बर्थडे गिफ्ट- संगीता अग्रवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : ” नानी ये मम्मा की फोटो है ?” पांच साल की नन्ही परी जाने कहाँ से एक फोटो निकाल कर लाई और पूछने लगी।

” हाँ बेटा ये तुम्हारी मम्मी है !” फोटो हाथ मे ले परी की नानी सुलभा जी बोली।

” पर नानी इसमे तो मम्मा कितनी सुंदर लग रही है कितनी सुंदर साडी पहनी है मम्मा ने और ये बालो मे रेड रेड भी लगाया है ये मम्मा अब क्यो नही लगाती ?” जिज्ञासु परी ने अगला सवाल किया।

” अरे हमारी परी क्या कर रही है !” तभी वहाँ एक आवाज गूंजी।

” कुणाल अंकल आप आ गये …मेरी चॉकलेट !” परी भाग कर उस शख्स के पास गई और गोद मे चढ़कर बोली।

” लो चॉकलेट …अब ये बताओ मम्मा कहा है ?” कुणाल उसे चॉकलेट दे उसके माथे को चूमते हुए बोला।

” मैं तो यहाँ हूँ पर तुम रोज रोज इसे चॉकलेट खिला इसके दाँत और इसकी आदत दोनो खराब कर दो !” तभी वहाँ परी की मम्मी रिद्धिमा आकर बोली।

” अरे वो मेरी भी तो कुछ लगती है ना ! चलो अब देर हो रही है ” कुणाल हंस कर बोला और दोनो चल दिये।

ये है रिद्धिमा जिसके पति की मृत्यु तब हो गई थी जब उसकी बेटी परी एक साल की थी । ससुराल वालों ने बेटे के ना रहने पर बहू को रखने से भी इंकार कर दिया और रिद्धिमा अपनी मासूम बच्ची को ले रोती बिलखती मायके आ गई जहाँ थे उसके माता पिता और एक छोटा भाई।

रिद्धिमा के माता पिता ने उसकी दूसरी शादी करनी चाही पर उसे परी के लिए सौतेला पिता मंजूर नही था इसलिए यहां आकर उसने नौकरी शुरु कर दी क्योकि वो माँ बाप पर बोझ नही बनना चाहती थी कुणाल उसी के मोहल्ले मे रहता था रिद्धिमा का दोस्त था उसकी भी शादी हुई थी किन्तु वो शादी ज्यादा दिन चल नही पाई क्योकि उसकी पत्नी ससुराल से अलग रहना चाहती थी और कुणाल इसके पक्ष मे नही था इसलिए आपसी सहमति से तलाक हो गया था और कुणाल ने भी दूसरी शादी नही की थी।

दोनो एक ही ऑफिस मे काम करते थे इसलिए दोनो साथ ही निकल जाते थे। कुणाल परी को भी बहुत प्यार करता था और पिता के प्यार से वंचित परी भी कुणाल को देख खिल सी जाती थी । 

” नानी नानी चलो ना पिक्चर देखते है फिर से !” चॉकलेट खा परी फिर से फोटो देखने लगी।

” आपको स्कूल का काम भी तो करना है ना आज छुट्टी है तो इसका मतलब ये नही की पढ़ाई ना करो !” सुलभा जी उसे टालते हुए बोली।

” नही नानी पहले पिक्चर फिर काम बताओ ना मम्मा अब रेड रेड क्यो नही लगाती और इतने सुंदर कपड़े भी नही पहनती वो !” परी रिद्धिमा की तस्वीर पर हाथ फेरते बोली।

” बेटा आप चाहते हो आपकी मम्मा फिर से ऐसे ही सुंदर सुंदर कपड़े पहने और सिंदूर लगाए ?” सुलभा जी कुछ सोचते हुए बोली।

” हाँ नानी !” परी मासूमियत से बोली।

” तो क्यो ना हम कुणाल अंकल को आपके पापा बना दे ?” सुलभा जी बोली।

” पर मेरे पापा तो …कहा है मेरे पापा नानी सब बच्चो के पापा तो पहले से होते है मेरे क्यो नही !” कुछ सोचते और उदास होते हुए परी बोली। इतने घरेलू सहायिका आ गई अब सुलभा जी को उससे काम करवाने जाना था तो उन्होंने परी को टालते हुए बोला ” शाम को अपनी मम्मी से पूछियो अब मुझे काम करने दे और तू भी पढ़ ले !” 

” मम्मा आप सिंदूर क्यो नही लगाते जैसे पहले लगाते थे ?” रात को रिद्धिमा के साथ लेटी परी ने वही सवाल किया।

” बेटा आपके पापा नही है ना इसलिए मम्मा सिंदूर नही लगाती !” रिद्धिमा ने बेटी को समझाया !

” पर मेरे पापा क्यो नही है सब बच्चो के तो पापा होते है !” रोते हुए परी बोली।

” अरे मेरा बच्चा …बेटा आपके पापा भगवान जी के घर गये है क्योकि वहाँ आपके जैसी एक और परी है जिसके पास उसके पापा नही थे । आपके पास मम्मा है उसके पास मम्मा भी नही थी !” खुद की आँख के आँसू पीती हुई रिद्धिमा ने बेटी को समझाया। 

” तो मम्मा आप कुणाल अंकल को मेरे पापा बना दो वो कितने अच्छे है !” अचानक परी नानी की बात याद करते हुए बोली।

” क्या बकवास कर रही हो , बहुत बोलने लगी हो तुम चुपचाप सो जाओ समझी !” परी की बात सुन रिद्धिमा गुस्से मे बोली। 

उसका डांटना सुन परी रोने लगी और उससे दूर होकर लेट गई । उसकी आँख से लगातार आंसू बह् रहे थे । रोते रोते वो सो गई किन्तु रिद्धिमा की आँखों मे नींद नही थी। परी की बात सुनकर उसे एक साल पहले की कुणाल की कही बात याद आई “रिद्धि क्या तुम मुझसे शादी करोगी ?” 

तब रिद्धिमा ने कुणाल को डपट दिया था और उससे बात करना भी बंद कर दिया था फिर कुणाल के कई बार माफ़ी मांगने पर ही उसे माफ़ किया था । तबसे मन ही मन रिद्धिमा को चाहने के बावजूद कुणाल ने कभी इस बात का जिक्र नही किया क्योकि वो इस दोस्ती को तोड़ना नही चाहता था। 

” क्या बात है रिद्धि परी आज उदास है तुझसे बात भी नही कर रही !” सुबह सुलभा जी ने पूछा। 

” माँ बहुत बदतमीज हो गई है ये जाने कहाँ से नई नई जिद करती है !” रिद्धिमा बोली।

” बेटा उसकी जिद नाजायज नही आखिर उसका भी तो मन करता है उसके पिता हो जैसे सब बच्चो के होते है । फिर तेरा भी अभी पूरा जीवन पड़ा है और कुणाल जैसा लड़का नसीब से मिलता है !” तभी वहाँ रिद्धि के पिता रंजन जी आकर बोले। 

” पापा आप भी ! आपको पता है मैं दूसरी शादी नही करना  चाहती फिर क्यो ये सब बाते क्या आपसे कुणाल ने कुछ कहा ?” रिद्धिमा बोली । 

” नही बेटा हम तो परी की आँखों मे कुणाल् को देख जो चमक आती है उसे देख बोल रहे है। अपने दोस्तों के पापा को देख परी अकेले मे कितने आँसू बहाती है , भगवान से बार बार अपने पापा मांगती है क्या पता भगवान भी यही चाहते हो कि परी को उसके पापा मिल जाये !” सुलभा जी प्यार से बेटी के सिर पर हाथ फेरते बोली। 

माता पिता की बात सुनकर और परी का उतरा चेहरा देख रिद्धिमा कुछ सोचने लगी । सारा दिन वो इसी चीज के बारे मे सोचती रही । शाम को घर आने पर भी परी उससे नाराज रही हालांकि उसने उसे मनाने की कोशिश की पर वो नही मानी तब उसने कुणाल को बुलाया।

” अरे मेरी परी इतनी उदास क्यो है आज अंकल से चॉकलेट भी नही मांगी उसने !” कुणाल घर आया तो परी का उदास चेहरा देख उसे गोद मे उठाते हुए बोला।

” मुझे चॉकलेट नही चाहिए अंकल !” ये बोल परी उसकी गोद से उतर गई कुणाल रिद्धिमा को देखने लगा। 

” अच्छा एक हफ्ते बाद आपका जन्मदिन है बताओ आपको क्या गिफ्ट चाहिए अंकल वही लाकर देंगे !” कुणाल फिर से बोला। 

” सच मे अंकल जो कहूँगी लाकर दोगे ?” परी आँख मे आँसू भरकर बोली।

” हाँ बच्चा आप बोलो तो !” कुणाल उसके आँसू देख आहत हो बोला ।

” अंकल मुझे गिफ्ट मे पापा चाहिए जैसे सबके होते है । मैं भी अपने पापा साथ घूमने जाउंगी । मेरे क्लास के बच्चे मुझे चिढ़ाते है कि इसके तो पापा नही मैं उन्हे बताना चाहती हूँ मेरे भी पापा है क्या आप मेरे पापा ला दोगे !” रोते रोते परी बोली और भाग कर कमरे मे चली गई। उसे रोता देख सबकी आँखों मे आँसू आ गये । कुणाल रिद्धिमा की तरफ देखते हुए वहाँ से चला गया । कुछ दिन कुणाल रिद्धिमा को लेने नही आया रिद्धिमा अकेले ऑफिस जा रही थी । इधर घर मे भी मोहोल बड़ा उदास था क्योकि परी उदास थी । रिद्धिमा से बेटी का उतरा चेहरा देखा नही जा रहा था अब उसे कोई फैसला लेना ही था। 

” कुणाल क्या तुम मेरी बेटी का गिफ्ट बनोगे ?” परी के जन्मदिन वाले दिन रिद्धि ने कुणाल को फोन करके पूछा।

” क्या???? मेरा मतलब …क्या कहा तुमने मैं ..परी !” कुणाल को यकीन नही हो रहा था रिद्धि क्या बोल रही है ।

” हाँ कुणाल मेरी बेटी का आज जन्मदिन है उसने गिफ्ट मे पापा मांगे है क्या तुम उसका गिफ्ट बनोगे मतलब उसके पापा बनोगे ?” रिद्धिमा बोली।

” रिद्धि ये मेरी ख़ुशक़िस्मती होगी !” आँखों मे आये आँसू पोंछता कुणाल बोला। 

” पर कुणाल कल को तुम्हे अपने फैसले पर अफसोस तो नही होगा क्योकि मेरी एक बेटी भी है ?” रिद्धिमा ने दूसरा सवाल किया । 

” सिर्फ तुम्हारी नही हमारी बेटी !” कुणाल ने कहा । अब किसी सवाल की गुंजाईश ही नही थी । रिद्धिमा ने कुणाल को अपने माता पिता सहित घर आने को कह फोन रख दिया। 

” परी happy birthday बच्चा उठो देखो तुम्हारा गिफ्ट !” परी के कमरे मे आ रिद्धिमा इसे उठाते हुए बोली।

” मुझे कोई गिफ्ट नही चाहिए !” परी आँखे मलती हुई बोली।

” अच्छा पर किसी ने हमसे कहा था उसे गिफ्ट मे पापा चाहिए अब पापा आ गये तो उन्हे गिफ्ट ही नही चाहिए !” तभी वहाँ कुणाल आ बोला ।

” पापा ??” परी हैरानी से कभी कुणाल को कभी रिद्धिमा को देखती बोली।

” हाँ बेटा ये है तुम्हारे गिफ्ट तुम्हारे नए पापा कुणाल पापा !” तभी कुणाल के मम्मी पापा आकर बोले।

” सच्ची !” परी रिद्धिमा को देखती हुई बोली। रिद्धिमा के मुस्कुरा कर हाँ मे सिर हिलाते ही पापा बोल परी दौड़ कर कुणाल के गले लग गई और उसे जोर से पकड़ लिया मानो ये सपना ना हो । कुणाल ने भी उसे कसकर् गले लगा लिया और उसका माथा चूम लिया । दोनो की आँख मे आँसू थे पर चेहरे पर चमक । रिद्धिमा ने भी अपने आँसू पोंछ लिए बेटी के लिए ही सही उसने दूसरी शादी का मन बना ही लिया। 

इधर दोनो के माता पिता भी अपने बच्चो का घर बसता देख खुश थे। 

” मम्मा मैं अपनी सभी सहेलियों को बताउंगी मेरे पास भी मेरे पापा है !” परी कुणाल की गोद मे चढ़े चढ़े ही बोली तो सब मुस्कुरा दिये। 

कैसी लगा आपको परी का birthday गिफ्ट बताइयेगा जरूर ।

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल ( स्वरचित )

#आँसू

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!