8 वर्षीय छोटू गरीब बस्ती में रहने वाला प्यारा सा बच्चा है। उसके पापा कबाड़ खरीदते हैं, और बेचते हैं ।
एक दिन कबाड़ में उन्हें कैमरा मिलता है ।छोटू उस कैमरे को देख कर बहुत खुश होता है ,और सोचता है ,इससे अच्छे-अच्छे फोटो निकलेगें।
उसे मन ही मन बड़ी खुशी मिलती है। शाम को जब स्कूल से घर आता है, और कैमरे को देखता है तो नहीं मिलता ।अपनी मम्मी से पूछता है, तो मम्मी कहती है कि मैंने कैमरा बेच दिया। छोटू बहुत उदास हो जाता है ।उसे रोना आता है। अपनी मम्मी पर गुस्सा भी आता है ,उसे लगता है ,जैसे उसकी बहुत प्यारी सी चीज चली गई हो ।वह बैठे-बैठे सोचता रहता है, तभी देखता है कि एक सफेद चूहा उछल कूद कर रहा है ।उसे बहुत अच्छा लगता है ,और वह अपने हाथों को ही कैमरा मानकर मुंह से आवाज निकाल कर फोटो क्लिक कर रहा हूं ,ऐसा समझता है ।
उसके चेहरे पर हंसी आ जाती है। और तब से उसकी आदत हो जाती है कि हर वक्त फोटो क्लिक करना। अपनी मम्मी को बोलता है “मम्मी हंसो” मैं फोटो क्लिक करता हूं ।
मम्मी बोलती है,” कैमरा तो है नहीं तो” वह बोलता है” क्या हुआ मेरा हाथ तो है, मेरी आंखें तो है जो आपकी हंसी को देखेगी और मैं उसे अपने आंखों में कैद कर लूंगा “
फिर क्या जैसे ही वह स्कूल जाता, रास्ते में कोई सुंदर दृश्य होता, उसे अपनी आंखों में भर कर क्लिक कर लेता ।अपने दोस्तों के सुंदर-सुंदर फोटो क्लिक करता ।पशु प्रकृति इन सभी के सुंदर-सुंदर फोटो उसने अपनी आंखों में बसा कर क्लिक कर लिए ।उसे लगता कि मुझे जीवन की सबसे बड़ी खुशी मिल गई हो।
सच में अगर हम हमारी आंखों को ही कैमरा मान ले तो और जीवन के हर सकारात्मक पहलू को हमारे दिल में बसाते रहे तो जिंदगी बहुत खुशनुमा बन जाती है ।
जब हम सेल्फी लेते समय मुस्कुराते हैं, उसी को हमेशा अपना जीवन दर्शन मानकर मुस्कुराते रहें, और अपने कर्म से प्यार करते रहें तो हमारा जीवन एक अलग ही दिशा में चला जाएगा।
इसके साथ ही जीवन की हर छोटी-मोटी चीजों में, प्रकृति में, पेड़ पौधों में, पशुओं में भी सुंदरता को देखें, और ईश्वर का आभार व्यक्त करते हुए अपने आप को सतत कर्म प्रधान बनाए रखें, तो जीवन की बहुत सारी खुशियां हम आसपास महसूस कर सकते हैं ।
हमारा जीवन भी कैमरे के समान होना चाहिए, जो सदैव सृजन करता है ।जब हमारा जीवन भी सृजनशील बन जाएगा तब हमारी कल्पना को नए पंख लग जाएंगे, और हम जीवन में वह सब प्राप्त कर सकते हैं, जिनके हम सपने देखते हैं।
हमारे जीवन को हमें कर्म प्रधान बनाना है।
छोटू के जीवन दर्शन को अपने जीवन दर्शन में लाना है ।सफलता का कोई मापदंड नहीं होता, असली सफलता जीवन में खुशियों को महसूस करने की है।
सुधा जैन