बिट्टो की चाहत – संगीता अग्रवाल 

” बिट्टो ये क्या इतनी जोर जोर से हंस बोल रही हो क्या शोभा देता है ये लड़कियों को !” छत पर दस साल की निहारिका अपनी सहेली के साथ मस्ती कर रही थी कि उसकी दादी आकर बोली।

” पर दादी जब केशव ( निहारिका का भाई) इतनी जोर जोर से बोलता है तब आप कुछ नही कहते !” निहारिका तुनक कर बोली।

” हाय हाय कैसे बात कर रही है ऐसे…केशव लड़का है वो जैसे मर्जी बात करे पर लड़कियों को अदब में रहना पड़ता है!” दादी गुस्से में बोली।

” हुंह सारे अदब लड़कियों के लिए ही होते हैं हे ईश्वर मुझे अगले जन्म लड़की मत बनाना ..बनाना तो बनाना पर ऐसी दादी मत देना !” निहारिका अपनी सहेली का हाथ पकड़ नीचे जाती हुई बोली।

” हां मुझे भी तेरे जैसी पोती नही चाहिए जिसे कोई सलीका नही !” पीछे से दादी चिल्लाई।

” मम्मी आपने मुझे लड़का बना कर क्यों नही पैदा किया ?” सहेली के जाने के बाद निहारिका अपनी मम्मी के पास दनदनाती हुई आई और बोली।

” क्या …ये कैसा सवाल हुआ भला तू तो मेरी रानी बेटी है ना लड़का होती तो रानी बेटी कैसे होती !” मां हंस कर बोली।

” हुंह लड़कियों को कुछ तो करने नही दिया जाता अकेले रात को बाहर मत जाओ , जोर जोर से मत बोलो ये मत करो वो मत करो । अगले जन्म आप मुझे लड़का बना कर पैदा करना !” निहारिका मां की गोद में सिर रखकर बोली।

दिन बीतने लगे और निहारिका को पक्का यकीन हो गया कि लड़का बनकर पैदा होना ही फायदे का सौदा है इसलिए लड़का बनना मानो उसकी चाहत बन गई और वो ईश्वर से दिन रात दुआ करती भगवान जी मुझे अगले जन्म में लड़का बनाना।

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” केशव ये क्या तुमने टॉमी ( पालतू कुत्ता) को लात क्यों मारी ?” एक दिन निहारिका ने देखा पापा भाई को डांट रहे हैं ।

” वो पापा इसने मेरी कॉपी फाड़ दी !” केशव सिर झुकाए बोला।




” कॉपी फाड़ दी तो तुम निरीह प्राणी के साथ ऐसा व्यवहार करोगे आइंदा ऐसा हुआ ना तो घर से बाहर कर दूंगा!” पापा टॉमी को गोद में उठा दुलार करते हुए बोले। आखिर पापा की जान था टॉमी।

निहारिका ये सब देख सोचने लगी …भाई को भी डांट पड़ती है मतलब लड़का होकर भी डांट खानी पड़ेगी …” नही नही भगवान जी लड़का बनने का प्लान कैंसिल आप मुझे कुत्ता बनाना वो भी पालतू …फिर मेरी ऐश होगी ना पढ़ना न कुछ बस सारा दिन खाना और आराम वाह क्या जिंदगी होगी !” निहारिका बोली अब उसकी चाहत कुत्ता बनने की हो गई।

कुछ दिनों बाद घर में तोता लाया गया अब सबके आकर्षण का केंद्र वो तोता हो गया …टॉमी बेचारा साइड में बैठा तोते को घूरता रहता मानो वो उसका कट्टर दुश्मन हो और मौका मिलते ही टॉमी उसकी गर्दन मरोड़ दे। एक दिन टॉमी तोते को अकेला देख उसके पास पहुंचने की फिराक में था कि पापा ने देख लिया और दूर से उसके चप्पल मारी। बेचारा टॉमी कें कैं करता कोने में दुबक गया।

” ओह मतलब टॉमी बेचारे की दशा भी कुछ खास अच्छी नही है ईश्वर तुम ऐसा करना मुझे तोता बना देना … कम से कम कोई परेशान करेगा तो उड़ तो जाऊंगी मैं… हां ये सही रहेगा भगवान जी मुझे तोता बनना है अगले जन्म में !” निहारिका टॉमी को मार खाते देख ऐसे बोली मानो चप्पल टॉमी को नही उसे पड़ी हो।

वक्त बीतता गया अब तो तोता भी पुराना हो गया पहले उसका बोलना अच्छा लगता था अब सबको उसका हर वक्त बोलना गुस्सा दिलाता।

” सुनो रामू इस तोते का पिंजरा पीछे के आंगन में टांग दो यहां सारा दिन सिर में दर्द करता रहता है !” एक दिन मम्मी घरेलू सहायक से बोली।




अब बेचारे तोते का ठिकाना एक कोना बन गया सारा दिन वो वहां अकेले पड़ा रहता …असल में अब घर में कंप्यूटर आ गया था तो पापा का तो ऑफिस से आने के बाद ज्यादा समय उसके साथ बीतता मम्मी भी दिन में कंप्यूटर सीखने की कोशिश में लगी रहती तो तोते का उस वक्त बोलना दोनो को परेशान करना लगता।

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” भगवान जी तोते से अच्छा तो ये कंप्यूटर है क्या मम्मी क्या पापा सब इसकी तरफ खिंचे जाते और देखो तो कितने अच्छे से इसकी देखभाल करते हैं क्या ऐसा नहीं हो सकता तोते का प्लान कैंसिल हो जाए और आप मुझे कंप्यूटर बना दो!” कोने में खड़ी निहारिका बोली।

” अरे बुद्धू कंप्यूटर भगवान नही बनाते इंसान बनाते हैं !” केशव उसकी बात सुनकर हंसते हुए बोला।

” हुंह!” निहारिका को भाई का इस तरह मजाक बनाना अच्छा नही लगा इसलिए वो मुंह बना अपने कमरे में चली गई।

” बिट्टो दिवाली आ रही है ये बता दादी से क्या चाहिए तुझे ?” तभी दादी उसके कमरे में आ बोली।

” दादी आप हर साल दिवाली पर मुझे कुछ न कुछ क्यों दिलाती हैं ?” दादी के सवाल का जवाब देने की जगह निहारिका खुद सवाल पूछ बैठी।




” अरे बिट्टो तू हमारे घर की लक्ष्मी है घर की रौनक दिवाली त्योहार रौनक का है इसलिए हर साल लड़कियों को इस दिन कोई उपहार दिलाते हैं तेरे पापा भी तो लाते है तेरे लिए कुछ …और तुझे पता है इस बार तो तेरे पापा मम्मी तेरे लिए सोने के बूंदे लाए हैं और मैं सोच रही हूं तुझे एक अच्छा सा लहंगा चोली दिला दूं!” दादी हंसते हुए बोली।

” सच्ची दादी ओह आप कितनी अच्छी हो !” निहारिका दादी के गले लगती बोली।

” चल तैयार होकर आजा बाजार चलते है हम और हां चाट पकौड़ी भी खाकर आयेंगे दोनो !” दादी बोली।

” वाह दादी मैं बस अभी आई…!” निहारिका खुशी से उछलते हुए बोली।

” भगवान जी लड़की होना इतना बुरा भी नहीं है हां थोड़ा सा टोका जाता उन्हे पर प्यार भी तो करते हैं सब मुझे नही बनना लड़का , टॉमी या तोता मैं तो अगले जन्म में भी लड़की ही ठीक हूं इसलिए सारे प्लान कैंसिल ठीक है ना भगवान जी याद रखना अगले जन्म भी मुझे लड़की ही बनाना !” तैयार होती हुई निहारिका अपने कमरे में लगी कृष्ण राधा की तस्वीर से बोली ।

कृष्ण जी की तस्वीर मुस्कुरा रही थी हालाकि वो थी ही ऐसी पर अभी ऐसा लग रहा था वो भी निहारिका के बचपने भरी चाहतों का मजा ले रहे हैं।

दोस्तों बचपन की कितनी ऐसी बातें होती है जब हम बचपन मे कितनी नादान चाहते करते है जिनपर बड़े हो खुद को ही हंसी आती है …क्या आपने भी हमारी निहारिका की तरह ऐसी कोई चाहत की थी ?

#चाहत 

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल 

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