बुरी बहुरानियां – रोनिता कुंडु  : Moral Stories in Hindi

क्या बात है सरला बहन? इतना बड़ा अनुष्ठान घर पर और बहुरानी और बेटा नहीं आया? आप तो कह रही थी वह लोग नौकरी की वजह से दूर गए हैं, क्योंकि मजबूरी थी, पर अब तो माजरा कुछ और ही लग रहा है, सुषमा जी ने अपनी पड़ोसन सरला जी से कहा 

सरला जी:  देखो सुषमा बहन! यहां आज बहुत बड़ा आयोजन चल रहा है, तो बस उसी पर ध्यान दो, रही बात मेरी बेटे और बहुरानी की वैसे भी उसके भरोसे हम थोड़े ही ना बैठे हैं, खबर मिल गई है आना होगा तो आ जाएंगे।। आज मेरी बेटी की सगाई है तो अभी मेरा पूरा ध्यान इस पर है। 

एक कहकर सरला जी चली जाती है और मोहल्ले की कुछ औरतें आपस में खुसल फुसर करने लगती है, उनमें से एक कहती है, आज सरला जी से अपने घर का हाल छुपाया नहीं गया, अरे एक ही मोहल्ले में रहते हैं तो क्या हमें नहीं पता कि क्यों उनके बेटे बहु अलग रहने चले गए? आए दिन उनके घर के झगड़े क्या हमसे छुपे थे?

फिर दूसरी औरत कहती है, पर जो भी हो उनकी बहू को तो अपना फर्ज निभाना चाहिए था ना? बहू की तो छोड़ दो वह तो पराई है, पर बेटा? वह तो अपना है ना? वह भी नहीं आया? मैं तो इस बात से हैरान हूं, फिर एक तीसरी औरत कहती है, आजकल लड़कियां बस घर तोड़ने ही आती है

बहन, आते ही सबसे पहले बेटे को ही वश में कर लेती है, मैं तो कहती हूं जो भी अरमान है बेटे की शादी के पहले ही पूरे कर लो, वरना बाद में न जाने दो वक्त की रोटी भी नसीब होगी या नहीं? सरला जी ने भले ही वहां से जाने का नाटक किया, पर वही खड़ी उनकी बातें वह सुन रही थी, उन्हें बड़ा बुरा लगा आज उनके बेटे बहू की वजह से वह पूरे मोहल्ले में चर्चा का विषय बन गई थी। 

सगाई खत्म हो गई और सभी अपने-अपने घर चले गए। लगभग 10 दिन बाद सरला जी के घर के सामने एक गाड़ी आकर रुकी जिसमें नए-नए कुछ सामान थे। नई अलमारी, फ्रिज वाशिंग मशीन ड्रेसिंग टेबल जैसे कई और सामान थे। सभी घरों के लोग घर के बाहर झांकने लगे और तभी उस गाड़ी से कुछ लोग उतरकर सरला जी के घर का दरवाजा खटखटाते हैं, सरला जी दरवाजा खोलती है तो उन्हें वह आदमी कहते हैं, आपका सामान आया है कहां रखूं?

सरला जी हैरान होकर:  सामान? कैसा सामान? 

आदमी: यह सारा सामान जो उसे गाड़ी में रखी है। 

सरला जी:   अजी सुनिए! जरा बाहर आइए। यह कहकर वह अपने पति सोहन जी को आवाज लगाती है, सोहन जी जैसे ही बाहर आते हैं सरला जी उनसे कहती है, देखिए यह कुछ सामान लेकर आए हैं, कौन सा सामान आने वाला था हमारा? 

सोहन जी:  मुझे नहीं पता, चलो चलकर देखते हैं आखिर है क्या? फिर दोनों उस गाड़ी के पास जाते हैं, जहां सोहन जी गाड़ी के ड्राइवर से पूछते हैं, कौन सा है इनमें से हमारा सामान? 

आदमी:  यह सारा सामान आपका ही है। पर ताज्जुब की बात यह है आप लोग इससे अनजान है। रुकिए मैं एक बार पता दोबारा चेक कर लेता हूं, पता चेक करने के बाद वह आदमी कहता है, यह सोहन मिश्रा, घर नंबर 24, मोहन नगर भोपाल है ना? 

सोहन जी: हां पता तो सही है, पर इतना सामान हमने नहीं मंगवाया भई! इतने पैसे हम अभी खर्च भी नहीं कर सकते हैं, बेटी की शादी है कुछ दिनो बाद, पता नहीं यह कैसा मजाक है? 

आदमी:  अरे नहीं नहीं! यह सारे सामानो की पेमेंट हो गई है और आलोक मिश्रा ने की है, आप क्या नहीं जानते उन्हें? 

सरला जी:  आलोक ने? ज़रा आप उसे फोन तो लगाइए पता तो चले यह सब है क्या? सोहन जी फोन लगाने ही वाले होते हैं कि तभी आलोक और उसकी पत्नी मोना एक कार से उतरते हैं, सोहन जी कुछ पूछ पाते इससे पहले ही आलोक कहता है, रुकिए पापा! पहले इन सामानों को रखवा दूं, फिर बात करता हूं आपसे। थोड़ी देर बाद सामान सारे घर में रखवा दिए जाते हैं, फिर आलोक कहता है, यह मिंटी के लिए है, एक ही तो बहन है मेरी तो उसकी शादी में कैसे कोई कमी रहने दे सकता था? 

सरला जी:  अब यह नया नाटक क्या है? इतना सारा सामान देकर क्या साबित करना चाहता है? मिंटी को जब सबसे ज्यादा तुम लोगों की जरूरत थी तब तो तुम आए नहीं और अब इतना सामान देखकर सोच रहे हो हमें अपना गुलाम बना लोगे? ले जाओ अपना यह सामान, मिंटी की तो किस्मत ही फूटी है, भैया तो सगा रहा नहीं तो अभी सारे सामानों से क्या लगाव? पता है तुम लोगों के चलते सगाई वाले दिन हमें क्या-क्या सुनना पड़ा? पहले घर से अलग हो लिया, अब रिश्तो से भी अलग हो ही जाओ! 

आलोक:   मम्मी यह आप कैसी बातें कर रही हो? आपको नहीं पता क्या हम अलग रहने क्यों गए? नौकरी की वजह से, फिर भी आप ऐसी बातें कर रही हो? 

सरला जी:  हां नौकरी तो बहाना है बस, क्या मैं नहीं जानती यह बहुरानियां बस आती ही इसलिए है ताकि वह अपना अलग घर बता सके! चलो मान लिया नौकरी की वजह से तुम्हें जाना पड़ा, पर सगाई की खबर तो पहले ही दिया था ना? फिर तुम दोनों का फर्ज नहीं बनता था कि समय पर आकर हमारा हाथ बटाएं,,? अब इसका क्या बहाना दोगे बेटा? यह बाल धूप में सफेद नहीं किए हैं मैंने, सब समझती हूं। 

आलोक:   मम्मी! यह सब आप सुनी सुनाई बातों पर अपने शब्दों को पिरो रही हो ना? सगाई में आने के लिए हमने पूरी तैयारी कर ली थी, पर उसके एक दिन पहले ही मेरे पथरी का तेज दर्द हुआ मुझे तुरंत ही ऑपरेशन करवाना पड़ा, मिंटी की सगाई को खराब नहीं करना चाहता था, इसलिए काम का बहाना बनाया।

मम्मी मोना तो आज भी कहती है कि वह यहां ही रहकर खुश थी। पर मेरी वजह से उसने अपना मन मार लिया। साथ रहकर बर्तनों की आवाज तो आती ही है, पर सभी बेटे बहु बुरे नहीं होते और अकेले नहीं रहना चाहते। वह तो समय की मांग होती है, मम्मी, लोगों का क्या है? साथ रहोगे तो अलग रहने की सलाह देंगे और अलग रहोगे तो बुरा घोषित कर देंगे, पर समझदारी तो तब होती है जब हम सुनेंगे सबकी और करेंगे मन की। मोना ने हर महीने बचत कर मिंटी के लिए वह झुमके बनवाए हैं जिनकी मिंटी हमेशा से चाह रखती थी। 

तभी मिंटी पीछे से आकर कहती है, भाभी आप आ गए, चलो अब मैं निश्चिंत हुई, सगाई तो मैंने आप लोगों के बिना कर ली, पर शादी वह कभी ना करती, भैया अब आपकी तबीयत कैसी है?

सरला जी:   मतलब तुझे सब पता था तो अब तक जो मैं इन पर इतना गुस्सा थी बताया क्यों नहीं? 

मिंटी:  क्योंकि इनसे वादा किया था और फिर आपको सरप्राइज कैसे मिलता है? देखिए मम्मी पूरी दुनिया एक तरफ और भाई-बहन का किया हुआ वादा एक तरफ, आज तक न जाने कितने ही राज़ दफन किए हैं हम दोनों ने अपने अंदर।

मोना:  मिंटी! यह लिजिए आपकी गिफ्ट मेरी तरफ से 

मिंटी:   भाभी! यह झुमके तो मुझे काफी पसंद थे, आपको याद था मैं हमेशा से यह झुमके लेना चाहती थी पर शादी के खर्चों को देखकर मैंने इसके बारे में सोचना ही छोड़ दिया, पर आप नहीं भूली। मैं तो इतनी खुशकिस्मत हूं कि मेरे भैया भाभी इतने अच्छे मिले। 

वहां का माहौल बड़ा ही भावुक हो गया। 

दोस्तों, आजकल ज्यादातर घरों में यह देखा जाता है, की बेटे बहु अलग रहने चले गए। कोई नौकरी की वजह से तो कोई आपसी मतभेद की वजह से। पर वजह कुछ भी हो, दोष तो केवल बहुरानियां का ही होता है, सच ही तो है चाहे उन्हें नौकरों की तरह समझा जाए या फिर उनके वजूद को ही मिटाने की कोशिश किया जाए, उन्हें सब सहना है और चुपचाप इसे ही अपनी किस्मत मानकर उसी घर में रहना है, जो उसने इसके खिलाफ आवाज उठाई या फिर पति की नौकरी की वजह से ही पति के साथ जाना चाहा तो दोष सिर्फ उसका ही होगा। कमाल है इन बहुरानियां का पति को चुने तो बुरी, खुद को चुने तो बुरी और ससुराल वालों की सुने तो बुरी, तो भई बहुरानियां खुद की सुनो, क्योंकि जब सभी के सामने हम बुरे ही हैं तो खुद के लिए ही अच्छे बन जांए।। 

धन्यवाद 

रोनिता कुंडु 

#बहुरानी
VM

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