भी लगती है बच्ची को।जब -तब उसकी तस्वीर मत डाला करो बेटा।”सुमित्रा जी ने नजर उतारने का टोटका किया तो,बच्ची सच में ठीक हो गई।अब जया को अपनी सास की बात सच लगने लगी।उसने तस्वीरें पोस्ट करना बंद कर दिया।

सुमित्रा जी के सर से बहुत बड़ा बोझ उतरा।चलो अब जया समझ गई है अच्छे और बुरे में फर्क।

लेकिन यह क्या, साल भर की बच्ची को किटी ले जाने लगी वह अपने साथ।वहां बेटी की खूबसूरती का प्रदर्शन करने लगी जया।बेटी की हंसी,तोतली जुबान में बातें करना,घुटनों के बल चलना अपनी सहेलियों के साथ साझा कर रही थी प्रत्यक्ष।

सुमित्रा जी ने एक दो बार कहा भी कि बच्ची पर गलत असर पड़ता है।जया ने अनसुना कर दिया तो सुमित्रा जी भी चुप हो गईं। धीरे-धीरे जीशा किटी पार्टी में डांस भी करने लगी , मम्मी के कहने पर।कॉलोनी का कोई भी कार्यक्रम जीशा के डांस के बिना पूरा नहीं होता था।

सुमित्रा जी ने अब बड़ी होती बेटी को संभालने की जिम्मेदारी शेखर के ऊपर डालनी चाही और कहा”बेटा, जब भी जया बाहर जाती है,तुम बेटी के साथ समय बिताया करो।उससे बातें किया करो।हम भी तो हैं घर में,संभाल भी देतें हैं।जया को इसे अपने साथ ले जाने की क्या जरूरत है?”

सास की बात सुनकर तो जया का पारा चढ़ गया-“कर दी ना आपने दकियानूसी वाली बात।अरे आजकल मार्डन जमाना है।मिसेज शर्मा भी तो अपनी बेटी को लाती है,मिसेज टंडन की बेटी गाना गाती है,मिसेज प्रसाद की बेटी कविता सुनाती है।मैं भी तो मां हूं,मुझे भी तो अपनी बेटी की तारीफ सुनने में अच्छा लगता है।इसमें क्या बुराई है मम्मी जी?”

बुराई कुछ भी नहीं है बेटी।पर तुम इसकी उम्र देखो।तुम सभी महिलाओं की बातचीत का इन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ,कभी सोचा भी है।तुम्हें पता है,दीपा क्या कह रही थी?कल रात जब तुमने मंचूरियन की तस्वीर डाली तो तुम्हारी बेटी ने हमारी थाली के खाने की फोटो डाल दी।

“सुमित्रा जी ने बताया तो मानो जया पर बम फटा।”कल तो मैंने आप लोगों को रोटी और पिघला गुड़ दिया था खाने में,पापा जी का मन था खाने का।इस गधी ने मंचूरियन के साथ गुड़ रोटी पोस्ट कर दी।अब तक तो मेरे दुश्मनों ने योजना भी बना ली होगी ,मुझे बात सुनाने की, बेइज्जती करने की।”

“पर वो तो तुम्हारी दोस्त हैं,दुश्मन तो नहीं।”सुमित्रा जी ने पूछा।

“अरे मांजी आपको पता नहीं,ये किटी में आने वाली औरतें दोस्त नहीं होतीं।वे तो बस मौका ढूंढ़ती रहती हैं दूसरों को नीचा दिखाने का और खुद की वाहवाही का।अब देखना ना बोलेंगी,जया अपने सास-ससुर को प्रताड़ित करती है,खाना तक ढंग का नहीं देती।””

“अरे तुम क्यों दुखी हो रही हो?तुम तो ख्याल रखती हो हमारा,फिर तुम्हें इन तस्वीरों की सफाई देने की क्या जरूरत है?”नहीं मांजी,मुझे आज ही गेट-टुगेदर करना पड़ेगा।रोटी औश्र गुड़ की कहानी वाइरल हो जाए, इससे पहले ही क्लियर करना होगा मुझे।””

जया तनाव में बड़बड़ा रही थी।जया ने अपनी किटी की महिला मंडली बुलाकर रोटी और गुड़ का सच बताया सबको।

सुमित्रा जी ने भी समझाया उसे भविष्य में सचेत होकर तस्वीरें पोस्ट करना।बेटी को बाहर ले जाना भी बंद कर दिया था जया ने।अब जीना स्कूल जाने लगी थी।एक दिन‌ जीशा दोपहर में ही छुट्टी से पहले रोते-रोते घर पहुंची।

जया को पहले ही स्कूल बुलवाया गया था।शेखर को भी आफिस से स्कूल प्रबंधन ने बुलवाया था।जीशा से बहुत पूछने पर उसने बताया कि नहाते समय वीडियो बनाकर पोस्ट कर दिया था,उसने।जो अब वायरल हो गया।

स्कूल में भी खबर लग गई सभी को। सुमित्रा जी इसी भयावह परिणाम से डर रहीं थीं।अपने बड़ों को देखते हुए बच्चे भी वही चीजें करने लग जातें हैं बिना सही ग़लत जाने।हे भगवान कितना अपमान हुआ होगा बेटे-बहू का।

तभी थके कदमों से जया और शेखर घर में आए।जीशा को देखते ही जया उसे मारने के लिए दौड़ी,तो जीशा ने रोते हुए कहा”मम्मा आप भी तो बनाते हो ना वीडियो।मुझसे भी बनवाया है आपने।आप क्यों नहीं बताईं कि नहाते हुए वीडियो नहीं बनाना चाहिए।

आप ने समझा दिया होता, तो मैं नहीं बनाती।”जीशा की बात सुनकर जया सुमित्रा जी के गले लगकर खूब रोई और माफी मांगने लगी। सुमित्रा जी ने प्यार से उसके सर पर हांथ फेरकर कहा”बहू,हर चीज की प्रदर्शनी जरूरी नहीं होती।

फूल क्या किसी को बोलने जातें हैं अपने खिलने की खबर।सूरज बताता है क्या किसी को सबेरा होने की सूचना।बच्चे प्राकृतिक रूप से बढ़ते हैं,ख़ुद ही समझ जातें हैं क्या करना है,क्या नहीं।पर जब हम उनसे उनका बचपन छीन लेतें हैं और प्रदर्शनी करने लग जातें हैं ना,तब बच्चे उम्र से पहले बड़े हो जाते हैं।उनकी मासूमियत कुचल देते हैं हम झूठी प्रतिस्पर्धा की खातिर।जैसा माहौल हम इन्हें देंगें,वैसा ही आकार ढलेगा इनके चरित्र का।”

जया ने जीशा से भी माफी मांग ली ।अब वह ना तो खुद की और ना ही बेटी की प्रदर्शनी करेगी।

शुभ्रा बैनर्जी

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