बुलावा आया है – स्मिता टोके ‘पारिजात’

बालों की पफ वाली चोटी, साँवली रंगत, मझौला कद, हमेशा चहकते रहने का स्वभाव मिनी विशेषताएँ थीं ।

वो पटर पटर करती थी या उसके मुख से फूल झरते थे ये  विभेद करना सिर्फ भाषायी सौंदर्य की अलग-अलग परिभाषाएँ हो सकती हैं।

मेन रोड़ से अंदर जाने पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स वाला बड़ा सा प्लॉट पर करने के बाद हमारे संस्थान का कैम्पस शुरू होता था । लम्बा सा ग्राउंड, बिल्डिंग का प्रवेशद्वार, भीतर के क्लासरूम्स, स्टाफ रूम, विविध गतिविधियों के लिए हॉल आदि ।

हमारी क्लास लकड़ी की बेंचेस से सुसज्जित थी जिसकी शोभा सामने रखी टेबल-कुर्सी और ब्लैक बोर्ड द्वारा द्विगुणित हो जाती थी । बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ बाहर का दृश्य भी भलीभाँति रेखांकित करती थीं ।

मिनी क्लास में अच्छीतरह घुलमिल गई  । उसकी चटपटी, कानाफूसी वाली बातें साथियों को बड़ी आकर्षित करती थीं । हमारे प्रिंसिपल सर बड़े तेज़तर्रार, बुद्धिमान तथा गंभीर व्यक्ति थे और पद के अनुरूप उन्हें वे सारे गुण शोभा देते थे ।

फ्री क्लास में बाहर जाने की मनाही थी । अतः हम क्लास में ही मनोरंजन कर लिया करते थे । उसमें लड़कियों की फरमाईश पर मेरे द्वारा गीत गाने का उपक्रम भी शामिल था ।

मिनी और कई साथी छात्राएँ, कभी सहपाठियों तो कभी शिक्षकों का उपहास करने में आनंद को पाती थीं । एक दिन यह ग्रुप जब प्रिंसिपल सर के केबिन के सामने से गुज़र रहा था, मिनी ने ठिलवई करते हुए सर पर कोई कमेंट पास किया । खी-खी …… के स्वरों पर विराम लग गया जब उसी समय सबने प्रिंसिपल सर को दरवाज़े पर खड़ा पाया । कुछ ही पलों में सब नौ दो ग्यारह हो चुकी थीं ।

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अगले दिन सुबह सुबह हमारी सहपाठी शैला ने विस्फोट किया, “प्रिंसिपल सर ने मिनी को बुलाया है ।”

“पक्का, कल तुम्हारी बातें सर ने सुन ली थीं, अब लेंगे खबर ।” जितने मुँह उतनी बातें थीं ।

मिनी के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं । वह अपना हाथ सिर पर मारते हुए बड़बड़ाई, “फालतू बकवास करने की आदत एक दिन मुझे ले डूबेगी ।”

लड़कियाँ उसे लगभग धकियाते हुए सर के केबिन तक ले गईं और वापस आ गईं ।

सभी को मिनी के आने की प्रतीक्षा थी । कुछ देर बाद मिनी ने वापस क्लास में प्रवेश किया । अब उसके मुख से दूषण रूपी कँटीले शब्द, दंतपंक्ति दिखाती हँसी, अनवरत वार्तालाप सब एकसाथ उफान पर थे ।

तथाकथित षड़यंत्र का पर्दाफाश हो चुका था ।सहपाठी लड़कियाँ एकसाथ चिल्लाईं, “……एप्रिल फूल …….” मिनी साथियों को मारने दौड़ी लेकिन चेहरे पर राहत के भाव लिए 

 स्मिता टोके ‘पारिजात’

इंदौर

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