दामिनी पार्क की बैंच पर आज इन नवयुवक युवतियों की टोलियों को देख रही थी । उनकी बातों से पता लगा कि आज ” रोज डे ” है। ये सब नये जमाने की पाश्चात्य संस्कृति में रंगी पीढ़ी है। दामिनी सोच रही थी। क्या हम कभी जीवन की इस आयु से नहीं गुजरे । प्यार तो पहले भी होता था पर वह दुनिया को दिखाया नहीं जाता था ।
सौरभ हां यही नाम तो था उसका । एक आकर्षक व्यक्तित्व सबको प्रभावित करने वाला । दामिनी ने जब कालिज में पढ़ने के लिये घर में कहा तब घर का कोई सदस्य तैयार नहीं था क्योंकि संयुक्त परिवार था और उनके शहर में कोई डिग्री कालिज लड़कियों के लिये नहीं था ।
सब संयुक्त कालिज थे । जिसमें लड़के और लड़कियां साथ साथ पढ़ते थे । दादी की बहुत खुशामद की तब कहीं जाकर उसको कालिज में प्रवेश की इजाजत मिली । पहली बार कालिज पहुँची । थोड़ा डर और घबराहट थी । दामिनी बहुत प्यारी सौम्य स्वभाव की लड़की थी ।
कालिज पहुँचते ही सीनियर छात्र छात्राओं ने उसका स्वागत किया । सब नये छात्र छात्रायें लाइन लगा कर खड़े थे । सीनियर छात्र एक एक करके उन छात्रों से ऊलजलूल हरकते करने को कहते । उसी समय दामिनी का नं आया । सौरभ बहुत दूर किसी से बात कर रहा था । उससे सभी छात्र घबड़ाते थे वह कालिज का टापर और बहुत अमीर परिवार से था । वह दूर से इन सीनियरस की हरकतें देख रहा था । उन छात्रों ने दामिनी से कहा कि उस लड़के को यह गुलाब देकर आओ । दामिनी रोने लगी ।
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सौरभ ने देखा तब वह पास आया और सबको बहुत डांटा और कहा यदि तुम लोग कल से इन हरकतों को बन्द नहीं करोगे तो वह प्रिन्सीपल से शिकायत कर देगा और दामिनी से कहा आप चुप हो जाओ और अपनी क्लास में जाओ । कभी कभी दोनों की मुलाकात होजाती थी । दोनों बस मुस्करा देते एक दूसरे को देख कर । जब एक दिन दामिनी घर आ रही थी एक स्कूटर ने पीछे से टक्कर मार दी वह गिरी और उसके सर में चोट आई वह अर्द्ध बेहोश होगयी । उसी समय पीछे से सौरभ अपनी गाड़ी से आरहा था ।
उसने पीछे से दामिनी को गिरते देखा तब गाड़ी रोकी और उसे बेहोश देखा वह घबड़ा गया और राहगीरों की सहायता से गाड़ी में लिटाया सीधे अस्पताल ले गया दामिनी की डायरी में पता लिखा था । उसको प्राथमिक उपचार दिलाकर और डा. के आश्वासन पर कि डर से बेहोश हैं की सुन कर घर पर छोड़ने चला गया । चार दिन बाद जब दामिनी कालिज पहुँची तब उसकी निगाह सौरभ को ढूंढ रही थी । इन दिनों सौरभ भी उसके साथ की छात्राओं से उसके बारे में पूछ चुका था । बस उसके बाद दोनों के दिलों में प्यार अंकुरित हुआ पर एक दूसरे से कह नहीं पाये । दामिनी की शादी होगयी । अबतो उसे वह समय सपना सा लगता है। आजकल के बच्चों को देखो कितनी बेबाकी से इजहार कर रहे हैं। उसी समय एक छोटी सी बच्ची ने कहा दादी घर चलो ना । दूर कहीं गाना बज रहा था ” बीते हुये लम्हों की कसक आज भी है “
#प्रेम
स्वरचित
डा. मधु आंधीवाल
अलीगढ़