बिफर पड़ी-कंचन श्रीवास्तव 

एक ही घर में रहते हुए गलियारे से निकलकर बोली अरे रज्जो कौन आने वाला है ? जो इतनी तैयारी कर रही , सुबह से देख रही हूं काम पे काम किए जा रही ।इस पर वो मुस्कुरा कर रह गई,

पर इनसे रहा नहीं गया तो घंटे भर बाद फिर आकर पूछी  बताती क्यों नहीं? कब से पूछे जा रही हूं।तो इन्होंने हंस कर बताया।

अरे फिक्की और राज आ रहे हैं , जिसे सुन रेखा ने थोड़ा माथा सिकोड़ते हुए , अच्छा अच्छा वहीं जो अपने से भाग कर शादी कर लिए थे , जिसे सुन इसके तन बदन में आग लग गई और सोचने लगी कहां भाग कर शादी किए थे ।हम लोग तो गए ही थे हां वो बात अलग है कि रिश्तेदारों और इस पड़ोस के लोगों को नहीं बुलाया ।

पर संकोची स्वभाव के साथ साथ थोड़ी शांत भी है इसलिए ज़हर का घूंट पीकर रह गई।

और कोई उत्तर न पाकर  फिर टूपकी देखो कहे देती हूं माना पहली बार आ रहे ,पर ख्याल रहे बहू है वो कहीं  ऐसा न हो कि तुम काम करो और वो आराम।आज कर लो पर कल से उसे ही करने देना , कहती हुई गेट खोल अपने घर चली गई। और ये अपने काम में लग गई।

सब कुछ निपटा के बैठी ही थी कि डोर बेल बजी तो इन्होंने जाकर दरवाजा खोला।

सामने दोनों को पाकर खुशी से फूली न समाई।

और पैर छूने के लिए झुके दोनों को गले से लगाते हुए बोली खुश रहो दूधो नहाओ पूतों फलो।

और अंदर आने को कहा।

दोनों ने घर में कदम रखा घर रूम फ्रेशनर से महक रहा था। डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लगा हुआ था ,दोनों ने नहाकर नाश्ता करते हुए मां को तैयार होने को कहा

तो वो बोली अरे तुम लोग घूम आओ मैं कहां जाऊंगी तुम लोग घूम आओ ।

इस पर रवि तो चुप रहा पर पिंकी ने कहा नहीं मां आपको चलना होगा। चलिए ना आज कुछ खास है इस पर वो बोली भला ऐसा क्या खास है तो इसने कहा चलिए रास्ते में बताऊंगी।

तो वो तैयार हो गई फिर रास्ते में कई जगह रुक कर शापिंग कराया , उसके बाद एक रेस्तरां में रुकी जहां पहले से ही सभी ननदें मौजूद थीं ये देख उसकी आंखें चौड़ी हो गई और बोली तुम लोग यहां कैसे तो वो लोग बोली अरे भाभी ने बुलाया , इन्ही से पूछो  क्यों तो वे लोग बोली पता नहीं क्यों?  इतने में पिंकी आई दिखाई दी।

और आते ही उसका हाथ पकड़कर चलिए मां चलते हैं तो वो बोली कहां तो वो बोली ।

चलिए तो बताई हूं और उस ओर गई जहां रवि पहले से खड़ा इंतज़ार कर रहा था।

मां का हाथ पकड़ उस कमरे में ले गया जहां केक और डिनर का इंतजार पहले से ही था।

जिसे देख ये बोली बेटा आज तो तुम्हारी मां का दिन है फिर तुम मुझको….. कहते हुए नम आंखों को पल्लू से पोंछ लिया।तो ये बोली मां-

अपनी मां का मदर्स डे तो सभी मनाते हैं पर पति या पत्नी की मां का वही जिनमें अपनाने की क्षमता होती है। जो कि मुझे आपसे मिला ।

मुझे अच्छे से याद है हम लोगों के प्रेम विवाह की सहमति सिर्फ आप ने दी ।और आपकी वजह से ही भले बेमन से ही पर घर वाले भी राजी हुए ।

और आज वर्षों बाद हम घर भी आए भी तो वजह आप ।

फिर फर्क कैसा।

मां सिर्फ़ मां होती है न अपनी न किसी और की।

कहते हुए गले लगा  हैपी मदर्स डे बोलते हुए बिफर पड़ी।

स्वरचित

आरज़ू

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